52 फ़िल्में की, मगर हर रोल इतना दमदार कि दुनिया उसे बॉलीवुड की मदर इंडिया कहने लगी. नाम नरगिस दत्त

J P Gupta

नई पीढ़ी नरगिस दत्त को संजय दत्त की मां के रूप में जानती है.लेकिन नरगिस दत्त इससे कहीं ज़्यादा थीं. नरगिस हिंदी सिनेजगत की वो पहली अदाकारा थी, जिन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से नवाज़ा गया. 40-60 दशक में नरगिस ने बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर के साथ कई सुपरहिट फ़िल्में दी. महबूब ख़ान की फ़िल्म ‘मदर इंडिया’ के लिए उन्हें फ़िल्म फे़यर अवॉर्ड मिला और इसे ऑस्कर के लिए भी नॉमिनेट किया गया था. उन्होंने अपनी आख़िरी फ़िल्म ‘रात और दिन’ के लिए नेशनल अवॉर्ड जीता था, जबकि उस वक़्त नरगिस की शादी हो चुकी थी और वो इक्का-दुक्का फ़िल्मों में ही नज़र आती थी.

नरगिस दत्त ने अपने छोटे, लेकिन प्रभावी फ़िल्मी करियर में बहुत दमदार किरदार निभाकर अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया था. चलिए आज आपको उनके कुछ फ़ेमस किरदारों से रूबरू कराते हैं:

अंदाज़-नीना

https://www.youtube.com/watch?v=60KKzWIcJGg

महबूब खान की एक और सुपरहिट मूवी थी अंदाज. इस फ़िल्म में नीना, राजन और दिलीप के बीच लव ट्रांयगल को बहुत बारीकी से पर्दे पर उकेरा गया था. एक अमीर और आज़ाद ख़्याल की लड़की नीना और बाद में एक ऐसी पत्नी जो शादी होने के बाद भी उसी आज़ादी के साथ जीती है. इसी बीच पति के शक और दोस्त के एक तरफ़ा प्यार के बीच पिसती नीना की कशमकश न सिर्फ़ उसके चेहरे, बल्कि उसकी आंखों में भी साफ़ नज़र आती है. शायद यही वज़ह रही कि राज कपूर और दिलीप कुमार जैसे मंझे हुए एक्टर्स के बीच नरगिस लोगों के दिलों पर अपनी अलग छाप छोड़ गईं.

आवारा-रीटा

1951 में रिलीज़ हुई ये फ़िल्म एशिया, अफ़्रीका और रूस में भी सुपरहिट हुई. इस फ़िल्म में नरगिस ने एक तेज़-तर्रार वकील का किरदार निभाया था. राजकपूर को रीटा अपराध की दुनिया से निकाल कर एक ईमानदार और सभ्य इंसान बनाती है. रीटा के रूप में नरगिस की एक्टिंग देखकर ऐसा लगता है कि आप कोई फ़िल्म नहीं, किसी कोर्ट में बैठे किसी केस की सुनवाई देख रहे हैं.

लाजवंती-कविता

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जैसा नाम वैसा ही किरदार निभाया था नरगिस ने. कविता के रूप में वो एक टिपिकल इंडियन हाउस वाइफ़ का रोल बड़े ही करीने से निभाती हैं. देर रात तक पति का डिनर टेबल पर इंतज़ार करना हो या फिर बार-बार पति के द्वारा ख़ुद को नज़रअंदाज़ करने की झल्लाहट. इन सारे हाव-भाव को नरगिस ने बहुत ही सहजता से पर्दे पर निभाया. अंत में अपनी ही बेटी का दिल जीतने की कोशिश में जुटी एक मां की छटपटाहट उनके चेहरे पर साफ़ नज़र आती है. उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि मानो वो इस दर्द को ख़ुद सह रही हों. इस फ़िल्म में उन्हें देख कर ऐसा लगता है जैसे ये किरदार उन्हीं के लिए लिखा गया था.

श्री 420-विद्या

इस फ़िल्म में राज कूपर एक ऐसे ठग का किरदार निभाते हैं, जो लोगों को अपने जाल में फंसा कर अमीर बन जाता है. जबकि उसकी मुफ़लिसी के दिनों में उसका साथ निभाने वाली विद्या (नरगिस) अपने उसूलों पर अपनी ज़िदंगी जीने पर अटल रहती है. जिस तरह एक ख़ुद्दार आदमी कठिन परिस्थितियों में भी अपने उसूलों से समझौता नहीं करता, इस फ़िल्म में नरगिस के किरदार को देख कर ऐसे ही किसी शख़्स की याद आ जाती है. फ़िल्म के एक सीन में जब राजकपूर उनकी मदद करने के लिए हाथ बढ़ाते हैं, तो नरगिस उसे शान से ठुकराते हुए उन्हीं पर तंज कसती दिखाई देती हैं. यहां ये कहना ग़लत न होगा कि नरगिस ने ये रोल बड़ी ही शिद्दत से निभाया था.

मदर इंडिया-राधा

मदर इंडिया हिंदी सिने जगत का नगीना थी. कंधे पर हल लिए खेत जोतती राधा का सीन आज भी हर किसी को याद है. राधा का किरदार एक ऐसी महिला का था, जो अपने बच्चों के ख़ातिर हर दुख सहते हुए भी उन्हें पालती-पोसती है. और जब उन्हीं बेटों में से एक हैवान बनने पर उतारू हो जाता है, तो उसे मारने से भी नहीं कतराती. इस फ़िल्म में नरगिस का राधा वाला किरदार ही था, जिसने इसे ऑस्कर के लिए नॉमिनेशन दिला दिया था. मदर इंडिया में उनके मां वाले किरदार को हिंदी फ़िल्मों के सबसे यादगार किरदार के रूप में आज भी याद किया जाता है.

रात और दिन: वरूणा-पैगी

शादी के बाद जब नरगिस ने फ़िल्मों में काम करना छोड़ दिया था, तब उनकी कई फ़िल्मों की शूटिंग अधूरी रह गई थी. इन्हीं में से एक थी डायरेक्टर सत्येन बोस की फ़िल्म रात और दिन. इसमें नरगिस ने एक दोहरी ज़िदगी जीने वाली महिला का किरदार निभाया था. जो दिन में तो एक सीधी-सादी पत्नी वरुणा और रात में एक वेस्टर्न कल्चर से प्रभावित लड़की पैगी. मल्टीपल डिस्ऑर्डर से पीड़ित एक महिला का किरदार नरगिस ने पर्दे पर ऐसे निभाया कि इसके लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड तक दिया गया था. फ़िल्म के एक सीन में जब उनका पति पूछता है कि वो कल रात कहां थी, तब वो बिल्कुल एक मल्टीपल डिस्ऑर्डर से पीड़ित मरीज़ की तरह ही बिहेव करती हैं. अगर आपने साउथ इंडियन स्टार विक्रम की फ़िल्म ‘अपरिचित’ देखी हो, तो आपको ये फ़िल्म ज़रूर देखनी चाहिए. इस फ़िल्म में नरगिस ने विक्रम से कई सालों पहले इस तरह के मरीज़ का रोल उम्दा तरीके से निभाया था.

हम भारतीयों को मदर इंडिया सरीखी वर्ल्ड फे़मस फ़िल्म देने वाली नरगिस भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन हिंदी सिने जगत में उनके अभूतपूर्व योगदान को भारतीय दर्शक हमेशा याद रखेंगे.

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