किस्सा: यहां राज कपूर अपना बर्थडे मना रहे थे, वहां उनके जिगरी शैलेन्द्र की आखरी सांसें चल रही थी

Sanchita Pathak

बॉलीवुड में हम अक़सर मनमुटावों और सेलेब्स के प्रतियोगी स्वभाव और काम निकलवाने वाली दोस्ती की कहानियां ही सुनते हैं.

लेकिन बॉलीवुड में कई ऐसी जोड़ियां भी हैं, जिनका याराना हम आम लोगों के लिए मिसाल है. कुछ ऐसा ही दोस्ताना था अभिनेता-डायरेक्टर-प्रोड्यूसर राज कपूर और गीतकार शैलेंद्र का. दोनों के बीच दोस्ती के अलावा एक कलात्मक डोर थी, दोनों ने साथ मिलकर बॉलीवुड को कई यादगार नज़्में दीं.

शैलेंद्र की बॉलीवुड में शुरुआत 

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शैलेंद्र ने अपने करियर की शुरुआत Indian People’s Theatre Association (IPTA) के लिए लिखकर की. IPTA के ही एक समारोह में शैलेंद्र, राज कपूर से मिले. राज कपूर ने शैलेंद्र को ‘जलता है पंजाब’ पढ़ते सुना था. विभाजन पर लिखी गई ये कविता राज कपूर के दिल को छू गई थी. राज कपूर ने शैलेंद्र को अपने Directional Debut, आग(1948) के गाने लिखने का ऑफ़र दिया. शैलेंद्र उस वक़्त भारतीय रेल में काम करते थे और उन्होंने राज कपूर का ऑफ़र ठुकरा दिया.

जब राज कपूर ‘बरसात’ के प्रोडक्शन में व्यस्त थे तब शैलेंद्र आर्थिक संकट से जूझ रहे थे. उन्हें पहला बच्चा होने वाला था और आर्थिक स्थिरता ज़रूरी थी. शैलेंद्र ने ‘बरसात’ के दो गाने लिखे, ‘बरसात में’ और ‘पतली कमर है’. दोनों ही गाने सुपरहिट हुए.

राज कपूर और शैलेंद्र का याराना

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इसके बाद इस जोड़ी ने मुड़कर नहीं देखा. राज कपूर, गायक मुकेश, संगीतकार शंकर-जयकिशन और गीतकार शैलेंद्र ने मिल कर कई सदाबहार गाने बनाये.

राज कपूर का शैलेंद्र के घर पर आना-जाना लगा रहता था. राज कपूर शैलेंद्र को ‘पुष्किन’ या ‘कविराज’ बुलाते थे. जब भी शैलेंद्र कोई गीत लिखते तो राज कपूर कहते,

‘वाह पुष्किन! क्या गाना लिखा है!’

राज कपूर और शैलेंद्र ने ‘संगम’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘तीसरी कसम’, ‘सपनों का सौदागार’, ‘अनाड़ी’ जैसी 21 फ़िल्मों में साथ काम किया. राजकपूर को शैलेंद्र की सीधे-सादे शब्दों में गहरी बातें करने वाली अदा बेहद पसंद आती थी.

क़िस्मत का अजीब खेल…14 दिसंबर

14 दिसबंर, 1966… ‘मेरा नाम जोकर’ की शूटिंग चल रही थी. सेट पर सभी लोग राज कपूर का जन्मदिन मना रहे थे. शोर-शराबे के बीच दो बार फ़ोन बज चुका था.

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गायक मुकेश, राज कपूर से बात करने के लिए फ़ोन कर रहे थे. वो बताना चाहते थे कि राज के जिगरी दोस्त, शैलेंद्र को पिछले दिन दोपहर को अस्पताल में भर्ती किया गया है.

बार-बार फ़ोन आ रहे थे. शैलेंद्र कोमा में हैं… अब ऑक्सिजन सपोर्ट पर… अब Blood Transfusion किया जा रहा है. कुछ मिनटों बाद मुकेश ने फ़ोन कर जानकारी दी, शैलेंद्र नहीं रहे. 43 की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

शैलेंद्र की अचानक मृत्यु से राज कपूर को गहरा सदमा लगा था. Filmfare मैगज़ीन में उन्होंने एक Open Letter लिखा था,

मेरी आत्मा का एक हिस्सा चल बसा. ये ग़लत है. मेरे बागीचे के सबसे सुंदर गुलाब को मुझ से दूर कर दिये जाने पर आज मैं रोता हूं. वो एक नेक़ दिल इंसान था. अब वो चला गया और रह गई हैं तो सिर्फ़ उसकी यादें.

 ये किस्सा आपको कैसा लगा, ज़रूर बतायें. हम ऐसे ही सदाबहार किस्से आपके लिए लेकर आयेंगे.

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