Om Puri Death Anniversary: ओम पुरी से जुड़ी वो 10 बातें और यादें जो आज भी उन्हें बनाती हैं ख़ास

Kratika Nigam

Om Puri Death Anniversary: बॉलीवुड के मशहूर फ़िल्म अभिनेता ओमपुरी को कौन नहीं जानता है. उनकी आवाज़ और उनका दमदार अभिनय ही उनकी पहचान था. इनके लिए ये कहना गलत नहीं होगा कि वो चले गए तो क्या हुआ आज भी उनका नाम उनके काम से ज़िंदा है. इन्होंने अपने अभिनय से लोगों को डराया, हंसाया और धमकाया भी है. लोगों ने इन्हें पसंद भी किया तो इन्हें नापंसद भी किया. आज ओम पुरी की डेथ एनिवर्सरी (Om Puri Death Anniversary) पर उनसे जुड़ी कुछ बातें और कुछ यादें और उनकी फिल्मों का कुछ शानदार काम हम आपके साथ शेयर करेंगे और उन्हें एक बार फिर याद करेंगे.

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Om Puri Death Anniversary

1. दिग्गज अभिनेता ने बचपन में ढाबे में नौकरी की थी

भले ही ओम पुरी फ़िल्मों का एक जाना-माना नाम थे, लेकिन उनके शुरुआती दौर कुछ अच्छे नहीं बीते थे. हरियाणा के अंबाला में जन्में ओम पुरी ने बचपन में ही एक ढाबे में नौकरी करने शुरू कर दी थी, ताकि वो अपने घर का खर्चा उठा सकें. जहां वो बर्तन धोने का काम करते थे, लेकिन ढाबे में कुछ दिन काम करने के बाद ढाबे मालिक ने उन पर चोरी का इल्ज़ाम लगाकर उन्हें ढाबे से निकाल दिया.

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2. ओम पुरी ट्रेन ड्राइवर बनना चाहते थे

घर की माली हालत ठीक न होने की वजह से ओम पुरी ने एक ढाबे में काम किया, लेकिन वो हमेशा से ट्रेन ड्राइवर बनना चाहते थे. उसकी वजह ये थी कि बचपन में वो जिस घर में रहते थे वहां से थोड़ी ही दूरी पर एक रेलवे यार्ड था, जहां वो उदास होने पर चले जाते ते और वहीं सोते और रहते थे. तभी उन्हें ट्रेन से काफ़ी लगाव हो गया था और वो बड़े होकर रेलवे ड्राइवर बनना चाहते थे.

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3. पढ़ाई के दौरान अभिनय की तरफ़ हुआ झुकाव

ओम पुरी जब पढ़ाई के लिए पटियाला गए तो वहीं पर उनका रुझान अभिनय की ओर होने लगा. इसके चलते उन्होंने नाटकों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. इसी दौरान उन्हें एक वक़ील के घर में नौकरी मिली, लेकिन नाटक में हिस्सा लेने के चलते वो इस नौकरी को कर नहीं पाए और उन्हें इस नौकरी से भी निकाल दिया गया.

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4. थिएटर ग्रुप ‘मजमा’ की स्थापना की

पुणे फ़िल्म संस्थान (Pune Film Institute) से पढ़ाई पूरी करने के बाद ओम पुरी ने क़रीब डेढ़ साल तक एक स्टूडियो में अभिनय सिखाया और बाद में निजी थिएटर ग्रुप ‘मजमा’ की स्थापना की. इन्होंने अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत फ़िल्म ‘घासीराम कोतवाल’ से की थी.

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5. ‘आक्रोश’ से मिली ख़ास पहचान

ओम पुरी को पहचान उनकी फ़िल्म ‘आक्रोश’ में निभाई गई सहायक अभिनेता की भूमिका से मिली और उन्हें फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. इसके बाद ओम पुरी ने अपनी कई दमदार और बेहतरीन फ़िल्मों से  हमारा मनोरंज किया.

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6. दो नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं 

ओम पुरी को फ़िल्म ‘आरोहण’ और ‘अर्ध सत्य’ के लिए बेस्ट एक्टर के नेशनल अवॉर्ड से नवाज़ा गया. इसके साथ ही उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘मैं महान अभिनेता अमिताभ बच्चन का शुक्रगुज़ार हूं, क्योंकि उन्होंने ‘अर्ध सत्य’ फ़िल्म करने से इंकार कर दिया था.

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7. यारों के यार थे ओम पुरी

ओम पुरी की दोस्ती का एक क़िस्सा नसीरुद्दीन शाह ने अपनी आत्मकथा And Then One Day: A Memoir में किया है. बुक के मुताबिक़, ये क़िस्सा 1977 का है, जब एक रेस्टोरेंट में एक शख़्स नसीरुद्दीन शाह पर चाकू से हमला करने वाला था, हमलावर ओम पुरी का पुराना दोस्त जसपाल था. जैसे ही ओम पुरी ने उसे चाकू से हमला करते देखा उन्होंने टेबल से छलांग लगा दी और हमलावर को पकड़ लिया. इसके बाद वो उन्हें अस्पताल लेकर गए और उनकी जान बचाई.

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8. अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्मों में भी काम किया

चार दशक से भी ज़्यादा फ़िल्मों के देने वाले ओम पुरी ने हिंदी, कन्नड़, पंजाबी से लेकर इंग्लिश फ़िल्मों में भी शानदार काम किया. इन्होंने ऑस्कर विनिंग फ़िल्म गांधी (Gandhi) में छोटा सा किरदार निभाया था. इसके अलावा, हॉलीवुड की फ़िल्म ‘ईस्ट इज़ ईस्ट’, ‘सिटी ऑफ़ जॉय’ और ‘वुल्फ़’ में काम किया.

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9. ओम पुरी की डेथ एनिवर्सरी (Om Puri Death Anniversary) इनके कुछ शानदार डायलॉग्स

1. ख़ून जब बोलता है तो मौत का तांडव होता है. मरते दम तक (1987)

2. मेरा फ़रमान आज भी इस शहर का क़ानून है, मैं जब भी करता हूं, इंसाफ़ ही करता हूं. नरसिम्हा (1991)
3. हर इंसान को ज़िंदगी में एक बार प्यार ज़रूर करना चाहिए, प्यार इंसान को बहुत अच्छा बना देता है. प्यार तो होना ही था (1998)
4. जंग कोई भी हो, नतीजा कुछ भी हो, एक सिपाही अपना कुछ न कुछ खो ही देता है. चाइना गेट (1998)
5. परंपराओं की लकीरें जब धुंधली पड़ जाती हैं, तो नई लकीरें खींचने से परहेज़ नहीं करना चाहिए. बाबुल (2006)
6. मज़हब इंसानों के लिए बनता है, मज़हब के लिए इंसान नहीं बनते. ओह माय गॉड (2012)
7. मैं ऐसे लोकतंत्र में विश्वास नहीं करता, जो ग़रीबों की इज़्ज़त करना नहीं जानता. चक्रव्यूह (2012)

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अपनी मौत की भविष्यवाणी की (Om Puri Death Anniversary)

ओम पुरी ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मौत का किसी को भी नहीं पता, कब सोए-सोए चल देंगे. एक दिन आएगा, जब आपको पता चलेगा कि ओम पुरी का कल सुबह 7 बजे निधन हो गया और 6 जनवरी 2017 की सुबह ओम पुरी दुनिया को अलविदा कह गए.

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