Kaun Banega Crorepati Special Guest Ravi Bapatle: देवियों और सज्जनों चलिए मिलकर खेलते हैं… इन दिनों भारत के हर दूसरे घरों में ये आवाज़ सुनाई देती है. ये आवाज़ है सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की. वो फ़ेमस टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति को होस्ट करते हैं.
टीवी पर इस शो का 15वां सीज़न जारी है. इस शो में एक स्पेशल गेस्ट भी पहुंचे. ये ऐसे शख़्स हैं जो HIV-positive बच्चों का जीवन सुधारने में लगे हुए हैं. इस शो में वो अपनी संस्था हैप्पी इंडियन विलेज और सेवालय (Happy Indian Village and Sevalay) के लिए चंदा एकत्रित करने आए थे.
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शो में हर सही जवाब पर इस संस्था को 1 लाख रुपये मिलने थे. इस संस्था को पूरे 15 लाख रुपये कौन बनेगा करोड़पति-15 के इस स्पेशल एपिसोड से मिले. ये शख़्स कौन हैं, चलिए इसके बारे में भी आपको बता देते हैं.
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HIV पीड़ित लोगों के अनाथ बच्चों को दे रहे हैं सहारा
इस नेक इंसान का नाम है रवि बापटले. रवि महाराष्ट्र के लातूर ज़िले के रहने वाले हैं. ये एचआईवी पीड़ित लोगों के अनाथ बच्चों को सहारा देकर उनकी ज़िंदगी में ख़ुशियां भरने की कोशिश कर रहे हैं. इस नेक काम की शुरुआत 2016 में हुई जब रवि ने एक HIV पॉजिटिव रोगी के बच्चे को अकेले तड़प-तड़प कर मरते देखा. गांव वालों ने उसे गांव से बाहर निकाल दिया था, उसकी मदद करने कोई आगे न आया और वो एक दिन चल बसा.
छोड़ दी अपनी नौकरी
इतना ही नहीं कोई भी उसके दाह संस्कार के लिए आगे नहीं आया. तब रवि ने ही अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसका अंतिम संस्कार किया था. इस घटना के बाद ही रवि ने अपनी पत्रकार वाली जॉब छोड़ दी और अपना जीवन इस तरह के अनाथ बच्चों के नाम कर दिया. इस नेक काम में बहुत बाधाएं आई, लोग ही नहीं कुछ राजनीतिज्ञ भी उनके ख़िलाफ थे. मगर वो डटे रहे.
हैप्पी इंडिया विलेज की हुई स्थापना
रवि बापटले ने सरकार के साथ मिलकर आख़िर हैप्पी इंडिया विलेज की स्थापना कर दी. पहले उनके इस बड़े से झोपड़ीनुमा घर में एक ही HIV पॉजिटिव रोगी का अनाथ बच्चा रहता था. बाद में जैसे-जैसे उन्होंने आस-पास लोगों को जागरूक किया तो ये संख्या बढ़ने लगे. संख्या बढ़ी तो बच्चों की शिक्षा का इंतजाम तो करना ही था. इसके लिए पहुंच गए स्कूल, मगर स्कूल में बच्चों को दाखिला देने से गांव वालों को एतराज था.
बच्चों के लिए सूली पर चढ़ने को थे तैयार
उन्हें डर था कि उनकी वजह से ये बीमारी उनको भी न लग जाए. मगर रवि ने उन्हें ख़ूब समझाया, बीमारी के प्रति जागरूक किया और जब वो नहीं माने तो यहां तक कह दिया था कि अगर उनके बच्चों की वजह से किसी भी स्टूडेंट को ये बीमारी हुई तो वो उसे चौराहे पर फांसी पर लटका दें. इतना कहने पर ही वो माने.
100 से अधिक बच्चों का संवारा जीवन
आज इनके इस अनोखे गांव की बदौलत 100 से अधिक HIV पॉजिटिव रोगियों के अनाथ बच्चों को मदद मिल चुकी है. रवि बापटले के यहां पले-बढ़े बच्चे कुछ इंजीनियर बन चुके हैं तो कुछ बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम कर रहे हैं. इन बच्चों की मदद के लिए ये महाराष्ट्र ही नहीं आस-पास के राज्यों में जाकर चैरिटी प्रोग्राम करते हैं.
कुछ दानवीरों और रवि बापटले की मेहनत की वजह से इन बच्चों का जीवन संवर रहा है. रवि बापटले किसी मसीहा से कम नहीं.