Bollywood Movies On Marriage Problems: बॉलीवुड हमेशा अपनी फ़िल्मों में एक हैप्पी मैरिज का आइडिया प्रमोट करता रहा है. मतलब फ़िल्म की स्टोरी में चाहे कितनी भी ट्रैजेडी आ जाए, लेकिन उसकी एंडिंग हमेशा ख़ुशहाल ही होती है. जबकि आम ज़िंदगी में ऐसा नहीं है. एक शादीशुदा कपल अपनी ज़िंदगी में काफ़ी सारी प्रॉब्लम्स से गुज़रता है. वहीं कुछ लोगों का रिश्ता इतना पेचीदा होता है कि बात तलाक तक आ जाती है. हालांकि, बॉलीवुड इन सब चीजों को इग्नोर करता रहा है. ऐसे कुछ ही डायरेक्टर्स या प्रोड्यूसर्स हैं, जिन्होंने शादी से जुड़ी रियलिटी को दर्शाने की हिम्मत दिखाई है.
आज हम बात करेंगे बॉलीवुड की उन वेब सीरीज़ और मूवीज़ की, जिसमें शादी में आने वाली परेशानियों को दर्शाया गया है. (Bollywood Movies On Marriage Problems)
Bollywood Movies On Marriage Problems
1. बधाई दो
भूमि पेडनेकर और राजकुमार राव स्टारर इस मूवी में लैवेंडर मैरिज के कॉन्सेप्ट को दिखाया गया है. ये सुविधा का विवाह होता है, जहां दो अलग-अलग सेक्सुअल ओरिएंटेशन के लोग समाज के तानों से बचने के लिए एक-दूसरे से शादी कर लेते हैं. हालांकि, उनको एक-दूसरे में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है. लेकिन सोसायटी के द्वारा मानसिक दबाव से बचने के लिए उन्हें ऐसा करना पड़ता है. इस फ़िल्म ने दर्शाया कि ज़रूरी नहीं हर मैरिज हैप्पी हो.
2. कभी अलविदा ना कहना
करण जौहर द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म ने उस दौरान बेवफ़ाई जैसे टॉपिक पर फ़िल्म बनाई, जिस समय इसके बारे में लोग खुल कर बात भी करने से कतराते थे. इस फ़िल्म में एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर और हैप्पी मैरिज के भ्रम को बड़ी बारीकी से दर्शाया है. एक्सट्रामैरिटल अफेयर्स असल जिंदगी में आए दिन होते रहते हैं और बहुत से लोग दुखी विवाह में रहने के बजाय अलग हो जाते हैं. शाहरुख़ ख़ान, प्रीति ज़िंटा, अमिताभ बच्चन, रानी मुख़र्जी, अभिषेक बच्चन और किरण खेर जैसे स्टार्स ने मूवी में बेहतरीन भूमिका अदा की है.
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3. मनमर्ज़ियां
‘मनमर्जियां’ फ़िल्म आइडियल रोमांस, जबरदस्ती संघर्ष या उन बड़े-बड़े गेश्चर्स से मुक्त मॉडर्न रिश्तों के रियल वर्ज़न को चित्रित करती है. ये तीन कैरेक्टर्स की आपस में जुड़ी हुई रिलेशनशिप के उतार-चढ़ावों को दिखाती है. इसमें एक लड़की एक लड़के से प्यार करती है. वो उससे शादी करना चाहती है, लेकिन लड़का शादी के लिए रेडी नहीं होता है. गुस्से में आकर वो अपने परिवारवालों के पसंद किए हुए लड़के से अरेंज मैरिज करने के लिए तैयार हो जाती है. ये फ़िल्म आधुनिक समय के प्यार में कच्ची भावनाओं को पकड़ती है, जिसमें झगड़े, छोटे विश्वासघात और सुलह शामिल हैं.
4. कपूर एंड संस
ये पूरी मूवी एंटरटेनमेंट का एक पैकेज है. इस फ़िल्म में दो अलग रह रहे भाइयों को अपने घर वापस आना पड़ता है, जब उनके 90 वर्षीय दादाजी को हार्ट अटैक आ जाता है. दोनों के पेरेंट्स हमेशा बड़े भाई को ज़्यादा फ़ेवर करते हैं, क्योंकि वो ज़्यादा सक्सेसफ़ुल होता है. जहां दोनों भाइयों को एक साथ रहने में मुश्किलें होती हैं, वहीं उस दौरान दोनों के माता-पिता भी अपनी शादी में परेशानियों से जूझ रहे होते हैं. ये मूवी भी कॉम्प्लेक्स रिलेशनशिप को बड़ी ही ख़ूबसूरती से दर्शाती है. (Bollywood Movies On Marriage Problems)
5. अस्तित्व
कितनी अजीब बात है कि पुरुष किसी दूसरी औरत से संबंध बना सकते हैं और उन्हें माफ़ किया जा सकता है, जबकि एक महिला को इसके लिए क्षमा नहीं किया जा सकता है. ये फ़िल्म इसी विचारधारा पर रोशनी डालती है. फ़िल्म में अदिति (तब्बू) के पति को नौकरी की वजह से काफ़ी ट्रेवल करना पड़ता है. अपने ख़ाली टाइम को पास करने के लिए वो म्यूज़िक सीखने लगती है. इस बीच उसे अपने पति और अपनी बहन के अफ़ेयर के बारे में पता चलता है. वो ये सब सुनकर बहुत टूट जाती है और उसका अपने म्यूज़िक टीचर से अफ़ेयर शुरू हो जाता है. तब क्या होता है, जब उसके पति को अदिति के अफ़ेयर के बारे में सालों बाद पता चलता है, फ़िल्म इसी के बारे में है.
6. एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
इस फ़िल्म में स्वीटी (सोनम कपूर) अपनी होमोसेक्सुअलिटी का सीक्रेट अपने पिता से छुपा कर रखती है और अपने पिता की नज़रों में अच्छा बनने के लिए एक लेख़क से शादी कर लेती है. हालांकि, धीरे-धीरे मुसीबतें तब शुरू होती हैं, जब वो समाज के खिलाफ़ जाकर अपने प्यार के लिए लड़ने का फ़ैसला लेती है.
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7. दम लगा के हईशा
एक शादी में आकर्षण कितना महत्वपूर्ण है? अगर अरेंज मैरिज हो तो एक-दूसरे के लिए फ़ीलिंग्स आने में बहुत टाइम लग जाता है. इस फ़िल्म में एक कपल के बीच शादी के बाद धीरे-धीरे आने वाले प्यार के एहसास के बारे में बताया गया है.
शादीशुदा ज़िंदगी किसी ख़तरों के खिलाड़ी वाली फ़ीलिंग से कम है क्या.