ये बता पाना मुश्किल होगा कि भारत के नक़्शे पर भारतीय सिनेमा कितना महत्वपूर्ण है. इस देश में सिनेमा प्रेमियों की कोई कमी नहीं है और गली-गली में आपको हीरो-हीरोइन बनने का सपना लिए बड़ा हो रहा एक बच्चा मिल जाएगा. भारतीय सिनेमा का इतिहास आज़ाद भारत से भी पहले का है.
आज हम आपके लिए भारतीय सिनेमा इतिहास के ख़ज़ाने से भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के सबसे पुराने फ़िल्म स्टूडियो ‘Prabhat Studios’ की कहानी लेकर आए हैं.
1. प्रभात कंपनी की स्थापना 1 जून, 1929 में कोल्हापुर में विजी डामले, एस फतेलाल, केआर ढेबर, एसबी कुलकर्णी और वी शांताराम द्वारा मात्र 15,000 रुपये में की थी.
2. 1933 में कंपनी ने मुंबई के नज़दीक होने की वजह से पुणे में ख़ुद को स्थानांतरित कर लिया. यहां उन्होंने ‘प्रभात स्टूडियो’ खोला जो एशिया में सबसे आधुनिक और सबसे बड़ा था.
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3. इस दौरान 27 सालों में ‘प्रभात स्टूडियो’ ने हिंदी और मराठी मिलाकर 45 फ़िल्में प्रोड्यूस की थी.
4. प्रभात स्टूडियो का आर्ट डिपार्टमेंट बेहद चर्चित था. दुनियाभर में इसका नाम था.
5. ‘अयोध्या का राजा’, ‘अमृत मंथन’, ‘अमर ज्योति’ जैसी बेहतरीन फ़िल्में ‘प्रभात स्टूडियो’ ने ही बनाई हैं.
6. प्रभात की सबसे बड़ी सिनेमाई उपलब्धि थी दामले-फतेहलाल की फ़िल्म ‘संत तुकाराम’ (1936). ये फ़िल्म थिएटर में 57 हफ़्तों के लिए चली थी.
7. आज ये स्टूडियो FTII के कैंपस में है. छात्र यहां अपना एक्टिंग प्रोजेक्ट बनाते हैं. इतना ही नहीं स्टूडियो का आधा हिस्सा सिनेमा प्रेमियों के देखने के लिए म्यूज़ियम में बदल दिया गया है.
8. वर्तमान में दुनिया के इस प्रतिष्ठित स्टूडियो का रेनोवेशन चल रहा है.
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देखिए प्रभात फ़िल्म्स की कुछ वीडियोज़:
किसी ने सच ही कहा है, पुरानी चीज़ें सोना होती हैं.