“नारायण नारायण”… “इतनी अच्छी चीज़ भगवान के लिए छोड़ दूं? कभी नहीं!”… ये दो अलग-अलग डायलॉग्स हैं, मगर बोले एक ही शख़्स ने हैं. नाम बताने की भी ज़रूरत नहीं, क्योंकि, आपके ज़ेहन में एक ख़ास आवाज़ और चेहरा घूमने लगा होगा. जी हां, आप सही हैं. हम बात कर रहे हैं ख़तरनाक विलेन जीवन की. जिन्होंने फ़िल्मी पन्ने पर अपने काले कारनामों से एक्टिंग का सुनहरा इतिहास लिख डाला. (Villain Jeevan Story Who Played Narad Muni 6O Times In Films)
आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि जीवन वो एक्टर हैं, जिन्होंने अलग-अलग भाषाओं की क़रीब 60 फ़िल्मों में नारद मुनि का क़िरदार निभाया है. 50 के दशक में बनी हर धार्मिक फ़िल्म में वो नारद बनते थे. आज हम आपको ज़बरदस्त एक्टर जीवन की असली कहानी बताएंगे. (Villain Jeevan Best Dialogues)
Villain Jeevan Story Who Played Narad Muni 6O Times In Films
24 भाई-बहनों में पले-बढ़े
जीवन का जन्म कश्मीरी परिवार में 24 अक्टूबर 1915 को हुआ था. उनका मूल नाम ओंकारनाथ धर था. उन्होंने 60, 70 और 80 के दशक में फ़िल्मों में विलेन का किरदार निभा कर अपनी एक ख़ास पहचान बनाई.
उनके पैदा होते ही मां गुज़र गई और तीन साल की उम्र में पिता ने दुनिया को अलविदा कह दिया. वो 24 भाई-बहनों के बीच पले-बढ़े थे. एक्टर किरण कुमार, जीवन के ही बेटे हैं.
26 रुपये लेकर पहुंंचे मुंबई
जिस ज़माने में फ़िल्मों में काम करने को अच्छा नहीं माना जाता था, उस वक़्त जीवन 26 रुपये लेकर मुंबई आ गए. वो हमेशा से एक्टिंग करना चाहते थे. महज़ 18 साल की उम्र में उन्होंने नौकरी की तलाश शुरू की. पहला काम मिला मोहन सिन्हा के स्टूडियो में रिफ्लेक्टर पर सिल्वर पेपर चिपकाने का. इसी दौरान एक्टिंग में उनकी रुचि देखकर पहली बार उन्हें फिल्म फैशनेबल इंडिया एक रोल मिल गया.
जीवन को बहुत जल्द एहसास हो गया था कि उनका फ़ेस और आवाज़ हीरो टाइप नहीं है. इसलिए वो विलेन के रोल निभाने लगे. मनमोहन देसाई की फ़िल्म अमर अकबर एंथोनी और धरमवीर में विलेन का रोल निभाकर वो काफ़ी फ़ेमस हुए. नागिन, शबनम, हीर-रांझा, जॉनी मेरा नाम, कानून, सुरक्षा, लावारिस जैसी मूवीज़ में उन्होंने अहम रोल निभाए. इस दौरान उन्होंने पंजाबी फ़िल्मों में भी काम किया. (Villain Jeevan Movies)
फ़िल्म ‘कानून’ में कटघरे के सीन का मोनोलॉग बेहद लोकप्रिय हुआ था. जीवन ने फ़ोटोग्राफी, डांस, एक्शन, म्यूज़िक वगैरह में भी किस्मत आज़माई. लेकिन उसमें सफ़ल नहीं हुए.
बता दें, जीवन को पहले माधव ओंकारनाथ धर नाम से बुलाया जाता था, मगर फ़िल्मी पर्दे के लिए उन्हें जीवन नाम विजय भट्ट ने दिया था. जीवन आज भी अपनी डायलॉग डिलिविरी के ख़ास अंदाज़ और आवाज़ के लिए मशहूर हैं. चार दशक तक उन्होंने सिनेमा में काम किया और 10 जून 1987 को दुनिया को अलविदा कह दिया.