जब NSD से एक्टिंग सीखने के बाद भी राज बब्बर को 5 साल तक नहीं मिला था बॉलीवुड में काम

J P Gupta

राज बब्बर 80 के दशक के मशहूर अभिनेता थे. आज भले उन्हें बहुत से लोग नेता के तौर पर जानते हों, लेकिन एक ज़माने में वो पर्दे पर वाकई में राज किया करते थे. उन्होंने अपने 40 साल के करियर में सैंकड़ों फ़िल्मों में काम किया. इस दौरान राज बब्बर ने एक प्रेमी से लेकर विलेन और मज़दूर से लेकर समझदार पिता के रोल बहुत ही अच्छे से पर्द पर निभाए थे.

उनकी कुछ यादगार फ़िल्में हैं; ‘निकाह’, ‘मज़दूर’, ‘आज की आवाज़’, ‘क़िस्सा कुर्सी का’, ‘इंसाफ़ का तराजू’,’बॉडीगार्ड’ आदि. उनके ऊपर फ़िल्माए गए कई गाने आज भी लोग सुनते हैं. इनमें सबसे ख़ास है ‘प्रेमगीत’ का गाना ‘होठों से छू लो तुम…’

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आउटसाइडर होने के कारण राज बब्बर ने भी फ़िल्मों में आने के लिए काफ़ी संघर्ष किया था. उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से एक्टिंग सीखी थी. मगर यहां से ग्रेजुएट होने के बाद 5 साल तक उन्हें काम नहीं मिला था. उस दौरान जब उनको फ़िल्मों में तो काम मिल ही नहीं रहा था, तो उन्होंने थिएटर से ही काम चलाया. 

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इसके बाद वो दिन आया जिसका राज बब्बर को वर्षों से इंतज़ार था. उन्हें उनकी पहली फ़िल्म मिली नाम था ‘क़िस्सा कुर्सी का’. ये फ़िल्म 1977 में रिलीज़ हुई थी जिसमें रीना रॉय उनकी को-स्टार थीं. मगर इस फ़िल्म की कहानी पॉलिटकल होने के चलते तत्कालीन सरकार ने इसे बैन कर दिया था.

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पहली फ़िल्म तो रिलीज़ हो गई मगर अभी भी राज बब्बर को इंडस्ट्री में कोई जानता नहीं था. कई छोटी मोटी और फ़िल्में करने के बाद उन्हे बी. आर. चोपड़ा की फ़िल्म ‘इंसाफ़ का तराजू’ के लिए कास्ट कर लिया गया. इस मूवी में उन्हें एक विलेन का रोल ऑफ़र किया गया था. इस रोल कोई भी करने को तैयार नहीं था, तब बी.आर. चोपड़ा साहब ने सामने से आकर उन्हें ये रोल ऑफ़र किया था.

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एक रेपिस्ट और विलेन का किरदार राज बब्बर ने ऐसे निभाया था कि लोग उनसे नफ़रत करने लगें. जब मुंबई में इस मूवी की स्क्रीनिंग हुई थी तो राज बब्बर की मां भी वहां मौजूद थीं. इसे देखने के बाद उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. फ़िल्म ख़त्म होने के बाद राज बब्बर की मां ने उनसे कहा था- ‘कि बेटा हम थोड़ा कम खा लेंगे पर तुम ऐसे काम मत किया करो.’

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ये फ़िल्म राज बब्बर के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई. इसके बाद उनकी पहचान एक उम्दा एक्टर के रूप में होने लगी थी. इस फ़िल्म के बाद उनको बड़ी-बड़ी फ़िल्मों के ऑफ़र मिलने लगे और उनका करियर पटरी पर आ गया था. एक ज़माना ऐसा भी था जब उन्हें सस्ता अमिताभ बच्चन भी कहा जाता था. 

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