साल 1968 में एक फ़िल्म रिलीज़ हुई थी, जिसने बॉक्स ऑफ़िस पर धमाका कर दिया था. फ़िल्म का नाम था ‘आंखें’ जिसे मशहूर डायरेक्टर और निर्माता रामानंद सागर ने डायरेक्ट किया था. फ़िल्म में धर्मेंद्र और माला सिन्हा लीड रोल में नज़र आए थे. मगर ये फ़िल्म धर्मेंद्र से पहले लेजेंड्री एक्टर राजकुमार को ऑफ़र हुई थी, पर उन्होंने इसे ठुकरा दिया था.
इस फ़िल्म से पहले रामानंद सागर और राजकुमार में बहुत अच्छी दोस्ती थी. दोनों साथ में ‘ज़िंदगी’ और ‘पैगाम’ जैसी फ़िल्मों में काम भी कर चुके थे. इसलिए जब रामानंद सागर ने आंखें फ़िल्म बनाने की ठानी तो सबसे पहले उन्होंने इसे राजकुमार को ही ऑफ़र किया था.
राजकुमार जिन्हें अपनी रौबीली आवाज़ और दमदार डायलॉग डिलीवरी के लिए जाना जाता है. वो ज़िंदगी भी उसी रुतबे के साथ जीते थे. उनके इस मिज़ाज से सभी वाक़िफ़ थे. लेकिन शायद रामानंद सागर को इस बात का कतई इल्म नहीं था कि उनका बेस्ट फ़्रेंड उनका भी दिल दुखा सकता है.
दरअसल, हुआ यूं कि रामानंद सागर ने राजकुमार को ‘आंखें’ ऑफ़र की और 10 लाख रुपये की पेशगी देने की बात कही. मगर राजकुमार को इसकी स्क्रिप्ट कुछ ख़ास पसंद नहीं आई. इसलिए इंकार भी उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज़ में किया. राजकुमार और रामानंद के बीच जब इस बारे में बातचीत हो रही थी तब राजकुमार सिगार पी रहे थे.
उन्होंने सिगार पीते हुए अपने डॉगी को कमरे में बुलाया. फिर उन्होंने डॉगी से कहा कि क्या कहते हो रामानंद की फ़िल्म की जाए या नहीं? इस पर डॉगी ने कुछ जवाब नहीं दिया और वहीं उनके पैरों के पास बैठा रहा. इस पर राजकुमार ने रामानंद से कहा-हमारे डॉगी को भी आपकी स्क्रिप्ट पसंद नहीं आई. ऐसे में तो हां कहने का सवाल ही नहीं उठता.
इसके बाद रामानंद सागर बिना कुछ कहे ही वहां से चले गए. लेकिन फिर कभी रामानंद सागर ने राजकुमार के साथ काम नहीं किया. उनकी दोस्ती भी पहले जैसी नहीं रही.
ख़ैर, अगर राजकुमार उस दिन रामानंद का ऑफ़र स्वीकार कर लेते तो आज आंखें फ़िल्म को याद कर हम धर्मेंद्र नहीं उनकी तारीफ़ कर रहे होते.
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