बिना पहचान Faiz Ahmad Faiz के साथ शराब पी, कमरे में सोए, जावेद अख़्तर ने सुनाया मज़ेदार क़िस्सा

Abhay Sinha

Javed Akhtar And Faiz Ahmad Faiz Funny Kissa: जावेद अख़्तर ने हाल ही में मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ से जुड़ा एक बेहद रोचक क़िस्सा शेयर किया है. ये क़िस्सा उन दिनों का है, जब जावेद अख़्तर महज़ 20-21 साल की उम्र के थे और फ़ैज़ साहब बॉम्बे एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे. (Happy Birthday Javed Akhtar)

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जावेद अख़्तर बताते हैं कि उस दिन मैंने काफ़ी ड्रिंक कर रखी थी. मालूम पड़ा कि फ़ैज़ साहब का मुशायरा है. मगर इतने पैसे नहीं थे कि मुंबई लोकल ट्रेन का टिकट लेकर कार्यक्रम वाली जगह पहुंच सकूं तो मुशायरा का टिकट लेना तो दूर की बात है.

Javed Akhtar And Faiz Ahmad Faiz Funny Kissa

हालांकि, पीने के बाद अचानक हिम्मत आ गई और वो बिना टिकट पहले ट्रेन से मुशायरे में पहुंचे और अंदर भी चले गए. हालांकि, वहां उन्होंने मुशायरा नहीं सुना, बल्क़ि स्टेज के किनारे जाकर सो गए. जब उठे तो देखा मुशायरा ख़त्म और लोग जा चुके हैं. मगर फ़ैज़ साहब वहां फ़ैन्स की भीड़ से घिरे थे.

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बिना जान-पहचान फ़ैज़ साहब के साथ लगाए पेग

जावेद अख़्तर ने बताया, ‘मैं तेज़ी से उनकी तरफ़ गया और वॉलेंटियर को हड़काया. क्या कर रहे हो तुम, इन्हें कंट्रोल नहीं कर सकते. आइए फ़ैज़ साहब इधर आइए. फिर मैं फ़ैज़ साहब के साथ गाड़ी में बैठा और उनके होटल के कमरे में आ गया.’

अब मज़ेदार बात ये थी कि फ़ैज़ साहब को जावेद अख़्तर के बारे में कुछ पता ही नहीं था. उन्हें लगा कि वो शायद ऑर्गनाइज़र के ख़ास आदमी होंगे. वहीं, बाकियों को लगा कि लड़का फ़ैज़ साहब से बात कर रहा है तो ज़रूर वो इन्हें जानते होंगे.

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इसके बाद जावेद अख़्तर, फ़ैज़ साहब के साथ उनके कमरे में चले गए. इतना ही नहीं, दोनों ने बैठ कर Whisky के पेग भी पिए. कमरे में जो भी आता वो इन्हें बातचीत करते देखता तो समझता कि शायद इनकी जान-पहचान है. इसके बाद जावेद अख़्तर के जब ज़्यादा चढ़ गई तो उन्होंने फ़ैज़ साहब से कहा कि वो अब सोने जा रहे हैं और उन्हीं के कमरे में वो सो भी गए.

जब सुबह पहुंची ऑर्गनाइज़र

सुबह-सुबह जावेद अख़्तर की आंख खुली तो उन्होंने बाहर कमरे में कुछ आवाज़ सुनी. ये आवाज़ मशहूर रेडियो जॉकी अमीन सयानी की मां कुलसुम सयानी की थी. वो ही शो की ऑर्गनाइज़र थीं.

अब दूसरे कमरे में फ़ैज साहब का जर्नलिस्ट इंटरव्यू ले रहे और कुलसुम सयानी सोच-सोच कर परेशान हो रहीं कि ये मुंह पर चादर डाले शख़्स कौन है. वो बातचीत के दौरान लोगों से पूछ भी रहीं कि आख़िर ये शख़्स कौन है.

इस दौरान जावेद अख़्तर मुंह पर चादर ओढ़े सारी बातचीत सुन रहे थे. अब वो किसी को कुछ पूछने का मौक़ा नहीं देना चाहते थे. ऐसे में वो अचानक बिस्तर से उठे और बोले- ‘फ़ैज़ साहब मैं चलूं?’ सामने से जवाब आया कि ‘हां मियां, आप जाइए.’

बस फ़ैज़ साहब का इतना बोलना था और जावेद अख़्तर वहां से निकल लेते हैं.

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