जेब में नहीं थे पैसे, बेचना चाहते थे किडनी, पढ़ें KGF के म्यूज़िक डायरेक्टर के संघर्ष की कहानी

Abhay Sinha

KGF Music Director Ravi Basrur Success Story: सफ़लता हासिल करना इतना आसान नहीं होता है. मंज़िल से पहले न सिर्फ़ गिरने का डर होता है, बल्क़ि टूट जाने का भी ख़तरा बना रहता है. हालांकि, जो बार-बार गिरने के बावजूद खड़ा हो जाए, आख़िर में मंज़िल उसके कदम चूम ही लेती है. ‘KGF’ और ‘किसी का भाई किसी की जान’ (Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan) जैसी फ़िल्मों के म्यूज़िक डायरेक्टर रवि बसरूर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. आज वो भले ही म्यूज़िक कंपोज़ करने के लिए करोड़ों रुपये चार्ज करते हों, मगर एक वक़्त ऐसा भी था, जब उनके पास खाने के लिए 10 रुपये भी नहीं थे. हालात इतने ख़राब थे कि उन्होंने अपनी किडनी बेचने तक का फ़ैसला कर लिया था. (Ravi Basrur Was Ready To Sell His Kidney)

मूर्तियां बनाने का काम करते थे रवि

किरन उर्फ़ रवि बसरूर बेहद ग़रीब परिवार से आते हैं. रवि के परिवार में मूर्तियों की शिल्पकारी करने का काम था. ख़ुद रवि ने एक मूर्तिकार, मज़दूर, सुनार, दर्जी के रूप में काम कर चुके हैंं. लोगों के घर में पेटिंग तक उन्होंने की. (Music Director Ravi Basrur Struggle)

उनकी शैक्षिक योग्यता के बारे में पूछे जाने पर रवि ने बताया, ‘मैं कक्षा 8 में फ़ेल हो गया. 9वीं नहीं दी और सीधे क्लास 10 का एग्ज़ाम दिया. मुझे कभी इस बात की चिंता नहीं थी कि मैं पास हुआ या नहीं.’

टॉयलेट में रहे, बेचना चाहते थे किडनी

रवि ने बताया कि वो दिन में प्रभु यीशु की मूर्ति बनाते थे और रात में पब और रेस्टोरेंट में म्यूज़िक बजाते थे. एक बार उनके लोकल परफ़ॉर्मेंस के दौरान किसी ने उनसे बड़े वादे किए और कहा कि वे उन्हें एक बड़े पब में मौक़ा देंगे. रवि ने अपने पूरे दिन की नौकरी छोड़ दी, म्यूज़िक इंस्ट्रूमेंट उठाया और वहां पहुंचे. मगर उन्होंने देखा कि पुलिस ने पब को छापा मारकर बंद कर दिया है. रवि के पैरों के नीचे से मानो ज़मीन निकल गई. (Ravi Basrur Songs)

‘मैं टूट गया था. कोई नौकरी नहीं थी, रहने की जगह नहीं थी और मैं अपनी पिछली नौकरी पर वापस भी नहीं जा सकता था. मैं ठाणे में रेलवे स्टेशन पहुंचा तो पता चला कि उस दिन बम विस्फोट हुआ था. पुलिस ने मुझे पकड़ लिया. उन्होंने मेरा गिटार और तबला तोड़ दिया, ये जानने के लिए कि कहीं बम तो नहीं है.’

उसके बाद रवि ने बॉम्बे से मैंगलोर के लिए ट्रेन पकड़ी. वो टॉयलेट में बैठ कर पूरे रास्ते रोते रहे. वापस लौटने पर रवि को नौकरी नहीं मिली. परिवार चलाने के लिए उन्होंने अपनी किडनी बेचने का फ़ैसला किया. वो मैंगलोर के एक अस्पताल में भी पहुंचे. हालांकि, ऑपरेशन थियेटर में जाने से पहले ही वो घबरा गए और वहां वापस लौट आए.

इसके बाद रवि ने कई तरह की नौकरियां की. सार्वजनिक शौचालय में सोने के लिए गार्ड को हर रोज़ 3 रुपये दिए. उस समय एक वक़्त ऐसा भी आया, जब उनके पास खाने को 10 रुपये नहीं थे. ऐसे में मंदिरों में जाकर उन्होंने खाना खाया.

जब बदली रवि की किस्मत

संघर्ष जितना बड़ा होता है, सफ़लता भी उतनी ही बड़ी मिलती है. रवि के साथ भी ऐसा ही हुआ. उनके अच्छे दिन आने लगे. एक दोस्त ने उन्हें कीबोर्ड दिया और रेडियो स्टेशन पर उनकी 15,000 रुपये में नौकरी लग गई. तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्हें अपना पहला फ़िल्मी ब्रेक अर्जुन ज्ञान के साथ मिला. बसरूर को पहली बड़ी सफ़लता ‘उग्रम’ में मिली. फिर KGF ने तो धमाल ही मचा दिया. KGF उनके करियर का मील का पत्थर साबित हुई, उसके म्यूज़िक पर उन्होंने तीन साल तक काम किया था.

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रवि ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने फ़िल्म के गानों को भाषा के बंधन में नहीं बांधा. ऐसी धुन बनाई जिसे हर भाषा के शब्दों में पिरोया जा सकता था, वो भी बिना उसके मर्म के साथ खिलवाड़ किए. रवि बसरूर ने सलमान की पिछली फ़िल्म ‘अंतिम: द फाइनल ट्रूथ’ के लिए म्यूज़िक दिया था. और फिर अब उनकी हाल ही में रिलीज़ हुई ‘किसी का भाई किसी की जान’ भी उन्होंने म्यूज़िक दिया, जो काफ़ी हिट साबित हो रहा है.

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