कुछ इमारतें ईंट, पत्थर या कंक्रीट का खड़ा ढांचा मात्र नहीं होती हैं वो यादों, लोगों, रिश्तों और इतिहास पर ऐसा छाप छोड़ जाती हैं कि उस का ढह जाना आपको एक भारी त्रासदी जैसा लगता है.
मुंबई के चेम्बूर में बॉलीवुड का सुनहरा इतिहास लिए कभी खड़ा R.K. Studio एक ऐसी ही ऐतिहासिक इमारत थी जिससे फ़िल्मी जगत के दिग्गजों और ख़ुद भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक जाते देखा है.
आज़ादी के एक साल बाद ही बॉलीवुड के शोमैन, राज कपूर ने ये स्टूडियो 1948 में खड़ा किया था. राज कपूर के लिए ये स्टूडियो सिर्फ चार दीवारों तक सीमित नहीं था उनके लिए ये मंदिर था. जैसे भगवान की हर रोज़ सुबह पूजा की जाती है वैसे ही प्रतिदिन स्टूडियो में काम शुरू होने से पहले पूजा की जाती थी. राज कपूर के लिए ये स्टूडियो एक ज़रिया था अपने सिनेमा के प्रेम को अपने सामने और बढ़ते, सुंदर होते देखना. वह इससे इतना प्रेम करते थे कि उन्होंने एक बार अपने बड़े बेटे रणधीर कपूर से कहा ‘जब भी मैं मरूं, मुझे अपने स्टूडियो में ले चलना क्योंकि यह संभव है कि उस रोशनी की चमक के बीच मैं फिर से उठूं और चिल्लाऊं: एक्शन, एक्शन.’
1946 में आई फ़िल्म ‘वाल्मीकि’ में राज कपूर ने ‘नारद मुनि’ का किरदार निभाया था. इस फ़िल्म को भालजी पेंढारकर ने निर्देशित की थी. वह कपूर ख़ानदान के बेहद क़रीबी थे जिसकी वजह से सब उन्हें ‘मामा जी’ बुलाते थे. जब उन्होंने फ़िल्म में बेहतरीन अभिनय के लिए राज कपूर को पैसे देने चाहे तो पृथ्वीराज कपूर ने साफ़ इंकार कर दिया. मगर भालजी राज कपूर को कुछ न कुछ तो देना ही चाहते थे. तो उन्होंने चेम्बूर में कुछ ज़मीन का टुकड़ा उनके नाम कर दिया.
फ़िल्म ‘आग’ 1948 से राज कपूर ने निर्देशक की कुर्सी संभाली मगर फ़िल्म कुछ ख़ास नहीं चली. मगर 1949 में आई ‘बरसात’ ने नाम और पैसा दोनों कमाया जिसने R K Films को खड़ा होने में मदद की. इस फ़िल्म के बाद राज कपूर अपना एक स्टूडियो खोलना चाहते थे. तब भालजी पेंढारकर द्वारा भेंट की गई ज़मीन R.K. Studio बनाने के काम आ गई.
स्टूडियो के मुख़्य गेट पर बना चिह्न दरसल फ़िल्म ‘बरसात’ का वो सीन है जब नरगिस राज कपूर की बांहों में आकर गिर जाती हैं.
1988 में राज कपूर अपने पीछे आर.के. स्टूडियो के रूप में एक ऐसी बेमिसाल विरासत छोड़ गए जिसने न जाने कितने कलाकरों, निर्देशकों के जीवन को ही बदल दिया. 70 साल, 7 दशकों तक सिनेमा का यह मंदिर मुंबई और लोगों में धड़कता रहा.
आइए, अब आपको दिखाते हैं इस स्टूडियो की कुछ पुरानी तस्वीरें:
1. आर. के. स्टूडियो में फ़िल्म ‘ख़ुफ़िया’ की शूटिंग के दौरान विद्या सिन्हा और राज कपूर
2. स्टूडियो में एक्ट्रेस, नरगिस दत्त
3. आग लगने से पहले स्टूडियो में संभालकर रखी हुईं फ़िल्मों की यादें
4. स्टूडियो में होने वाली होली पार्टी के दौरान पूर्णिमा, नरगिस, निरुपा रॉय, स्मृति बिस्वास, शम्मी, नीलम और अनवर हुसैन
5. राज कपूर (एक दम दाएं और) होली की पार्टी के दौरान
6. स्टूडियो में होती पूजा
7. फ़िल्म ‘आवारा’ 1950 के दौरान शूटिंग के लिए तैयार होता स्टूडियो
8. स्टूडियो के एक कमरे में रखी हुईं कलाकारों द्वारा पहनी जाने वाली हर पोशाक
9. स्टूडियो में होली पार्टी के दौरान राज कपूर, शशि कपूर, जय किशन, राजेंदर
10. R.K. Studio की होली पार्टी उन सीनों सबसे चर्चित होती थीं.
11. नरगिस स्टूडियो में होली का मज़ा लेती हुईं
12. जीतेन्द्र, अमिताभ बच्चन और प्रेम चोपड़ा
13. स्टूडियो का हॉल
14. कपूर परिवार के सदस्यों की तस्वीरें दिवार पर लगी हुई
15. आर. के. स्टूडियो में राज कपूर
अपने स्टूडियो में बनी हर फ़िल्म उनके लिए इतनी ख़ास और क़रीब थी कि उन्होंने अपनी फ़िल्मों के कलाकारों द्वारा पहनी जाने वाली हर पोशाक को एक अलग कमरे में सुरक्षित रखा हुआ था. यही नहीं उन्होंने फ़िल्मों में इस्तेमाल की गई कुछ आइकोनिक चीज़ों को भी सहेज कर रखा हुआ था. जैसे – ‘जिस देश में गंगा बहती है’ फ़िल्म से ‘डफ़ली’, ‘श्री 420’ से ‘जूते और कोट’ या फिर फ़िल्म ‘मेरा नाम जोकर’ की ‘डॉल’.
दुर्भाग्य से 2017 में स्टूडियो में इतनी भयानक आग लग गई थी कि उस में कई सारी यादें जल गई थीं. जिसके बाद 2018 में कपूर ख़ानदान ने वित्तीय घाटों के चलते स्टूडियो को बेचने का फ़ैसला कर दिया.