फ़िल्म ‘आदिपुरुष’ (Adipurush) की रिलीज़ के बाद लोग इसकी तुलना 1987 में आए रामानंद सागर (Ramanand Sagar) के शो ‘रामायण’ (Ramayana) से करने लगे हैं. इस टीवी शो को दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था, जिसमें भगवान राम की भूमिका अरुण गोविल (Arun Govil) और माता सीता की भूमिका दीपिका चिखिलिया (Dipika Chikhilia) ने निभाई थी. लॉकडाउन के दौरान इस आइकॉनिक शो ने फिर से दूरदर्शन पर कमबैक किया था.
क्या आपने सोचा है कि उस दौर में रामायण की शूटिंग कैसे हुई थी? आइए हम आपको रामायण के शूट की तस्वीरें दिखाते हैं, जो आपने पहले कभी नहीं देखी होंगी.
ये भी पढ़ें: रामानंद सागर की रामायण के ये 12 फ़ैक्ट्स बता रहे हैं कि क्यों इसे उस दौर का क्लासिक शो कहा जाता है
जिनको नहीं पता उनको बता दें कि रामायण की शूटिंग गुजरात के उमरगाम में हुई थी. इसके सेट को हीराभाई पटेल नाम के व्यक्ति ने डिज़ाइन किया था. एक इंटरव्यू में हीराभाई पटेल के बेटे विपिन भाई पटेल ने इस शो के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य भी साझा किए थे.
1978 में पौराणिक फ़िल्मों के आर्ट डायरेक्टर हीराभाई पटेल ने वृंदावन स्टूडियोज़ का सेटअप किया था. उन्होंने मुंबई एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपने कॉन्टेक्ट्स का यूज़ टीवी प्रोड्यूसर्स को लुभाने के लिए किया और रामानंद सागर को लेट 80s में रामायण शूट करने के लिए कन्विंस कर लिया.
हीराभाई पटेल ने रामायण की शूटिंग में अहम रोल अदा किया था. वो रामायण, विक्रम बेताल, थ्रोन बत्तीसी के अलावा क़रीब 300 धार्मिक और ऐतिहासिक फ़िल्मों व सीरियल्स के आर्ट डायरेक्टर रह चुके हैं. रामायण के पॉपुलर होने पर हीराभाई ने 40 एकड़ ज़मीन में अपने स्टूडियो की बिल्डिंग को फ़ाइनेंस करने के लिए सरकार की सब्सिडी स्कीम का फ़ायदा उठाया था.
हीराभाई पटेल के बेटे के मुताबिक, उस दौरान स्टूडियो का रेट आठ घंटे के लिए 2000 रुपए हुआ करता था और कैमरामैन, असिस्टेंट्स, स्टूडियो असिस्टेंट्स और डायरेक्टर्स के रहने के लिए अलग अरेंजमेंट्स थे.
.उन्होंने कहा कि हीराभाई पटेल हमेशा एक सीन के लिए संभावित सेट की एक रफ़ पेंटिंग लेकर आते थे और रामानंद सागर इसे लागू करते थे. बिल्कुल अशोक वाटिका की इस पेंटिंग की तरह जिसे बाद में एक सेट में बदल दिया गया.
यहां तक अरविंद त्रिवेदी का रावण की भूमिका निभाने के लिए हीराभाई पटेल ने ही रामानंद सागर को सुझाव दिया था. वो शिव भक्त थे और रोज़ सेट पर आने से पहले पूजा करके आते थे.
रामायण में रामेश्वरम सीन शूट करने के बाद एक पंडित जी भोपाल आकर रामानंद सागर से मिले थे और उन्हें मध्य प्रदेश की दो शिवलिंग दी थीं. तो उन्होंने इन शिवलिंग को स्टूडियो में और पास के गांव में एक शिव का मंदिर बनवाकर स्थापित करवा दिया था.
ये भी पढ़ें: ‘आदिपुरुष’ की कहानी पर भड़के रामानंद सागर के बेटे, जानिए 1987 की रामायण के बाकी एक्टर्स का रिएक्शन