नेता से लेकर अभिनेता तक हर कोई था उसका दीवाना, कुछ ऐसा था सुरैया का जादू

Akanksha Tiwari

उसकी आवाज़ में अजब सा जादू था, ख़ूबसूरती ऐसी कि देखने वाला पहली नज़र में ही दीवाना बन जाए और अदाकारी के बारे में तो पूछिए ही मत. 40 और 50 के दशक में वो हिंदी सिनेमा के साथ-साथ लाखों-करोड़ों दिलों पर राज कर रही थी. हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड में अपना अहम योगदान देने वाली मशहूर अदाकारा सुरैया की.  

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कहा जाता है कि सुरैया ने 9 साल की उम्र से गायन की दुनिया में कदम रखा और देखते-देखते ही वो 14 साल की उम्र में अभिनेत्री बन हिंदी सिनेमा पर छा गई. 1936 से लेकर 1963 तक उन्होंने कुल 338 गाने गाए और 67 फ़िल्मों में अभिनय कर देश-दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई. ये एक ऐसा दौर था, जब सुरैया के कई चाहने वाले थे और अक्सर ख़बरों में उनकी ख़ूबसूरती की किस्से छपते रहते. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु हों या धर्मेन्द्र, हर कोई सुरैया की ख़ूबसूरती पर फ़िदा था. यही नहीं, धर्मेन्द्र को तो सुरैया इतनी पसंद थी कि उन्होंने 100 बार उनकी फ़िल्म देखी थी. 

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पर सुरैया का दिल सिर्फ़ और सिर्फ़ देवानन्द के लिये धड़कता था, उस समय दोनों ही हिंदी सिनेमा की चर्चित हस्तियां थे. कहते हैं कि प्यार के इन पंछियों के प्यार की शुरुआत इनकी पहली फ़िल्म विद्या के सेट से हुई थी, जहां एक सीन के दौरान सुरैया नदी में डूबने लगती हैं, इसके बाद हीरो तरह देवानन्द ने नदी में डुबकी लगा उन्हें बचा लिया था. बस इस हादसे के बाद से ही दोनों की नजदीकियां बढ़ती गई और इनकी मोहब्बत परवान चढ़ गई. 

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देवानन्द और सुरैया दोनों ही एक-दूसरे से शादी करना चाहते थे, लेकिन मुस्लिम धर्म से होने के कारण सुरैया की नानी को ये रिश्ता मंजू़र नहीं था. यही नहीं, देव साहब ने उस समय सुरैया को 30 हज़ार रुपये की कीमत वाली हीरे की अंगूठी भी पहनाई थी, लेकिन नानी की ज़िद के आगे सुरैया देवानन्द को शादी के लिए हां नहीं कह सकी. तमाम दबावों के बाद भी देव साहब के लिये सुरैया की मोहब्बत कम नहीं हुई और उन्होंने सारी ज़िंदगी देवानन्द के नाम कर दी यानि अभिनेत्री ने ताउम्र शादी न करने का फ़ैसला किया.  

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वहीं अक्सर सुरैया की एक झलक पाने के लिये उनके घर के बाहर भीड़ जमा हो जाती, जिसके चलते कई बार पुलिस को हाथापाई भी करनी पड़ी. वहीं सुरैया आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आज भी उनके गाये हुए ‘वो पास रहें या दूर रहें’, ‘नुक़्ताचीं है ग़मे दिल’ और ‘दिल ए नादां तुझे हुआ क्या’, जैसे कई गाने लोगों के लंबों पर गुनगुनाते हुए देखे जा सकते हैं. हिंदी सिनेमा का ये दौर ऐसा था कि जहां अभिनेत्री बनाने के लिए ख़ूबसूरत होने के साथ, गाने के लिये उनकी आवाज़ को भी जांचा जाता था पर कमाल है कि सुरैया को इन सारी ही चीज़ों में महारथ हासिल थी.  

15 जून 1929 को जन्मी सुरैया अपनी अधूरी मोहब्बत के साथ 31 जनवरी 2004 को दुनिया से अलविदा लेकर चली गई. 

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