Iconic Scenes Of Gadar Ek Prem Katha: ‘गदर 2’ (Gadar 2) 11 अगस्त को रिलीज़ होने के लिए तैयार है. सनी देओल (Sunny Deol) और अमीषा पटेल (Ameesha Patel) की इस फ़िल्म को लेकर काफ़ी बज़ बना हुआ है. लोग तारा सिंह और सकीना की लव स्टोरी को दोबारा पर्दे पर देखने के लिए बेताब हैं. साथ ही, उस एक्शन को भी, जो सनी देओल ने 22 साल पहले ‘गदर: एक प्रेम कथा’ (Gadar: Ek Prem Katha) में किया था. (Gadar Powerful Dialogues)
ऐसे में हमने सोचा क्यों ना आज ‘गदर: एक प्रेम कथा’ के उन आइकॉनिक सीन्स पर बात की जाए, जिन्होंने दो दशक पहले वाक़ई गदर मचा दी थी. तो चलिए देखते हैं-
1. सकीना को बचाने वाला सीन
दंगों के बीच में सकीना अपने परिवार से बिछड़ जाती है. कुछ दंगाई सकीना के पीछे पड़े होते हैं, तब ही तारा और सकीना की दोबारा मुलाकात होती है. यूं तो तारा ख़ुद उस वक़्त दंगाईयों में शामिल होता, मगर सकीना को देख उसे पुराने दिन याद आ जाते हैं. तारा बाकी दंगाईयों से सकीना को बचाने की ख़ातिर सबसे भिड़ जाता है. ऐसे में लोग कहते हैं कि ये मुसलामानी है..
इस पर तारा सिंह कहता है, “मुसलमानी है ये, मुसलमानी है, लो अब ये हो गई सिखनी… अब इसकी तरफ़ किसी ने आंख भी उठाई ना, तो वाहे गुरू जी दी सौ, गर्दन उखाड़ दूंगा.”
2. जट पागल हो गया है
ये सीन तो बवाल था. जिस रात तारा बचाकर सकीना को घर ले जाता है, उसकी अगली सुबह कुछ दंगाई वहां भी पहुंच जाते हैं. सकीना को मारने की कोशिश होती है और सनी की एक ज़बरदस्त दहाड़ सुनाई पड़ती है. एक दंगाई बोलता है, “जट पागल हो गया है, मारो इसे.”
उसके बाद तो तारा सिंह ने 20-25 आदमियों को अकेले धकेल के घर से बाहर कर दिया. आख़िर में तारा की दहाड़ सुनकर सारे दंगाई मैदान छोड़ भागते हैं और तारा दौड़ा-दौड़ कर उन्हें पीटता है.
3. तुम्हें इस्लाम क़ुबूल है?
गदर में काज़ी का किरदार इशरत अली ने निभाया था. पूरी फ़िल्म देख लीजिए, सनी देओल आपको कहीं भी डरते नज़र नहीं आएंगे. मगर उनका एक सीन काज़ी के साथ ऐसा है, जहां थोड़ा सा वो डरे नज़र आए. दरअसल, काज़ी उनसे पूछता है कि “तुम्हें इस्लाम क़ुबूल है” तो तारा कहता है कि “आदमी का सबसे बड़ा मज़हब है अपनी बीवी और बच्चों की हिफाज़त करना.”
काज़ी फिर आराम से पूछता है इस्लाम क़बूल है, मगर तारा फिर अलग डायलॉग बोल देता. तीसरी बार में काज़ी इस ग़ुस्से में पूछता है कि आवाज़ चारों ओर गूंज उठती है. तब जाकर तारा क़ुबूल है बोलता है. वाक़ई इशरत अली ने अपने छोटे से रोल में ही बड़ा इम्पैक्ट छोड़ा था.
4. अगर आज ये जट बिगड़ गया…
“एक कागज़ पर मोहर नहीं लगेगी तो क्या तारा पाकिस्तान नहीं जाएगा?” बिल्कुल जाएगा और जाता ही है. जब तारा पाकिस्तान में अशरफ़ अली की कोठी पर पहुंचता है तो देखता है कि सकीना की शादी होने जा रही है. यहां पहले तो 2-4 को पटकता है. मगर फिर अशरफ़ अली में ज़ुबानी जंग छिड़ जाती है.
अशरफ़ अली धमकाता है तो तारा कहता है “दुनिया जानती है कि बंटवारे के वक्त हम लोगों ने आप लोगों को 65 करोड़ रुपये दिए थे तब जाकर आपके छत पर तिरपाल आई थी. बरसात से बचने की हैसियत नहीं और गोलीबारी की बात कर रहे हैं आप लोग!” मगर जब फिर भी अशरफ़ अली के भेजे में बात नहीं जाती है तो तारा अपने स्टाइल में समझाता है, “बाप बनकर बेटी को विदा कर दीजिए, इसी में सबकी भलाई है, वरना अगर आज ये जट बिगड़ गया तो सैकड़ों को ले मरेगा.”
5. हैंडपंप सीन
अब ये सीन तो ऐसा मशहूर है कि इसके आगे किसी भी फ़िल्म का कोई सीन नहीं टिक सकता. आइकॉनिक शब्द भी इसके आगे कम है. याद तो आपको पूरा सीन होगा ही, मगर फिर भी हम अपनी तरफ़ से बता ही देते हैं. तारा इस्लाम कुबूल कर लेता है, मगर अशरफ़ अली की चुल्ल शांत नहीं होती. पहले वो इस्लाम ज़िंदाबाद बुलवाते हैं तो अपना तारा बोल देता. मगर फिर जैसे ही अशरफ़ अली कहता है कि बोलो हिंदुस्तान मुर्दाबाद. बस काम ख़त्म…. “अशरफ अली! आपका पाकिस्तान ज़िंदाबाद है, इससे हमें कोई ऐतराज़ नहीं लेकिन हमारा हिंदुस्तान ज़िंदाबाद है, ज़िंदाबाद था और ज़िंदाबाद रहेगा!”
इतना कहने पर भी बात अशरफ़ अली की समझ नहीं आती. उछलने लगते हैं कि नहीं बोलेगे तो सकीना नहीं मिलेगी. तब तारा कहता है कि ऐसा है, “अगर मैं अपने बीवी-बच्चे के लिए सर झुका सकता हूं, तो मैं सबके सर काट भी सकता हूं.” उसके बाद जो हैंडपंप उखाड़ कर तारा पाजी गदर मचाते हैं. उफ़्फ़! हज़ारों फ़िल्मों के फ़ाइट सीन जोड़ दो, फिर भी इत्ता भौकाली सीन नहीं बनेगा.
तो अब आप बताइए, पूरी गदर में आपका सबसे फ़ेवरेट सीन कौन सा था, और क्या गदर 2 का कोई सीन इनका मुक़ाबला कर पाएगा?
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