यदि कोई फ़िल्म किसी विवादित या संवेदनशील मुद्दे पर बनती है तो ऐसे में उसे रिलीज़ करने से पहले ‘केंद्रीय फ़िल्म प्रमाण बोर्ड'(Central Board of Film Certification) से मंज़ूरी लेनी पड़ती है.
ऐसा कई बार होता है कि सेंसर बोर्ड कई सारी विवादास्पद भारतीय फ़िल्मों को दिखाने से पहले, फ़िल्मों के संवेदनशील हिस्सों को हटाने या बदलने की मांग रखता है. मगर बहुत बार ऐसा भी हुआ है कि सेंसर बोर्ड ने पूरी ही तरह फ़िल्मों को रिलीज़ करने से मना कर दिया है. आज हम कुछ ऐसी ही फ़िल्मों के नाम लाए हैं जिनके रिलीज़ पर सेंसर बोर्ड ने प्रतिबंध लगा दिया था.
1. पांच (2002)
‘पांच’ फ़िल्म कुछ-कुछ मामलों में 1976-77 के दौरान पुणे में हुए जोशी-अभ्यंकर सीरियल हत्याओं पर आधारित है. यह फ़िल्म अनुराग कश्यप द्वारा लिखित और निर्देशित है. फ़िल्म में के के मेनन, आदित्य श्रीवास्तव, विजय मौर्य, जॉय फ़र्नांडिस और तेजस्विनी कोल्हापुर मुख्य भूमिका में हैं. सेंसर बोर्ड ने अधिक हिंसात्मक दृश्यों, ड्रग्स और आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल को लेकर आपत्ति जताई थी. फ़िल्म में कई सारे कट किए गए मगर वो कभी भी थिएटर में रिलीज़ नहीं हुई. हालांकि, फ़िल्म को बाद में कई फ़िल्म फ़ेस्टिवल्स में रिलीज़ किया गया था.
2. हवा आने दे (2004)
यह एक ड्रामा फ़िल्म है जिसको पार्थो सेन-गुप्ता ने लिखा और डायरेक्ट किया है. फ़िल्म भारत और पाकिस्तान के बढ़ते तनाव के ऊपर बनी थी. अनिकेत विश्वासराव, निशिकांत कामत, तनिष्ठा चटर्जी और राजश्री ठाकुर प्रमुख भूमिकाओं में थे. सेंसर बोर्ड ने इस फ़िल्म में इतने सारे कट लगाने की बात की कि फ़िल्म मात्र 20 मिनट की ही रह गई थी. डायरेक्टर ने सेंसर बोर्ड की बात मानने से इंकार दिया जिसके चलते ये कभी भी भारत में रिलीज़ ही नहीं हुई.
3. कौम दे हीरे (2005)
कौम दे हीरे, एक पंजाबी फ़िल्म है जो सतवंत सिंह, बेअंत सिंह और केहर सिंह के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी की हत्या की थी. सेंसर बोर्ड ने इस फ़िल्म के रिलीज़ की अनुमति नहीं दी क्योंकि उन्हें लगा कि फ़िल्म देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकती है.
4. डेज़ड इन दून (2010)
इस फ़िल्म को अश्विन कुमार द्वारा बनाया गया है. इस फ़िल्म के रिलीज़ पर बैन लगा दिया गया था क्योंकि ‘दून स्कूल’ के अधिकारियों का कहना था कि यह फ़िल्म स्कूल का नाम ख़राब करती है.
5. गांडू (2010)
गांडू, कौशिक मुखर्जी द्वारा निर्देशित एक बंगाली ब्लैक-एंड-व्हाइट आर्ट ड्रामा फ़िल्म है. इस में अनुब्रत, जॉयराज, कमलिका, शिलाजीत और री सेन प्रमुख भूमिकाओं में हैं. सेक्सुअल सीन्स की वजह से इसे भारत में रिलीज़ करने पर रोक लगा दी थी. आख़िर में साल 2012 में एक फ़िल्म फ़ेस्टिवल के दौरान इसको पहली बार भारत में दिखाया गया.
6. अन फ़्रीडम (2014)
समलैंगिकता पर बनी यह फ़िल्म राज अमित कुमार द्वारा पेश की गई है. फ़िल्म में विक्टर बैनर्जी, आदिल हुसैन और प्रीति गुप्ता मुख्य भूमिका में हैं. सेंसर बोर्ड ने इस फ़िल्म को विवादित पाते हुए इस पर कई सारे कट लगाने की मांग की थी. मगर डायरेक्टर राज ने साफ़ इंकार कर दिया जिसके बाद थिएटरों में इसकी रिलीज़ पर बैन लगा दी गई.