हाल ही में फ़िल्म ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ का ट्रेलर रिलीज़ हुआ, फ़िल्म की कहानी समलैंगिक लड़की और उसके प्यार के चारों ओर घूमती है. बॉलीवुड में ऐसी कहानियों पर फ़िल्म बनाना सामान्य बात नहीं है.
सोनम कपूर, राजकुमार राव और अनिल कपूर जैसे जाने-माने कलाकार इस फ़िल्म में काम कर रहे हैं. कहानी ख़ास है क्योंकि इसे लिखने वाली गज़ल धालीवाल ख़ास हैं. उन्होंने अपनी ज़िंदगी के अनुभवों को इस कहानी में डाला है.
गज़ल जन्म से शारीरिक रूप से पुरुष थीं, लेकिन मानसिक रूप से उन्हें लगता था कि वो एक स्त्री हैं.
उन्हें लड़कियों के साथ खेलना अच्छा लगता था. ‘गज़ल’ बनने से पहले 25 साल तक उन्होंने ‘गुनराज’ की ज़िंदगी जी. हालांकि, उनका दिल बचपन से ‘गज़ल’ का ही था.
‘मैं ग़लत शरीर में पैदा हुई थी. मैं पुरुष के शरीर के साथ पैदा हुई थी लेकिन मैं कभी पुरुष जैसा अनुभव नहीं करती थी, मुझे अपनी मां के कपड़े पहनने पसंद थे, जब मैं पांच साल की थी तब उनके दुपट्टे के साथ खेलती थी. मुझे लगा कि मुझे महिलाओं वाली चीज़ें पसंद आती हैं. मेरी ऑन्टी ने मुझे मेरी मां के कपड़ों के साथ खेलता देख लिया था और उन्होंने मुझे थप्पड़ लगा दिया. तब मुझे पहली बार एहसास हुआ कि समाज मुझे कैसे देखता है और मैं ख़ुद को कैसे देखती हूं.’
सत्यमेव जयते शो में उन्होंने बताया कि प्राकृतिक रूप से उस शरीर में रह कर ज़िंदगी जीना जो आपके लिंग के विपरीत है, वो किसी जेल में रहने जैसा है.
13 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार अपने माता-पिता से अपने दिल की बात कही. तब उन्होंने गज़ल की बातें शांतिपूर्वक सुन ज़रूर ली, लेकिन उन्हें समझ में नहीं आया क्योंकि उनके लिए ये चीज़ बिल्कुल नई थी.
इन सालों में वो अपने शरीर की वजह से संघर्ष करती रहीं, घर से भी भागती रही, आखिर में मां-बाप की मदद के बाद वो अपनी सच्चाई के साथ समाज में सबके सामने आईं.
साल 2007 में Sex Reassignment Surgery के बाद गज़ल का शारीरिक रूप से लिंग बदला गया और उनका ख़ुद का शरीर अब कोई जेल नहीं रहा.
‘सर्जरी के बाद, मेरे भीतर उत्साह नहीं शांति थी. क्योंकि आखिरकार मेरी आत्मा मेरे शरीर के साथ शांति में थी.’
अलग-अलग मंचों पर जाकर गज़ल ने ख़ुद को अभिव्यक्त किया. INK Talks हो या सत्यमेव जयते, वो खुल कर बोली. वो चाहती थी कि उनकी आवाज़ से बदलाव हो.
हर वो साक्षात्कार जो उन्होंने दिया, चाहे जो भी कॉलम लिखें, उनमें गज़ल LGBTQ समुदाय की बातों को मज़बूती के साथ रखा. फिर भी वो जानती थी कि समाज और मनोरंजन उद्योग में बदलाव आना अभी बहुत दूर की बात है.
Feminism India को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बॉलीवुड द्वारा LGBTQ समुदाय की कहानियों को नकारने के ऊपर टिपण्णी की.
‘जब हम बॉलीवुड की बात करते हैं तो दुखद रूप से हम बिल्कुल आशावादी नहीं होते. 20 साल पहले दीपा मेहता ने ‘फ़ायर’ बनाई थी, उस वक़्त सिनेमा हॉल पर पत्थर बरसाये गए, पर्दे जला दिए गए. आज जब हंसल मेहता की ‘अलीगढ़’ बनी, सेंसर बोर्ड ने महत्वपूर्ण शॉट काट कर उनकी आवाज़ को रोकने की कोशिश की. Queer और Transgender किरदार आज भी TV और फ़िल्मों के लिए हंसी के पात्र हैं.’
गज़ल शुरुआत से पेशे Infosys में सॉफ़टवेयर इंजीनियर हुआ करती थी, लेकिन सिनेमा से प्यार उनको मुंबई खींच लाया और वो साल 2005 में नौकरी छोड़ कर स्क्रीनराइटर के सपने को पूरा करने में जुट गई.
From #TanujaChandra‘s and my laptop screens (3 years back) to theatre screens (last year) to TV screens (this year) to finally, your smart screens (today), this little joy of our lives has travelled a long way.
You can now watch our film #QaribQaribSinglle on @NetflixIndia! 😀 pic.twitter.com/kMo2QN5cnv— Gazal Dhaliwal (@gazalstune) August 28, 2018
मुंबई के Xavier’s कॉलेज में उन्होंने एक साल तक फ़िल्म मेकिंग की पढ़ाई की उसके बाद गोविंद निहलानी के एक एनिमेशन फ़िल्म स्क्रिप्ट लिखने में एसिस्ट किया.
From #TanujaChandra‘s and my laptop screens (3 years back) to theatre screens (last year) to TV screens (this year) to finally, your smart screens (today), this little joy of our lives has travelled a long way.
You can now watch our film #QaribQaribSinglle on @NetflixIndia! 😀 pic.twitter.com/kMo2QN5cnv— Gazal Dhaliwal (@gazalstune) August 28, 2018
आज 13 साल बाद उनकी द्वारा लिखी कहानी एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा बन कर तैयार है. लेकिन ये उनकी पहली कहानी नहीं है इससे पहले भी वो कई फ़िल्मों के लिए स्क्रीन राइटिंग कर चुकी हैं.
गज़ल ने Lipstick Under My Burkha के डालॉग लिखे थे, साथ ही वज़ीर और क़रीब-क़रीब सिंगल के स्क्रीनप्ले को लिखने में एसिस्टेंट की भूमिका निभाई थी.
The Review Monk को दिए साक्षात्कार में गज़ल ने बताया कि Lipstick Under My Burkha उनके दिल के सबसे क़रीब है. फ़िल्म के किरदार में उनको अपनी झलकी देखने को मिलती है.
अपने संघर्ष को दुनिया तक पहुंचाने के लिए वो A Little Hope… A Little Happiness नाम से ब्लॉग भी लिखती हैं.
ये साफ़ है कि अपने पैशन के माध्यम से वो अपने संघर्ष और समुदाय की कहानी लोगों तक पुहंचाना चाहती हैं. उनकी इस कहानी को और विस्तार से आप यहां पढ़ सकते हैं.