बताइए इस फ़िल्म का नाम जिसे देखने थिएटर्स में जूते-चप्पल उतार कर जाया करते थे लोग, कमाए थे 5 करोड़

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बॉलीवुड फ़िल्मों के लिहाज़ से साल 1975 काफ़ी बेहतरीन रहा. इस साल ही रमेश सिप्पी (Ramesh Sippi) ने सुपरहिट फ़िल्म शोले (Sholay) रिलीज़ की, जिसने बॉक्स ऑफिस पर ऐसी धुआंदार कमाई देखी, जो पहले किसी फ़िल्म ने नहीं देखी थी. वहीं, एक फ़िल्म ऐसी भी थी, जिसकी रिलीज़ के दौरान किसी को कानों-कान ख़बर तक नहीं थी.

यहां तक आपको यकीन नहीं होगा कि सिनेमाघरों के मालिक भी फ़िल्म को पर्दे पर लगा कर भूल गए थे कि शुक्रवार को उन्होंने कोई फ़िल्म लगाई है. आज हम आपको इसी फ़िल्म के बारे में बताएंगे.

शुरुआत में बिल्कुल नहीं चली फ़िल्म

ये फ़िल्म जब रिलीज़ हुई, तब तीन दिन तक सिनेमाघरों में कोई झांकने तक ना आया. यहां तक सिनेमाघरों के मालिक भी इस फ़िल्म को हटाने की सोचने लगे. लेकिन सोमवार को इसकी कमाई ने ऐसी रफ़्तार पकड़ी कि बड़ी-बड़ी फ़िल्मों के रिकॉर्ड्स ध्वस्त कर दिए. इस फ़िल्म को देखने के लिए दर्शकों की थिएटर्स के बाहर लाइनें लगने लगीं. महज़ 25 लाख के बजट में बनी इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर आंधी ला दी और दुनियाभर में कुल 5 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया.

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शोले को दी थी कड़ी टक्कर

क्या पहचान पाए? इस फ़िल्म ने 33 कोटि देवी-देवताओं में एक नई देवी को ऐसी मान्यता दिला दी कि उन्हें घर-घर पूजा जाने लगा. यहां तक इस फ़िल्म ने शोले को कड़ी टक्कर दी थी. शुरुआत में फ़िल्म की कमाई देखकर ट्रेंड पंडितों ने इसे फ्लॉप बता दिया था. हालांकि, इसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि लोग झुंड बनाकर यह फिल्म देखने के लिए पहुंचने लगे. थिएटर्स हाउसफुल होने लगे. इसको लेकर लेकर दर्शकों के बीच ऐसा माहौल बना था कि वो सिनेमाघरों में जूते-चप्पल उतार कर और पूजा-आराधना का सामान लेकर जाया करते थे.

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प्रोड्यूसर हुआ कंगाल

ये फ़िल्म और कोई नहीं, बल्कि ‘जय संतोषी मां’ (Jai Santoshi Maa) है. डायरेक्टर विजय शर्मा की इस फ़िल्म में एक्ट्रेस अनीता गुहा (Anita Guha) ने माता संतोषी का किरदार निभाया था. उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि मुंबई के बांद्रा में मायथोलॉजी फ़िल्मों को कोई पूछता तक नहीं था. वहां उससे पहले कोई भी धार्मिक फ़िल्म कमाई नहीं कर पाई थी, लेकिन जय संतोषी मां फ़िल्म बांद्रा के ही सिनेमाघर में 50 हफ्ते चली थी. वहीं, रिपोर्ट्स बताती हैं कि फ़िल्म को खरीदने के लिए कोई डिस्ट्रिब्यूटर तैयार नहीं था. इस दौरान  केदारनाथ अग्रवाल और संदीप सेठी आगे आए. लेकिन फ़िल्म के बंपर कमाई करने के बाद केदारनाथ के भाइयों ने पूरा पैसा हड़प लिया. जिसके चलते प्रॉड्यूसर सतराम रोहरा ने ख़ुद को दिवालिया घोषित कर दिया.

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