वो मतलबी हैं, वो बुरे हैं, वो डरावने भी हैं, साथ ही वो आपकी एक झटके में पैंट गीली करने का दमखम रखते हैं. हां, हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड के आइकॉनिक विलेन्स की. ज़्यादातर बॉलीवुड फ़िल्मों की कहानी में इन विलेन का अतीत काफ़ी मुश्किल दिखाया जाता है, जिसकी वजह से वो दूसरों की ज़िन्दगी बेकार करते हैं. वहीं, कुछ ऐसे भी होते हैं जिनको बस हीरो को नाक में दम करना होता है.
ऐसे ही एक विलेन के शुरुआती दिनों की तस्वीर काफ़ी वायरल हो रही है. इनकी गिनती 80-90 के दशक के फ़ेमस विलेन में की जाती है. पर्दे पर निगेटिव रोल निभाकर उन्होंने ख़ूब नाम कमाया. साथ ही उन्होंने हिंदी ही नहीं, बल्कि भोजपुरी और गुजराती फ़िल्मों में भी अपना दमखम दिखाया है. क्या आपने इस विलेन को पहचाना?
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गुंडागर्दी के चलते कॉलेज से निकाले गए
ये एक्टर बचपन से ही काफ़ी शरारती था. ज़्यादा लाड़-प्यार के चलते वो काफ़ी बिगड़ गए थे. अपने बेटे की शरारतों से तंग आकर उनके पिता अजित कुमार ने उन्हें बोर्डिंग स्कूल भेज दिया था. इस दौरान उन्होंने कई नाटकों में भाग लिया. बोर्डिंग स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके पिता ने उन्हें शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughn Sinha) से मिलवाया. सिन्हा ने उनको FTII में एडमिशन लेने की सलाह दी. यहां उन्होंने एडमिशन लिया. उनकी ठीक-ठाक पढ़ाई चल रही थी, फिर अचानक से एक दिन एक्टिंग डिपार्टमेंट के छात्रों की डायरेक्शन डिपार्टमेंट के छात्रों से किसी बात पर भिड़ंत हो गई. बात इतनी आगे चली गई कि पुलिस तक पहुंच गई. इसके बाद किरण कुमार समेत चार और स्टूडेंट्स को कॉलेज से निकाल दिया गया.
45 दिनों तक दिया कॉलेज में धरना
इस फ़ैसले से एक्टिंग डिपार्टमेंट के बच्चों में गुस्से की लहर दौड़ गई. उनका कहना था कि लड़ाई तो डायरेक्शन वालों ने भी की थी, फिर उनके ख़िलाफ़ एक्शन क्यों नहीं लिया गया. वो पूरे कॉलेज के साथ मैनेजमेंट वालों के ख़िलाफ़ धरने पर बैठ गए. 45 दिनों तक कॉलेज बंद रहा और ये मामला सुलझाने के लिए एक कमिटी बनाई गई. फ़ेमस फ़िल्ममेकर ख्वाजा अहमद अब्बास कमेटी का हिस्सा थे. उन्होंने इस एक्टर को ख़ूब लताड़ लगाई और अगले दिन अपने गेस्ट हाउस बुलाया. अगले दिन गेस्ट हाउस पहुँचने पर उन्होंने एक्टर से कहा- “मैं एक फिल्म बना रहा हूं ‘दो बूंद पानी, उसमें लंबू इंजीनियर की ज़रूरत है, रोल करना चाहोगे.” यही से एक्टर का फ़िल्मी सफ़र शुरू हुआ.
एक्टर की फ़ेमस फ़िल्में
ये एक्टर कोई और नहीं, बल्कि किरण कुमार (Kiran Kumar) हैं. ‘दो बूँद पानी’ फ़िल्म से डेब्यू करने के बाद वो चालाक, अपराधी, आज़ाद मोहब्बत, मिस्टर रोमियो, कालाबाज़ार, महादेव जैसी कई फ़िल्मों में दिखाई दिए. इसके अलावा उनकी फ़ेमस फ़िल्मों में दरार, खुदगर्ज, तेज़ाब, काला बाज़ार, आज का अर्जुन, थानेदार, पत्थर के फूल, खून का कर्ज, हिना, बोल राधा बोल, कुदरत, आग ही आग, धड़कन, ये है जलवा, एलओसी कारगिल और बॉबी जासूस शामिल हैं.
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