आजकल बहुत सी फ़िल्में-वेब सीरीज़ रिलीज़ हो रही हैं. इनमें से कुछ याद रह जाती हैं तो कुछ आई-गई हो जाती हैं. लेकिन कुछ ऐसी फ़िल्में भी होती हैं जो हमेशा-हमेशा हमें याद रह जाती हैं. इन्हें ख़ास बनाते हैं इनके कुछ ख़ास सीन. ये हमारे दिलों पर गहरी छाप छोड़ जाते हैं, ऐसी की इनकी जगह कोई नहीं ले सकता.
चलिए आज आपको बॉलीवुड की ख़ास फ़िल्मों के सीन बता देते हैं जो हमेशा-हमेशा के लिए हमारे ज़ेहन में क़ैद हो गए हैं.
1. बर्फी- लैंप पोस्ट सीन
वैसे तो ये पूरी ही फ़िल्म यादगार थी, लेकिन इसके लैंप पोस्ट वाले सीन को भुलाया नहीं जा सकता. इस सीन में बर्फी(रणबीर कपूर), झिलमिल(प्रियंका चोपड़ा) का इम्तिहान लेता है कि उसे उस पर विश्वास है कि नहीं.
2. तारे ज़मीन पर- निकुंभ की पेंटिंग को देखता ईशान
इस सीन में ईशान अपने टीचर द्वारा बनाई गई ख़ुद की पेंटिंग को देख भावुक हो जाता है. इसके बाद जब उसे फ़र्स्ट प्राइस मिलता है तो वो दौड़कर अपने टीचर के गले लग जाता है. इसे देखने के बाद आप भी भावुक हुए बिना नहीं रह पाएंगे.
3. मुन्ना भाई एमबीबीएस- मकसूद भाई की जादू की झप्पी
जादू की झप्पी तो इस फ़िल्म के रिलीज़ होने के बाद हर कोई हर परेशान आदमी को देने लगा था. वैसे तो मुन्नाभाई ने कई लोगों को जादू की झप्पी दी, लेकिन सफ़ाई कर्मचारी मकसूद भाई को गले लगाने वाला सीन देख लोगों की आंखें भर आई थी.
4. अ वेडनेसडे- स्टूपिड कॉमन मैन स्पीच
इस फ़िल्म में नसीरुद्दीन शाह की कॉमन मैन वाली स्पीच तो दिल गहरी छाप छोड़ गई है. कैसे वो देश की बुरी स्थिति की व्याख्या करता है और उसके लिए सिस्टम को ज़िम्मेदार ठहराता है वो क़ाबिले तारीफ़ था. इसे लोगों के रोंगटे खड़े हो गए थे.
5. हैदर- रूहदार की एंट्री
‘हैदर’ में इरफ़ान ख़ान ने रूहदार का रोल प्ले किया था. वो तब एंट्री करते हैं जब हैदर(शाहिद कपूर) अपने पिता के गायब होने या फिर मार दिए जाने के सवालों के जवाब तलाश रहा होता है. रूहदार तब रहस्मयी तरीके आता है और चला जाता है. ये सच में पता नहीं लगता कि वो असली थे या फिर कोई भूत.
6. रंग दे बसंती- अजय सिंह राठौड़ का अंतिम संस्कार
रंग दे बसंती में जब फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट अजय सिंह राठौड़ का अंतिम संस्कार हो रहा होता है तो ऐसा लगता है वाकई में कोई अपना हमें छोड़कर चला गया है. जब उनके घर पर अजय के कपड़े आते हैं तो हर कोई फूट-फूटकर रोने लगता है.
7. ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा- स्कूबा डाइविंग के बाद वाला सीन
ख़ुशी के आंसू क्या होते हैं ये समझना है तो आपको इस फ़िल्म का ये सीन ज़रूर देखना चाहिए. इस सीन के बाद ऋतिक रोशन की ज़िंदगी ही बदल जाती है. वो एक बेहतर इंसान बन जाता है.
8. मसान- ये दुख ख़त्म क्यों नहीं होता
दीपक(विक्की कौशल) अपनी प्रेमिका के खो जाने के ग़म में किसी से बात नहीं करता. फ़ाइनली वो दोस्तों के मनाने के बाद अपने दिल की बात बयां करता है और ऐसा करता है कि सामने वाला भी भावुक हो जाए.
9. स्वदेश- ट्रेन की खिड़की वाला सीन
इस सीन में शाहरुख़(मोहन) को जीवन के कड़वे सच का सामना होता है. कैसे एक बच्चा अपना पेट पालने के लिए रेलवे स्टेशन पर पानी बेच रहा होता है. इसे देख मोहन की भी आंखें नम हो जाती हैं.
10. पद्मावत- खिलजी का प्रेरणादायक भाषण
ये भले ही कुछ लोगों को बुरा लगे लेकिन इस सीन के बिना ये फ़िल्म अधूरी है. तपती रेत और भूख-प्यास से परेशान खिलजी की सेना का मनोबल टूटने लगता है. तब खिलजी का उनको प्रेरित करने के लिए दिया गया भाषण उनमें नई उम्मीद फूंक देता है.
11. बाजीराव मस्तानी- काशीबाई का गुरूर वाला डायलॉग
इस सीन में काशीबाई(प्रियंका चोपड़ा) एक पत्नी अपने पति को अप्रत्यक्ष रूप से उसकी शिकायत करती है. वो कृष्ण-राधा का उदाहरण देकर अच्छे से अपनी मन:स्थिति बयां करती है.
12. गुज़ारिश- उड़ी गाना
इस गाने में ऐश्वर्या राय स्टनिंग परफ़ॉर्मेंस देती हैं. वो गाने को पूरी तरह इंजॉय करते हुए डांस करती हैं. उनका ये रूप देख ऋतिक और आदित्य रॉय कपूर भी दंग रह जाते हैं. इस गाने में खुल कर हर पल का मज़ा लेने का एहसास है.
13. गलीबॉय- मुराद का अपने पिता का सामना करना
पिता के सामने चू तक नहीं करने वाला मुराद(रणवीर सिंह) इस सीन में अपने पिता का दृढता से सामना करता है. वो अपनी मां को बार-बार पीटे जाने का विरोध करता है और अपने पिता को बताता है कि वो ग़लत हैं. सही के साथ खड़े होने का साहस मुराद के अंदर साफ़ झलकता है.
14. डोर- क्लाइमैक्स सीन
इस फ़िल्म ने समाज की रूढ़िवादी सोच पर करारा प्रहार किया था. इसके क्लाइमैक्स में जब मीरा अपने पति की मौत के बावजूद सहेली की ख़ुशी के लिए उसके पति को माफ़ीनामा दे दे देती है, तो सही मायने में एक नई पहल होती है. और ये वाकई में बहुत अद्भुत होती है.
क्यों याद आ गई ना ये फ़िल्में?