Kader Khan Birth Anniversary: जब मनमोहन देसाई ने कादर ख़ान की स्क्रिप्ट फाड़ कर फेंकने की बात कही

J P Gupta

Kader Khan Birth Anniversary: कादर ख़ान (Kader Khan) जितने अच्छे कलाकर थे उतने ही अच्छे लेखक भी. उन्होंने कई सुपरहिट फ़िल्मों के डायलॉग लिखे थे, जो आज भी लोगों के फ़ेवरेट बने हुए हैं. अग्निपथ का सुपरहिट डायलॉग ‘विजय दीनानाथ चौहान…’ उन्होंने ही लिखा था. कादर ख़ान ने अपने करियर में लगभग 250 से भी अधिक फ़िल्मों के संवाद लिखे थे. इनमें धर्म-वीर, गंगा जमुना सरस्वती, अमर अकबर एनथोनी, लवारिस, शराबी, अग्निपथ, सरफ़रोश, ख़ून भरी मांग, आतिश, हिम्मतवाला जैसी फ़िल्मों के नाम शामिल हैं.

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एक ज़माने में बॉलीवुड के शोमैन कहलाने वाले डायरेक्टर मनमोहन देसाई के साथ भी उन्होंने कई फ़िल्में की हैं. ये वो दौर था जब दोनों की जोड़ी होने पर फ़िल्म को सुपरहिट करार दे दिया जाता था. पर क्या आप जानते हैं, मनमोहन देसाई जब पहली बार उनसे मिले थे तो उन्होंने कादर ख़ान के साथ काम करने से मना कर दिया था? वजह थी उनका मुस्लिम होना. कादर ख़ान भी कहां मानने वाले थे उन्होंने भी उनको चैलेंज कर दिया और फिर जो हुआ वो इतिहास बन गया.

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मनमोहन देसाई और कादर ख़ान की पहली मीटिंग प्रोड्यूसर हबीब नाडियाडवाला ने करवाई थी. ये वो समय था जब मनमोहन देसाई अपनी फ़िल्म रोटी के लिए डायलॉग राइटर की तलाश कर रहे थे. मनमोहन देसाई जब उनसे मिले तो उन्होंने कादर ख़ान से साफ़ कह दिया, ‘देखो भाई मुस्लिम लेखकों के साथ काम करने से मुझे दिक्कत होती है क्योंकि ख़ालिस उर्दू मेरे पल्ले नहीं पड़ती.’

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कादर ख़ान को उनका ये तर्क बड़ा अजीब लगा. उन्होंने मनमोहन देसाई को समझाने की बहुत कोशिश की. तब उनकी बात रखते हुए मनमोहन ने कहा कि पहले काम देखूंगा, मुझे अच्छा लगा तो ठीक नहीं, तो स्क्रिप्ट फाड़कर गटर में फेंक दूंगा. कादर ख़ान ने उनका चैलेंज स्वीकार करते हुए कहा अगर काम अच्छा लगा तो? इस पर मनमोहन देसाई ने कहा कि फिर तो मैं उनको सिर पर बैठा कर घूमूंगा. 

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कुछ दिनों बाद कादर ख़ान कुछ सीन लिखकर उनके पास पहुंचे. मनमोहन देसाई ने सारे सीन पढ़े. एक के बाद एक पन्ना पलटते गए और उनमें खो गए. आख़िरी पेज पढ़ने के बाद उन्होंने कादर ख़ान को गले लगा लिया और कहा कि हम साथ काम करेंगे. जब मनमोहन देसाई ने उनसे फ़ीस पूछी तो कादर ख़ान ने अपने हिसाब से 25000 रुपये मांगे. तब मनमोहन ने उनसे कहा ‘मैं तुम्हें 1 लाख 25 हज़ार रुपये दूंगा.’ 

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कादर ख़ान को यक़ीन ही नहीं हो रहा था, वो ख़ुशी-ख़ुशी लौटने लगे तो मनमोहन ने उनको एक पोर्टेबल टीवी सेट और सोने का ब्रेसलेट भी दिया. इसके बाद कादर ख़ान और मनमोहन देसाई का जो रिश्ता जुड़ा वो मनमोहन देसाई की आखिरी सांस तक जुड़ा ही रहा. 

इस जोड़ी ने साथ मिलकर हिंदी सिनेमा को धर्मवीर, गंगा जमुना सरस्वती, कुली, देश प्रेमी, सुहाग, परवरिश, अमर अकबर एनथोनी जैसी फ़िल्मों की सौगात दी है. इन दोनों से जुड़ा ये दिलचस्प क़िस्सा आप यहां सुन सकते हैं. 

कादर ख़ान जितने अच्छे एक्टर-कॉमेडियन थे उससे कहीं अच्छे लेखक भी थे. उन्हें उनकी एक्टिंग ही नहीं डायलॉग्स के लिए हमेशा याद किया जाता है. वो कितने अच्छे डायलॉग राइटर थे उसकी एक झलक मुकद्दर का सिकंदर के इस सुपरहिट डायलॉग में है:

‘ज़िंदा हैं वो लोग जो मौत से टकराते हैं. मुर्दों से बदतर हैं वो लोग जो मौत से घबराते हैं.’

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