पवन मल्होत्रा: वो दमदार अभिनेता जिसने करियर बनाने के लिए झाड़ू लगाने से लेकर ब्रेड तक बेची

Nripendra

Journey of Pawan Malhotra In Hindi: इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी को सफलता बहुत जल्द मिल जाती है, जबकि कईयों को लंबा वक़्त लग जाता है. बॉलीवुड फ़िल्म इडंस्ट्री में भी कुछ ऐसा ही है. आज बॉलीवुड में अपनी एक्टिंग और रुतबे का जलवा दिखाने वाले कई ऐसे स्टार्स हैं जिनका लंबा समय स्ट्रगल में गया और अपना करियर बनाने के लिए हर संभव काम किया. एक ऐसे ही दमदार एक्टर के बारे में हम इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिन्हें आपने टेलीविज़न से लेकर फ़िल्मी परदों पर कई बार देखा होगा. 

आइये, अब सीधा आर्टिकल पर डालते हैं नज़र

पवन मल्होत्रा

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Journey of Pawan Malhotra In Hindi: बहुतों को इस बात की जानकारी नहीं होगी कि एक्टर पवन मल्होत्रा का परिवार भारत के उस हिस्से में रहता था, जो आज पाकिस्तान कहलाता है. विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली के राजेंद्र नगर आ गया था. एक्टर पवन मल्होत्रा का जन्म 2 जुलाई 1958 को एक पंजाबी फ़ैमिली में हुआ था. पवन अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे, इसलिये सभी लाड भी उन्हें ज़्यादा किया करते थे.

उनके पिता मशीनी टूल्स का व्यापार करते थे. 

एक्टिंग में दिलचस्पी

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Journey of Pawan Malhotra In Hindi: उनके बारे में कहते हैं कि उन्होंने स्कूल के दिनों से ही एक्टिंग में कदम रख दिया था, जब उनका एक दोस्त उन्हें Ruchika Theatre ले गया था. उनके एक दोस्त ने जब उन्हें एक प्ले में भाग लेने के लिए कहा, तो वो तुरंत राज हो गए, लेकिन उन्हें लगा कि ये किसी त्योहार के लिए होगा. पवन तब हैरान हो गए जब उन्हें पता चला कि इस प्ले को देखने के टिकट कटाएं जाएंगे.

पवन मल्होत्रा ने तुगलक नाम के प्ले में 6 अलग-अलग किरदार निभाए थे. उस दौरान पवन को प्ले और उनके ज़रिये दिये जाने वाले संदेशों की उतनी समझ नहीं थी, लेकिन वक़्त के साथ-साथ वो सब समझ गए.

जब पवन को थियेटर छोड़ना पड़ा

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Bollywood Actor Pawan Malhotra In Hindi: पवन मल्होत्रा थियेटर में अच्छा कर रहे थे. अख़बारों में उनका नाम भी आने लग गया था. उनके अभिनय की तारीफ़ की जाने लगी थी. लेकिन, अचानक उनकी ज़िंदगी में एक ऐसा मोड़ आया कि उन्हें थियेटर छोड़ना पड़ गया. दरअसल, उनके पिता ने उन्हें अपना व्यापार संभालने के लिए बोल दिया था. इस वजह से उन्हें थियेटर छोड़ना पड़ा. 

वार्डरोब असिस्टेंट के रूप में काम

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Journey of Pawan Malhotra In Hindi: 1982 में फ़िल्म ‘गांधी’ की प्रोडक्शन टीम के ज़रिये उन्हें वार्डरोब असिस्टेंट के रूप में काम करने का मौक़ा मिला. इसके बाद उन्होंने 1983 में आई फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ और 1986 में आई ‘ख़ामोश’ में प्रोडक्शन असिस्टेंट के रूप में काम मिला. फ़िल्मों के बीच रहकर उन्हें आगे इसी में ही जाने का फैसला कर लिया. 

मुंबई आकर आर्थिक तंगी का सामना

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अपना करियर बनाने के लिए पवन मल्होत्रा मुंबई के लिए रवाना हो गए. लेकिन, उनके परिवार में कोई एक्टिंग करियर में नहीं था  और न ही उनका कोई गोडफ़ादर था. इसलिए, उन्हें जल्द कई बड़ा काम नहीं मिला. इस पर उन्होंने कहा था कि, “मुझे 1984 में एक टीवी सीरियल ‘ये जो है जिंदगी’ में एक असिस्टेंट के तौर पर काम मिला था, लेकिन उस काम से उतने पैसे नहीं मिलते थे, तो उस दौरान आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा.” 

आर्थिक परेशानी झेलने के बावजूद पवन मल्होत्रा ने अपने पिता से मदद नहीं मांगी, बल्कि ख़र्च उठाने के लिए उन्होंने कई अन्य काम भी किए, जैसे फैक्ट्री में बची हुई ब्रेड को बेचना और गौशाला में जाकर गायों को खाना खिलाना. 

वहीं, एक इंटरव्यू में पवन ने कहा था कि, “जब मैं अपने पिता के साथ दिल्ली में रहता था, तो मुझे उन्होंने अपने दफ़्तर में झाड़ू लगाने का काम मुझे दिया था. मैं अपने पिता के ऑफ़िस में झाड़ू लगाने का काम करता था. इस पर मेरे पिता कहते थे कि अगर तुमने ये काम नहीं सीखा, तो तुम जीवन में कुछ नहीं सीख पाओगे. वो ये भी कहते थे कि मुझे अहंकार को दूर रखना भी सीखना होगा.”

‘नुक्कड़’ से हुए मशहूर 

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हर किसी की लाइफ़ में टर्निंग प्वाइंट ज़रूर आता है. पवन मल्होत्रा की ज़िंदगी में ‘नुक्कड़’ टीवी शो को टर्निंग प्वाइंट कहा जाता है. इस टीवी शो ने पवन मल्होत्रा को फ़ेमस कर दिया था. इसके बाद उन्हें फ़िल्मों में काम मिलना शुरू हो गया. पवन मल्होत्रा फ़िल्म ‘सलीम लंगड़े पर मत रो’ और ‘बाग बहादूर’ में नज़र आए. इन दो फ़िल्मों को नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया था. हालांकि, अब तक उन्हें मुख्य किरदार नहीं मिला था. 

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बड़ी फ़िल्मों में मिला काम  

Pawan Malhotra ने अपना संघर्ष जारी रखा. कई बार वो रिजेक्ट भी हो जाते, लेकिन हार कभी नहीं मानी. घड़ी का कांटा घूमा और उन्हें सुभाष घई और यशराज की फ़िल्मों में काम करने का मौक़ा मिला. 

फ़िल्म ‘परदेश’ में पवन एक्टर शाहरुख ख़ान के दोस्त के रूप में नज़र आए थे. वहीं, ‘बदमाश कंपनी’ में वो शाहिद कपूर के मामा को रोल निभाया था. 

ब्लैक फ़्राइडे में बने टाइगर मेमन 

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Pawan Malhotra ने फ़िल्मों में नेगेटिव और पॉज़िटिव हर तरह के रोल निभाए. फ़िल्म ब्लैक फ़्राइडे में उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन टाइगर मेमन की भूमिका निभाई थी. ये फ़िल्म अनुराग कश्यप ने डायरेक्ट की थी. 

और भी कई बढ़िया फ़िल्मों में किया काम

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उन्होंने  2006 में आई फ़िल्म ‘डॉन’, ‘जब वी मेट’, मान गए मुगल-ए-आज़म, दिल्ली-6, बैंग-बैंग, फैमिली ऑफ़ ठाकुरगंज व भाग मिल्खा भाग जैसे फ़िल्मों में काम किया. 

इसके अलावा, उन्होंने डिज़नी हॉटस्टार पर आई ‘ग्रहण’ वेब सीरीज़ में जबरदस्त रोल निभाया है. ये सीरीज़ लेखक सत्य व्यास की किताब ‘चौरासी’ पर आधारित है.   

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