राजेश खन्ना के जन्मदिन के मौके पर बेटी ट्विंकल ने तस्वीर शेयर कर याद किया एक दिलचस्प किस्सा

Maahi

इज्जतें, शोहरतें, उलफ़तें, चाहतें सब कुछ इस दुनिया में रहता नहीं,

आज मैं हूं जहां कल कोई और था, ये भी एक दौर है वो भी एक दौरा था.

बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना के आख़िरी बोल कुछ ऐसे ही थे. एक कार्यक्रम के दौरान राजेश खन्ना को उनके चाहने वालों ने आख़िरी बार ये डायलॉग बोलते हुए सुना था. शानदार कलाकार के साथ-साथ वो एक बेहतरीन इंसान भी थे. स्टारडम क्या होता है बॉलीवुड को ये राजेश खन्ना ने ही सिखाया था.

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आज बॉलीवुड सुपरस्टार राजेश खन्ना का जन्मदिन है. इस मौके पर न सिर्फ़ उनके परिवार वाले, बल्कि उनके चाहने वाले भी उन्हें याद कर रहे हैं. राजेश खन्ना अपने चाहने वालों के दिलों में कुछ इस कदर बस गए थे कि आज भी लोग उन्हें याद करते हुए भावुक हो जाते हैं. सच कहूं तो बॉलीवुड में ऐसा स्टारडम पहले किसी भी स्टार को नहीं मिला था जो राजेश खन्ना को मिला था.

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पुष्पा के आंसुओं की भी फ़िक्र करने वाले राजेश खन्ना के लिए उस दौर में उनके फ़ैंस हर साल उनके जन्मदिन के मौके पर फूलों से भरे कई ट्रक उनके घर भेजा करते थे. आज फ़ैंस की जो भीड़ अमिताभ, शाहरुख़ और सलमान के घर के बाहर देखने को मिलती है. उस परंपरा को शुरू करने वाले पहले स्टार राजेश खन्ना ही थे.

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राजेश खन्ना के लिए फ़ैंस के इसी प्यार के लिए आज उनके जन्मदिन के मौके पर बेटी ट्विंकल खन्ना ने एक तस्वीर शेयर की है. साथ ही लिखा कि ‘जब मैं बच्ची थी तो मुझे लगता था कि हर साल उनके जन्मदिन के मौके पर हमारे घर के बाहर फूलों से भरे जो ट्रक आते हैं वो मेरे लिए आते हैं’.

राजेश खन्ना की न सिर्फ़ अदाकारी बेहतरीन थी, बल्कि उनका हर एक डायलॉग दिल को सुकून देने वाला होता था. वो अपने चाहने वालों को अपना अन्नदाता मानते थे. 18 जुलाई, 2012 को कैंसर के चलते उनका देहांत हो गया था, लेकिन वो आख़िरी दम तक इससे लड़ते रहे.

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साल 1966 में फ़िल्म ‘आख़िरी ख़त’ से अपना बॉलीवुड करियर शुरू करने वाले राजेश खन्ना ने कुल 160 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया था. अपनी पहली फ़िल्म की तरह ही वो अपने चाहने वालों के लिए भी एक ‘आख़िरी ख़त’ छोड़ कर गए थे जिसे उनके परिजनों ने उनकी तेरहवीं के मौके पर पढ़ कर सुनाया.

जो कुछ इस तरह से था-

मेरे प्यारे भाईयो और दोस्तों…

नॉस्टेल्जिया में रहने की आदत नहीं है मुझे,

हमेशा भविष्य के बारे में ही सोचना पड़ता है,

जो दिन बीत गए, गुज़र गए उसका क्या सोचना,

लेकिन जब जाने पहचाने चेहरे, किसी अनजान सी महफ़िल में मिलते हैं तो यादें फिर दोबारा लौट आती हैं,

कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है 100 साल पहले जब में 10 साल का था, तबसे ही हमारी मुलाक़ात है. 

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