मीरा नायर: वो फ़िल्ममेकर जिसने अपनी इन 4 फ़िल्मों में समाज की सच्चाई पेश कर कई अवॉर्ड्स भी जीते

Kratika Nigam

भारतीय मूल की अमेरिकन फ़िल्ममेकर मीरा नायर ने भारतीय समाज के हर हिस्से को अपनी फ़िल्मों में बख़ूबी दिखाने की कोशिश की है. ओडिशा के राउरकेला में जन्मीं मीरा नायर की पढ़ाई-लिखाई शिमला और दिल्ली के मिरांडा हाउस में हुई. मीरा को शुरू से ही थियेटर का शौक़ था तो थियेटर को भी अपना समय देती थीं. हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में सेलेक्शन के बाद उन्हें डॉक्यूमेंट्रीज़ देखने का मौक़ा मिला और तभी उनमें फ़िल्ममेकर बनने का अरमान जागा. उनका ये सफ़र साल दर साल चलता आ रहा है और वो अपने फ़ैंस को एक से बढ़कर एक फ़िल्में देती रहती हैं. 

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आइए, मीरा नायर की कुछ बेहतरीन फ़िल्मों के बारे में जानते हैं:

1. द रिलक्टेंट फ़ंडामेंटलिस्ट 

मीरा नायर की ये फ़िल्म 2012 में आई थी. फ़िल्म की कहानी मोहसीन हामिद की नॉवेल ‘द रिलक्टेंट फ़ंडामेंटलिस्ट’ पर आधारित थी. ये फ़िल्म 2001 में अमेरिका के ट्विन टॉवर्स पर हुए हमलों के बारे में थी, जिसमें पाकिस्तान की छवि ख़राब हो गई थी. फ़िल्म की कहानी को एस ऐसे किरदार के ज़रिए पेश किया गया है, जो पाकिस्तानी है लेकिन अमेरिका में काम करता है. इसमें रिज़ अहमद और केट हडसन मुख्य भूमिका में थीं.

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इस फिल्म को अमेरीका के फ़िल्म फ़ेस्टिवल Mill Valley Film Festival में  Audience Favorite—World Cinema Award मिला था. इसके अलावा जर्मनी के फ़िल्म फ़ेस्टिवल German Film Award for Peace में The Bridge अवॉर्ड से नवाज़ा गया था.

2. सलाम बॉम्बे

‘सलाम बॉम्बे’ मीरा नायर की पहली फ़िल्म थी. इस फ़िल्म को मीरा ने NFDC (National Film and Development Corporation) के साथ मिलकर प्रोड्यूस किया था. फ़िल्म की कहानी बॉम्बे के स्लम में रहने वाले बच्चे कृष्णा की थी, जिसका किरदार शफ़ीक़ सैयद ने निभाया था. कृष्णा अपने घर जाने के लिए सिर्फ़ 500 रुपये के लिए चाय बेचता है और सर्कस में काम करता है. फ़िल्म लम्बी थी, लेकिन दर्शक हों या क्रिटिक्स दोनों ने इसे ख़ूब सराहा. इसमें रघुबीर यादव, दिवंगत अभिनेता इरफ़ान ख़ान और नाना पाटेकर मुख्य भूमिका में थे.

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‘सलाम बॉम्बे’ को भारत में नेशनल अवॉर्ड तो मिला ही. इसके अलावा कान और मॉन्ट्रियल फ़िल्म फ़ेस्टिवल में भी इसे कई अवॉर्ड से नवाज़ा गया. ये फ़िल्म दूसरी भारतीय फ़िल्म थी, जिसे ऑस्कर में ‘बेस्ट फ़ॉरेन फ़िल्म’ कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था.

3. मॉनसून वेडिंग

साल 2001 में आई ये फ़िल्म शादी के विषय पर आधारित थी. इसमें बहुत ही बड़ी और पैसे वाली शादी को दिखाया गया था. साथ ही कई और स्टोरीज़ भई थीं, जो दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब रहीं. इसमे विजय राज, वसुंधरा दास, प्रवीण दबास, नसीरुद्दीन शाह, लिलेट दुबे और शेफ़ाली शाह मुख्य भूमिका में थीं.

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फ़िल्म को वेनिस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में गोल्डन लॉयन अवॉर्ड मिला था. इसके अलावा British Independent Film Award में इसे बेस्ट फ़ॉरेन लैंगवेज का अवॉर्ड मिला था. आपको बता दें, सत्यजीत रे की ‘अपराजिता’ के बाद ये दूसरी भारतीय फ़िल्म थी, जिसे गोल्डन लॉयन अवॉर्ड से नवाज़ा गया था.

4. द नेमसेक

साल 2006 में आई मीरा नायर की ये फ़िल्म दो ऐसे लोगों की कहानी थी, जो न्यूयॉर्क जाते हैं. जहां वो अपनी संस्कृति और संस्कार को बचाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं. ये फ़िल्म झुंपा लाहिरी की ‘द नेमसेक’ नाम की ही किताब पर बेस्ड है. इसमें तब्बू, दिवंगत अभिनेता इरफ़ान ख़ान और झुम्पा लाहिरी मुख्य भूमिका में थीं.

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बुल्गेरिया के Love is Folly International Film Festival में मीरा नायर को इस फ़िल्म के लिए Golden Aphrodite अवॉर्ड मिला था. साथ ही Best Feature Film Casting के लिए  कास्टिंग सोसाईटी ऑफ़ अमेरिका में नॉमिनेट किया गया था.

मीरा नायर के काम को सराहते हुए उन्हें कई अवॉर्ड्स से नवाज़ा जा चुका है. इन्हें टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म फ़ेस्टिवल ‘ट्रिब्यूट अवॉर्ड’ समारोह में जेफ़ स्कोल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. 

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