क़िस्सा: जब विजय आनंद ने DDLJ को हॉलीवुड फ़िल्म की कॉपी बताकर अवॉर्ड देने से इंकार कर दिया था

J P Gupta

‘सिनेमा नाटक, संगीत, चित्र कला से कहीं अधिक विविध(भिन्न) कला है. ये वास्तव में एक Architecture(वास्तुकला) है. मगर Architecture एक ही जगह स्थिर रहता और इसलिए फ़िल्म एक चलता-फिरता Architecture है.’

ये कथन है हिंदी सिनेमा के महान डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, एक्टर, एडिटर, स्क्रिप्ट राइटर विजय आनंद उर्फ़ गोल्डी आनंद का. उन्हें लोग ‘गाइड’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘तेरे मेरे सपने’, ‘जॉनी मेरा नाम’ जैसी फ़िल्मों के लिए याद करते हैं. 

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एक निर्देशक के अंदर जो पारखी नज़र होनी चाहिए उसकी बानगी विजय साहब की फ़िल्मों में दिखाई देती थी. उनके बड़े भाई देव आनंद साहब भी उन्हें अपना सबसे बड़ा मेंटर मानते थे. सिनेमा की रग-रग से वाक़िफ़ विजय आनंद जी जितने अच्छे फ़िल्म मेकर थे उतने ही अच्छे फ़िल्म क्रिटिक भी.

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फ़िल्मों को अच्छे से जांच परख कर उन पर अपना नज़रिया रखते थे विजय आनंद. उनकी पारखी नज़र से जुड़ा एक दिलचस्प क़िस्सा आज हम आपके लिए लेकर आए हैं. ये जुड़ा है यश चोपड़ा की सुपरहिट फ़िल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ से.

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1996 में जब यश चोपड़ा की ये फ़िल्म लोगों दिल जीत चुकी थी. तब इसे स्क्रीन अवॉर्ड्स की कमेटी के पास भेजा गया. इसे बेस्ट फ़िल्म और बेस्ट डायरेक्टर की कैटेगरी के लिए नॉमिनेट किया गया था. इस कमेटी के अध्यक्ष थे विजय आनंद. इसकी स्क्रिनिंग उनके घर पर बने मिनी थिएटर केतनव में रखी गई थी. इस कमेटी में एक्टर जितेंद्र भी थे और उन्होंने इस फ़िल्म को ही हर कैटेगरी में वोट दिया.

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लेकिन जब विजय आनंद से उनकी राय ली गई तो सभी को शॉक लगा. दरअसल, उन्होंने DDLJ को ये कहते हुए रिजेक्ट कर दिया कि ये फ़िल्म एक हॉलीवुड फ़िल्म की कॉपी है. उन्होंने अपनी बात को साबित करने के लिए अगले दिन उस हॉलीवुड फ़िल्म की स्क्रीनिंग भी रखी थी. फ़िल्म थी Love On The Orient Express. इसे देखने के बाद सभी जूरी मेंबर्स ने DDLJ को रिजेक्ट कर दिया था.

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इसकी ख़बर इंडस्ट्री में आग की तरह फैली और यश चोपड़ा जो विजय साहब के दोस्त थे उन्हें इससे गहरा धक्का लगा. उन्होंने विजय से मिलकर इस मुद्दे पर बात करने का समय मांगा. लेकिन विजय साहब ने उन्हें साफ़-साफ़ कह दिया था कि उनका फ़ैसला अडिग है और इसे कोई बदल नहीं सकता. उनकी ये बात सुनकर यश चोपड़ा बीमार पड़ गए थे.

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हालांकि, 1996 में जूरी और विजय आनंद के रिजेक्ट करने के बावजूद ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ ने तीन अवॉर्ड जीते थे. बेस्ट फ़िल्म, बेस्ट डायरेक्ट और बेस्ट एक्टर. ये कैसे हुआ इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है.

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