कोई उन्हें हीमैन कहता है, तो कोई गरम-धरम. नाम में भले ही गरम हो लेकिन दिल के हैं वो बड़े नरम. आप समझ ही गए होंगे कि हम बॉलीवुड के लेजेंड्री स्टार धर्मेंद्र की बात कर रहे हैं. इंडस्ट्री में आज भी उनके चाहने वालों की कोई कमी नहीं है. पहली बार जब वो पंजाब के छोटे से गांव से मुंबई आए थे, तब उन्होंने भी नहीं सोचा था कि एक दिन वो इतने बड़े स्टार बन जाएंगे. लेकिन ये इतना आसान नहीं जितना कि लोग समझते हैं.
अपने बलबूते पर लाखों-करोंड़ों लोगों की दिलों की धड़कन बने धरम पाजी ने इसके लिए बहुत ही मेहनत और संघर्ष किया है. इससे जुड़े क़िस्से वो अकसर शेयर करते रहते हैं. ऐसी ही एक स्टोरी आज हम आपके लिए लेकर आए हैं.
कुछ दिनों पहले धरम पाजी इंडियन आइडल-11 के शो में पहुंचे थे. यहां उनकी फ़िल्मों के गाने गाकर कंटेस्टेंट ने अपनी-अपनी कला का हुनर पेश किया. ऐसे ही एक कलाकार के गाने को सुनने के बाद धरम जी भावुक हो गए.
उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा- ‘जब मैं मुंबई आया था तो शुरुआती दिनों में मेरे पास कोई घर नहीं था इसलिए मैं एक गैराज में रहता था. अपना ख़र्च चलाने के लिए मैं एक ड्रिलिंग फ़र्म में काम करता था. यहां मुझे 200 रुपये सैलरी मिलती थी. एक्स्ट्रा पैसे कमाने के लिए मुझे ओवर टाइम भी करना पड़ता था.’
इसके बाद उन्होंने उस पुल के बारे में भी बताया जहां उन्होंने एक एक्टर बनने का सपना देखा था. वो अकसर स्कूल के बाद यहां जाते थे. अपने गांव के उस पुल को याद करते हुए धरम पाजी ने कहा- ‘यहीं मैं ख़्वाब देखता था मुंबई आने के. उस पुल पर अब जाता हूं तो उससे कहता हूं धर्मेंद्र तू तो एक्टर बन गया यार.’
धर्मेंद्र ने फ़िल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. 70-80 के दशक में उनकी गिनती इंडस्ट्री के बेस्ट एक्टर्स में होती थी. उन्होंने शोले, चुपके-चुपेक, काजल, फूल और पत्थर, मेरा गांव मेरा देश, सीता और गीता, जुगनू, चरस, धर्मवीर, ड्रीम गर्ल, जीवन मृत्यु, ब्लैकमेल जैसी सुपरहिट फ़िल्मों में काम किया है.
एक अच्छे एक्टर होने के साथ ही वो बहुत ही अच्छे प्रोड्यूसर भी हैं. उन्होंने अपने प्रोडक्शन हाउस विजेता फ़िल्म के बैनर तले बेताब, घायल, बरसात जैसी फ़िल्मों का निर्माण भी किया है. हिंदी सिनेमा में अभूतपूर्व योगदान के लिए साल 1997 में फ़िल्म फ़ेयर ने उन्हें लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया था.
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