‘जलसा’ समेत वो 10 हिंदी फ़िल्में, जिसमें महिला पत्रकारों के किरदार ने पूरी लाइमलाइट लूट ली

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Hindi Films Featuring Women Journalists: बॉलीवुड केवल मेल एक्टर्स के लिए ही नहीं, बल्कि एक्टर्स के रोल्स के साथ एक्सपेरिमेंट करने के लिए भी जाना जाता है. महिला क्रांतिकारी से लेकर पुलिस अफ़सर समेत ऐसे कई रोल्स हैं, जो इस पितृसत्तात्मक समाज में बॉलीवुड एक्ट्रेसेस ने बखूबी निभाए हैं. इन में से एक क़िरदार महिला जर्नलिस्ट का भी है. कई फ़िल्मों में एक्ट्रेसेस द्वारा निभाए गए फिक्शनल कैरेक्टर्स थे, तो वहीं कुछ रियल ज़िंदगी पर भी आधारित थे. हालांकि, एक बात तो क्लियर है कि हिंदी सिनेमा में महिला पत्रकारों को एक मज़बूत आज़ाद महिला की तरह दर्शाया जाता है, जो जनता को सच्चाई से रूबरू कराने की हिम्मत रखती है. 

आज हम आपको बॉलीवुड की उन 10 फ़िल्मों (Hindi Films Featuring Women Journalists) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके महिला पत्रकार के कैरेक्टर ने हमारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था. 

Hindi Films Featuring Women Journalists

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1. नूर

साल 2017 में आई ये फ़िल्म पाकिस्तानी नॉवेलिस्ट सबा इम्तियाज़ द्वारा लिखी गई क़िताब ‘कराची, यू आर किलिंग मी!’ पर आधारित थी. इसमें एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा ने ‘नूर’ नामक पत्रकार का क़िरदार निभाया है, जो वाकई क़ाबिल-ए-तारीफ़ है. फ़िल्म में वो फ़ीचर स्टोरीज़ पर ज़्यादातर काम करती हैं, लेकिन उनकी तमन्ना सीरियस रिपोर्टिंग करने की है. उन्हें एक अवैध अंगों के धंधे करने वाले गिरोह का पता चलता है, जो उनकी ज़िंदगी बदल कर रख देता है. 

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2. जलसा

इस वक्त ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मज़बूत महिला किरदारों से सजे कंटेंट आपको ख़ूब देखने को मिलेंगे. इन्हीं में से एक हाल ही में अमेज़न प्राइम पर रिलीज़ हुई विद्या बालन की फ़िल्म ‘जलसा’ है. फ़िल्म में माया मेनन (विद्या बालन) एक चर्चित न्यूज़ पोर्टल की जानी-मानी पत्रकार हैं. देर रात घर लौटते समय एक अनजान लड़की माया की कार से टकरा जाती है. घबराकर माया वहां से भाग निकलती है और अपराधबोध से ग्रस्त है. वो इस बात को छिपाना चाहती है, लेकिन उसकी ऑफ़िस ट्रेनी को उस दुर्घटना के कुछ सबूत हाथ लगते हैं. फ़िल्म अंत तक रोमांच बांधे रखती है. (Hindi Films Featuring Women Journalists)

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3. पीके

आमिर ख़ान स्टारर फ़िल्म ‘पीके’ को भला कौन भूल सकता है? इस फ़िल्म में अनुष्का शर्मा के पत्रकार वाले क़िरदार को भी ख़ूब सराहा गया था. इसमें अनुष्का के क़िरदार का नाम ‘जननी‘ होता है, जो अपने चैनल के लिए कोई ब्रेकिंग न्यूज़ ढूंढने के लिए स्ट्रगल कर रही होती है. उसका संघर्ष तब ख़त्म होता है, जब उसका संयोगवश सामना एक एलियन (आमिर ख़ान) से हो जाता है. ये फ़िल्म पूरी तरह से काल्पनिक है, लेकिन समाज को एक बेहतरीन संदेश देने में सफ़ल रहती है.

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4. मद्रास कैफ़े

ये एक राजनैतिक फ़िल्म है, जो 1980 और शुरुआती 1990 के दशक में ले जाती है. ये फ़िल्म श्रीलंका में तमिल संगठन द्वारा आजादी को लेकर उस दौरान चल रहे युद्ध के बारे में है. इसमें नरगिस फ़ाख़री ने एक ब्रिटिश जर्नलिस्ट जया साहनी का रोल प्ले किया है, जो सिविल वॉर के पीछे की सच्चाई जानने में लग जाती है और उसे उसी दौरान भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या से जुड़े कुछ सबूत हाथ लगते हैं. (Hindi Films Featuring Women Journalists)

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5. सत्याग्रह

भारत में भ्रष्टाचार की जड़ों को उजागर करती इस फ़िल्म का निर्देश प्रकाश झा ने किया है. फ़िल्म में करीना कपूर ख़ान ने यास्मिन अहमद का क़िरदार निभाया है, जो एक मज़बूत विचारों वाली टीवी रिपोर्टर हैं. वो राजनेताओं के एक ग्रुप को ज्वाइन कर सिस्टम की बर्बादी कर रहे एक यंग राजनेता के खिलाफ़ आंदोलन करने लगती हैं. करीना की एक्टिंग को इस फ़िल्म में ख़ूब सराहा गया था. (Hindi Films Featuring Women Journalists)

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6. सिंह साहब द ग्रेट

ये फ़िल्म एक ऐसे आदमी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक बदमाश को सुधारने का फ़ैसला करता है, जिसने उसे सबक सिखाने के लिए उसकी ज़िंदगी बर्बाद कर दी थी. उस अज्ञात हीरो की बैकस्टोरी का ख़ुलासा एक टीवी जर्नलिस्ट शिखा चतुर्वेदी (अमृता राव) करती हैं. उनका मानना है कि वो आदमी सबके सामने महान दिखने का ढोंग रच रहा है. फ़िल्म में दिखाया गया है कि एक महिला जर्नलिस्ट का कर्तव्य सुनी-सुनाई बातों को ध्यान में रखकर फैक्ट्स के माध्यम से सच को उजागर करना है. 

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7. मुंबई मेरी जान

‘मुंबई मेरी जान’ फ़िल्म साल 2006 में मुंबई में हुए ट्रेन ब्लास्ट की कहानी है, जो उसके बाद के प्रभावों का विश्लेषण करती है. कैसे ये दर्दनाक हादसा लोगों की ज़िंदगी पूरी तरह बदल देता है, फ़िल्म उसी के बारे में है. इनमें से एक व्यक्ति टीवी रिपोर्टर रुपाली जोशी (सोहा अली ख़ान) भी होती है. उसके मंगेतर की इस धमाके में मौत हो जाती है और उसी का न्यूज़ चैनल उसकी कहानी को तोड़-मड़ोड़ कर अपनी TRP को बढ़ाने की कोशिश करता है. फ़िल्म आपको बताएगी कि कैसे एक सक्सेसफ़ुल रिपोर्टर अपनी प्रोफ़ेशनल और पर्सनल ज़िंदगी की उधेड़बुन में ख़ुद को अकेला महसूस करती है.  

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8. लक्ष्य

इस फ़िल्म में प्रीति ज़िंटा ने रोमिला दत्ता का क़िरदार निभाया है, जो एक स्टूडेंट एक्टिविस्ट होने के साथ ही एक महत्वाकांक्षी पत्रकार भी है. इसमें उनके बॉयफ्रेंड का क़िरदार ऋतिक रोशन ने निभाया है. वक़्त के साथ दोनों के रास्ते अलग-अलग हो जाते हैं, लेकिन कुछ सालों बाद वो ‘कारगिल युद्ध’ में एक-दूसरे से टकराते हैं. कहा जाता है कि रोमिला का क़िरदार फ़ेमस जर्नलिस्ट बरखा दत्त पर आधारित है, जिन्होंने 1999 में हुए कारगिल युद्द को बड़े ही साहस के साथ निभाया था. 

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9. पेज 3

पेज 3 फ़िल्म को मधुर भंडारकर ने डायरेक्ट किया है, जो हमें कोंकणा सेन शर्मा द्वारा निभाए गए क़िरदार माधवी शर्मा की कहानी बताती है. वो एक यंग पत्रकार है, जो मुंबई में काम ढूंढ रही है. दीपक सूरी (बोमन ईरानी) एक न्यूज़पेपर का एडिटर है, जो उसे हायर कर लेता है और उसे अपने पेपर के सेक्शन पेज 3 के लिए सेलिब्रिटी न्यूज़ कवर करने की ज़िम्मेदारी सौंप देता है. मशहूर हस्तियों के साथ उसकी मुलाकात शर्मा को स्तब्ध और लाइमलाइट से मोहभंग कर देती है. 

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10. नो वन किल्ड जेसिका

जेसिका लाल मर्डर मिस्ट्री पर आधारित ये एक क्राइम थ्रिलर फ़िल्म है, जिसमें एक बहन अपनी बहन जेसिका के लिए इंसाफ़ की मांग करती है, जिसको एक पार्टी में मार दिया गया था. इसमें मीरा गैत नामक जर्नलिस्ट का क़िरदार रानी मुख़र्जी ने निभाया है, जिसको इस केस के बारे में एक न्यूज़पेपर के ज़रिए जानकारी मिलती है. मीरा को पहले जेसिका का केस बहुत सिंपल लगता है, लेकिन जब वो इसकी तहकीकात करती है तो इस मर्डर से जुड़े पॉलिटिकल कनेक्शन को जानकर वो स्तब्ध रह जाती है. वो अलग-अलग स्टिंग ऑपरेशन अपने एडिटर के साथ चलाती है, जो देश की टूटती कानून और व्यवस्था को उजागर करता है.

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ये क़िरदार बेहद इंस्पायरिंग हैं. 

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