कुछ और ही होती इन फ़िल्मों की कहानी, अगर नहीं की जाती इनके Scenes या गानों से छेड़छाड़

Sanchita Pathak

हम हिन्दुस्तानियों की एक ख़ासियत है, हम बहुत जल्दी बुरा मान जाते हैं. और जो बात एक बार बुरी लग गई, उसकी बखिया उधेड़ने में ज़्यादा वक़्त भी नहीं लगाते. चाहे वो कोई किताब हो, कोई पेंटिंग हो या कोई फ़िल्म. पहले तो CBFC ये फ़ैसला करती थी कि हम क्या देख सकते हैं और क्या नहीं, पर अब हम इतने Fast-forward हो गए हैं कि फ़िल्म बनने के दौरान ही Action ले लेते हैं. संस्कृति को बचाने की ऐसी पहल दुनिया में कहीं नहीं होती है. दुनिया भर में हमें Intolerant कहने वालों को अपनी ज़बान पर लगाम लगाएं.

कला और कलाकारों के प्रति हमारे अंदर जो भावनाएं हैं, उसे CBFC ने हवा दी है. मनमाने ढंग से फ़िल्मों पर बैन लगाने से लेकर फ़िल्मों के सीन्स को बेतरतीबी से काटने तक, हमारा सेंसर बोर्ड हर कारनामा करता है. हमारे समाज के कुछ बुद्धिजीवी सेंसर बोर्ड के इस कार्य में अपना भरपूर सहयोग देते हैं.

एक फ़िल्म आई थी, बिल्लू बारबर, याद है? मरजानी मरजानी वाला गाना था उसमें. इस फ़िल्म के नाम को ही बदल दिया गया था, क्योंकि नाईयों की भावनाएं आहत हो सकती थी. सेंसर बोर्ड समाज के हर इंसान की भावनाओं का ख्याल रखता है.

हम आपको बैन की गई फ़िल्मों के बारे में नहीं बता रहे हैं, उनके बारे में आप जानते होंगे और इंटरनेट पर उनमें से कुछ को देख भी चुके होंगे. आज हम आपको फ़िल्मों के उन Scenes के बारे में बताएंगे जिनको हमारी Tolerance Power की कीमत चुकानी पड़ी.

चोली के पीछे क्या है, चुनरी के नीचे क्या है… ‘खलनायक’ का ऐतिहासिक गाना

खलनायक फ़िल्म के इस अति लोकप्रिय गीत के बोल का दक्षिणपंथी विचारधारा वालों ने विरोध किया था. गाने के बोल को अश्लील करार दिया गया था(Double Meaning गाना तो है ही). बाल ठाकरे ने Saviour की तरह इस गाने की रक्षा की. शुक्रिया अदा करना चाहिए बाल ठाकरे का वरना ये गाना आज किसी भी DJ पर नहीं बजता.

Bollywood

‘कमीने’ का Dhan Te Nan गाना

3-4 दफ़ा सुनने के बाद Lyrics समझ आ गए थे इस गाने के. पर समाज के हर वर्ग के लोगों का ख्याल रखने वालों को गाने में पहली बार में ही ‘तेली’ शब्द सुनाई दे दिया था. इस गाने के बोल में ‘तेली का तेल’ शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जिस पर तेली समाज के लोगों ने आपत्ति जताई. जब फ़िल्म का प्रीमियर किया गया तब, गाने के ‘आपत्तिजनक’ बोलों को Mute कर दिया गया था. फ़िल्म को ‘A’ सर्टिफ़िकेट दिया गया था.

Rediff

हटा दिया गया ‘साहब, बीवी और गैंगस्टर’ से सेक्स सीन

इस फ़िल्म में बहुत सारे सेक्स सीन थे. फ़िल्म को ‘A’ सर्टिफ़िकेट दिया गया. ये फ़िल्म भी उन फ़िल्मों में से एक है, जिसके सेक्स सीन सेंसर बोर्ड के So-Called संस्कृति बचाओ आंदोलन की भेंट चढ़ गए. इस फ़िल्म में माही गिल और रणदीप हुड्डा के कुछ Bedroom Scenes पर सेंट्रल बोर्ड ने अपनी कैंची चला दी.

b’Source: Blogspot’

‘Angry Indian Goddesses’ में हिन्दू देवियों की फ़ोटो पर भी आपत्ति

हीरोइनों के साथ बनाई गई इस फ़िल्म को लोगों ने काफ़ी पसंद किया था. पर सेंसर बोर्ड को इस फ़िल्म से भी आपत्ति हो गई. फ़िल्म के कुछ Scenes में हिन्दू देवियों का ज़िक्र किया गया. हालांकि Angry Indian Godesses की टीम ने सेंसर बोर्ड के आदेश पर पहले ही उन तस्वीरों को धुंधला कर दिया था. लेकिन Audience को इस बात पर आपत्ति थी कि देवियों की तस्वीर धुंधली क्यों थी?

S3.India

‘Queen’ फ़िल्म में Bra को भी धुंधला कर दिया गया

Queen को हम सब ने काफ़ी पसंद किया था. ‘ऐलेक्जेंडर’ को तो हमने Facebook और Instagram पर Follow करना भी शुरू कर दिया. पर अगर आपने फ़िल्म ध्यान से देखी, तो वो Scene याद करें, जिसमें कंगना के हाथों में Bra है. इस Scene को भी धुंधला कर दिया गया था.

b’Source: Daily Moss’

‘खुद्दार’ के गाने में Sexy शब्द के जगह पर Baby शब्द

इस फ़िल्म का वो ऐतिहासिक गाना याद है, ‘सेक्सी सेक्सी सेक्सी मुझे लोग बोले’, इस गाने में सेक्सी को बदलकर बेबी कर दिया गया था. इसका सीधा मतलब तो यही हुआ कि हिन्दुस्तानी आर नॉट सेक्सी.

Ytimg

‘आजा नचले’ फ़िल्म में ‘मोची’ के कारण बवाल

इस फ़िल्म पर भी सेंसर बोर्ड ने अपना फ़तवा जारी किया था. फ़िल्म के Title Track के Lyrics को ‘मोची समुदाय’ की नाराज़गी झेलनी पड़ी.

Yashraj Films

‘हैदर’ में काटे गए थे 41 Scene

हैदर को हम Iconic फ़िल्म कह सकते हैं. पर जो आपने थिएटर में देखी वो एक A-Grade फ़िल्म थी, जिसको 42 जगहों से कुतर दिया गया था. ज़रा सोचिए, बिना कुतरे हुए ये फ़िल्म कैसी होती. इन 42 Scenes में से एक Scene में नंगी पीठ भी दिखाई गई थी. अच्छा होता कि श्रद्धा और शाहिद के सारे Love-Making Scenes ही काट दिए जाते.

b’Source: Filmy Mantra’

‘Finding Fanny’ के Virgin शब्द से भी दिक्कत हो गई बाबा!

दीपिका पादुकोण की Dual Language वाली ये फ़िल्म उतनी नहीं चली. पर इस फ़िल्म में Virgin शब्द से सेंसर बोर्ड को आपत्ति हो गई. फ़िल्म से उस शब्द को हटाया गया और तब जाकर इसे U/A सर्टिफ़िकेट दिया गया.

India

‘Shootout At Wadala’ के Sex Scene

इस फ़िल्म ने भी सेंसर बोर्ड का बी.पी बढ़ा दिया था. वैसे Love Making Scenes होते ही हैं ऐसे है. सेंसर बोर्ड ने कंगना और जॉन के सेक्स सीन्स को काट-पीटकर ही दम लिया. यानि जो आपने देखा, उससे बहुत ज़्यादा देखने को मिलता.

Sahara Samay

‘जोधा अक़बर’ से राजपूतों को ऐतराज़

राजपूतों का मानना है कि जोधा, अक़बर की बीवी थी ही नहीं. फ़िल्म-मेकर्स ने, राजपूतों से बात-चीत कर इस समस्या को सुलझाया. तब जाकर फ़िल्म रिलीज़ हो पाई.

सोचने वाली बात है कि मुग़ल-ए-आज़म पर तो उस समय के लोगों ने ऐतराज़ नहीं किया था. तो क्या ये मान लिया जाए कि वक़्त के साथ-साथ हमारा ज्ञान कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया है.

Another Indian

‘इश्क़िया’ फ़िल्म में गोरखपुर का नाम-ओ-निशां नहीं

गोरखपुर में बनी इस फ़िल्म में गोरखपुर शहर का नाम तक नहीं है. सेंसर बोर्ड को लगा कि ये फ़िल्म गोरखपुर का नाम खराब कर देगी. शहर पर आंच भी नहीं आनी चाहिए भई, योगी का शहर है.

b’Source: NDTV’

‘रंग दे बसंती’ का घुड़सवारी का Scene

ये फ़िल्म आज तक हमारे ज़हन में है. पर सेंसर बोर्ड ने इसे भी नहीं बख्शा. फ़िल्म का वो Scene, जिसमें आमिर खान, घुड़सवारी कर रहे हैं, एक अधूरा Scene है. इस Scene में निहंग सिखों को द्वारा करवाए जाने वाली घुड़-दौड़ को दिखाया गया था पर, हमारी सेंसर बोर्ड को बुरा लग गया और Scene को हटा दिया गया.

Indian Express

‘हीरोइन’ में करीना कपूर का Smoking Scene

लड़कियां भी स्मोक करती हैं और ये एक सच्चाई है. अगर इसे फ़िल्म में दिखा दिया, तो अनर्थ हो जाएगा, प्रलय आ जाएगा. इस फ़िल्म से सेंसर बोर्ड ने करीना का सिगरेट पीने वाला Scene हटा दिया.

Piks Post

‘शोले’ का Climax कुछ और था

ये Shocking ख़बर देते हुए हमें बहुत दुख हो रहा है. शोले के Climax Scene को दोबारा शूट किया गया था. सेंसर बोर्ड को लगा था कि Climax में बहुत ख़ून-खराबा है, जिसे हमारी हिन्दुस्तानी जनता झेल नहीं पाएगी. सेंसर बोर्ड के ख़लल डालने के बाद फ़िल्म के आख़िरी Scene में पुलिस आती है, वर्ना शोले का अंत कुछ और ही था.

b’Source: Outlook’

हिन्दुस्तान, सारे जहां से अच्छा है. पर यहां लोग बुरा बहुत जल्दी मान जाते है. ‘टेक इट ईज़ी’ की शाखाएं लगाई जानी चाहिेए.

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