दीपक तिजोरी: 90’s का वो एक्टर जो फ़िल्म में हीरो की हीरोइन से पहले सेलेक्ट हो जाता था

Akanksha Tiwari

‘दीपक तिजोरी’ 

हिंदी सिनेमा का वो अभिनेता जो बॉलीवुड में हीरो बनने आया था, पर असल में साइड हीरो बन कर रह गया. दीपक तिजोरी की पर्सनल और प्रोफ़ेशन लाइफ़ दोनों ही काफ़ी दिलचस्प हैं. इसलिये कुछ शब्दों में एक्टर के पूरे करियर और अब तक की ज़िंदगी को बयां करना थोड़ा मुश्किल है. हांलाकि, उनके बारे में कुछ किस्से लेकर आये हैं. जिन्हें पढ़ने के बाद शायद दर्शकों को दोबारा उनके प्रति प्यार जाग उठे. 

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ये एक्टर शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्मों से उड़ा ले गया उनकी हीरोइन

शाहरुख़ ख़ान हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में रोमांस के बादशाह हैं. न जाने कितने ही स्टार्स ने उनकी फ़िल्मों से टिप्स लेकर फ़िल्मों में कदम रखा होगा. मगर दीपक तिजोरी इकलौते ऐसा अभिनेता है, जिसने किंग ख़ान की 2 फ़िल्मों में लीड हीरोइनों को अपना बना लिया था. इसका मतलब ये है कि बंदे कि एक्टिंग में दम था.  

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रह गये थे हीरो के दोस्त या भाई बन कर

दीपक तिजोरी ने अपने करियर की ज़्यादातर फ़िल्मों में हीरो के दोस्त का रोल निभाया था. आलम ये था कि फ़िल्म में हीरो की हीरोइन बाद में सेलेक्ट होती, पर दोस्त के रूप में इनका सेलेक्शन पहले हो जाता था. धीरे-धीरे फ़िल्मों का पैटर्न चेंज होने लगा और हीरो अपने दम पर फ़िल्में चलाने लगे. बस यहीं से दीपक तिजोरी का हीरो बनने का सपना टूटता चला गया. हांलाकि, एक फ़िल्म ऐसी आई थी, जिसमें दीपक तिजोरी लीड रोल में थे और सहायक किरदार में आमिर-शाहरुख़ थे. मगर किस्मत ने साथ नहीं दिया और दर्शकों ने इस फ़िल्म को बुरी तरह अस्वीकार कर दिया. 

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इसके बाद उन्होंने ‘फ़रेब’ (2005), ‘टॉम डिक एंड हैरी’ (2006), ‘ख़ामोश- खौफ़ की रात’ (2003) और ‘फ़ॉक्स’ (2009) जैसी फ़िल्मों से डायरेक्शन की दुनिया में भी कदम रखा. पर इधर भी नाकामयाबी ही उनके हाथ लगी और धीरे-धीरे वो फ़िल्मी दुनिया का गुमनाम नाम बन गये. मगर उन्होंने इन हालातों में भी हार नहीं मानी और टीवी की दुनिया में कदम रखा. दीपक तिजोरी ने टीवी के कुछ धारावाहिकों में काम किया, जिसे लोगों ने ख़ूब पसंद भी किया. 

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करियर की शुरुआत

दीपक तिजोरी का जन्म 28 अगस्त 1961 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने पढ़ाई-लिखाई के साथ एक थिएटर ग्रुप जॉइन किया, जहां परेश रावल, आशुतोष गोवारिकर और विपुल शाह ने उनकी एक्टिंग की खू़ब तारीफ़ किया करते थे. 

एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि पहली फ़िल्म में सपोर्टिंग एक्टर का रोल इसलिये किया था कि आगे चलकर लीड रोल करेंगे. लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ. 

होता है बड़े-बड़े शहरों में बड़े-बड़े लोगों के साथ ऐसी बड़ी-बड़ी चीज़ें हो जाती हैं. 

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