द लीजेंड ऑफ़ मौला जट्ट: वो पाकिस्तानी फ़िल्म, जिसकी कहानी आज की नहीं बल्कि क़रीब 40 साल पुरानी है 

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दुनियाभर के ज़्यादातर सभी लोग कला के दीवाने हैं और जब बात कला की आती है, तो उसमें फ़िल्मों और वेब सीरीज़ का नाम सबसे पहले आता है. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री हमेशा से ही लोगों को आकर्षित करती रही है. अगर कहानी दमदार हो और उसमें कलाकारों की उम्दा एक्टिंग हो, तो फ़िल्म देश में क्या बल्कि इंटरनेशनल भी छप्परफाड़ कमाई करती है. इन्हीं में से एक फ़िल्म ‘द लीजेंड ऑफ़ मौला जट्ट‘ (The Legend of Maula Jatt) चर्चा का विषय बनी हुई है. ये पाकिस्तानी फ़िल्म है और मूवी ने दुनियाभर में नाम कमाकर सबको हैरान कर दिया है. 

आज हम आपको इस पाकिस्तानी फ़िल्म के इतना पॉपुलर होने की वजह बताने जा रहे हैं.

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200 करोड़ के क्लब में शामिल हुई ये फ़िल्म

हालांकि, इस फ़िल्म को रिलीज़ हुए 2 महीने से भी ज़्यादा का समय हो चुका है. लेकिन अभी तक इस फ़िल्म की धुंआदार कमाई ज़ारी है. ये 13 अक्टूबर को पाकिस्तान और अन्य देशों में रिलीज़ हुई थी. ये फ़िल्म 200 करोड़ के क्लब में शामिल हो गई है. पंजाबी भाषा में बनी ये फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर मज़बूती से अपने पैर जमाए हुए है. इसमें फ़वाद ख़ान और माहिरा ख़ान ने कमाल की एक्टिंग की है. 

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पाकिस्तानी मूवी की ही रीमेक है ये फ़िल्म

पाकिस्तानी लेखक अहमद नदीम क़ासमी ने एक शॉर्ट स्टोरी लिखी थी, ‘गंडासा’. ये कहानी मौला जट्ट नाम के आदमी की थी. उसके साथ कुछ ग़लत हुआ है , जिसका उसे बदला लेना है. लेकिन ये सिर्फ़ बदले की कहानी नहीं थी. मौला जट्ट के बहाने ये एक्सप्लोर करना चाहती थी मैस्क्युलेनिटी की बारीकियों को. उस समाज को जो पुरुष को रोने नहीं देता. इसी थीम पर 1974 में एक ‘वहशी जट्ट’ नाम की पाकिस्तानी फ़िल्म रिलीज़ हुई, जोकि सुपर हिट थी.

इसकी कमाई ने फ़िल्ममेकर्स को भरोसा दिया, कि मौला जट्ट की कहानी बिकती रहेगी. इसी सोच के साथ 04 फ़रवरी, 1979 को ‘मौला जट्ट’ के नाम से एक फ़िल्म रिलीज़ हुई. फ़िल्म हिट साबित हुई. हालांकि, इस फ़िल्म में हिंसा के चलते सरकार उस पर बैन लगाना चाहती थी. लेकिन जब तक सरकार उस पर बैन लगा पाती, तब तक ये फ़िल्म क्रांति बन चुकी थी. ‘द लेंजेंड ऑफ़ मौला जट्ट’ इन्हीं फ़िल्मों का रीमेक है.

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कोरोना महामारी के चलते रिलीज़ में हुई देरी

इस फ़िल्म की रिलीज़ को लेकर साल 2019 में घोषणा हो गई थी. लेकिन 1979 वाली ‘मौला जट्ट’ के प्रोड्यूसर सरवर भट्टी कोर्ट पहुंच गए. उनका कहना था कि फ़िल्ममेकर ने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स का उल्लंघन किया है. दोनों पक्षों के बीच लीगल पचड़ा लंबा खिंचता चला गया. 2020 में दोनों पार्टियों में रज़ामंदी हुई. इसके बाद कोरोना महामारी फैल गई. जिसके थमने के बाद मेकर्स ने इसे 13 अक्टूबर 2022 को रिलीज़ किया.

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इस फ़िल्म ने पाकिस्तानी सिनेमा को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है.

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