बॉलीवुड फ़िल्में विलेन के बिना अधूरी मानी जाती हैं और ये चलन 60 के दशक से चलता आ रहा है. ख़ासकर 80 और 90 के दशक में विलेन का किरदार उतना ही दमदार होता था, जितना फ़िल्म के हीरो का होता था. बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक ‘विलेन’ हुये हैं, लेकिन डैनी डेंज़ोंग्पा (Danny Denzongpa) की बात ही अलग है. 80 और 90 के दशक की बॉलीवुड फ़िल्मों में डैनी अपनी ख़ूंख़ार एक्टिंग से फ़िल्म के हीरो को भी दहशत में डाल देते थे. डैनी ने फ़िल्म के हीरो से पंगा लेने से लेकर स्मगलिंग और करने तक वो सब काम किया जो उस दौर में हिंदी फ़िल्मों के विलेन किया करते थे. फ़िल्मों में ख़ूंख़ार नज़र आने वाले डैनी असल ज़िंदगी में बेहद सरल स्वभाव के शख्स हैं.
ये भी पढ़ें- जानिए 90’s की फ़िल्मों का ख़ूंख़ार विलेन ‘चिकारा’ उर्फ़ रामी रेड्डी आज किस हाल में है और कहां है
आज हम डैनी डेंज़ोंग्पा (Danny Denzongpa) के बारे में ही बात करने जा रहे हैं-
कौन हैं डैनी डेंज़ोंग्पा? Who is Danny Denzongpa?
डैनी डेंज़ोंग्पा का जन्म 25 फ़रवरी, 1948 को सिक्किम के युकसोम में हुआ था. उनका पूरा नाम ‘शेरिंग फ़िनसो डेंज़ोंग्पा’ हैं. डैनी ‘भुटिया’ जाति से संबंध रखते हैं और भुटिया ही उनकी मातृभाषा भी है. उन्होंने अपनी पढ़ाई नैनीताल के ‘Birla Vidya Mandir’ स्कूल से की है, जबकि दार्जीलिंग के St Joseph’s College से कॉलेज ग्रेजुएशन की है. सन 1964 में कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म करने उनका सिलेक्शन ‘इंडियन आर्मी’ में हो गया, लेकिन अपनी मां के मना करने पर आर्मी में जानी की इच्छा छोड़ दी.
दोस्त उड़ाते थे लुक्स का मज़ाक
डैनी डेंज़ोंग्पा को बचपन से सिंगिंग और एक्टिंग में काफ़ी दिलचस्पी थी. इसलिए उन्होंने एक्टिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए पुणे के मशहूर ‘फ़िल्म और टेलीविज़न इंस्टीट्यूट’ में एडमिशन ले लिया. पुणे में पढ़ाई के दौरान दोस्त अक्सर उनके लुक्स और नाम को लेकर उनका मज़ाक उड़ाते थे जिसकी वजह से वो काफ़ी परेशान रहते थे. इसी बीच उनकी मुलकात जया भादुरी (जया बच्चन) से हुई और दोनों अच्छे दोस्त बन गये. एक रोज जया ने उनसे कहा कि तुम अपना नाम ‘शेरिंग फ़िनसो डेंज़ोंग्पा’ की जगह ‘डैनी डेंज़ोंग्पा’ रख लो. इसके बाद ‘शेरिंग फ़िनसो डेंग्जोंग्पा’ हमेशा के लिए ‘डैनी डेंज़ोंग्पा’ बन गये.
इस फ़िल्म से किया था बॉलीवुड में डेब्यू
डैनी डेंज़ोंग्पा (Danny Denzongpa) ने साल 1971 में बी. आर. इशरा की फ़िल्म ‘ज़रूरत’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इस फ़िल्म में उन्होंने हीरो-हीरोइन के दोस्त डैनी का किरदार निभाया था. इसके बाद उन्हें गुलज़ार की फ़िल्म मेरे अपने (1971) में बड़ा ब्रेक मिला. लेकिन बी. आर. चोपरा की फ़िल्म धुन (1973) में अहम भूमिका निभा कर उन्हें असल पहचान मिली. 70 के दशक में डैनी कई फ़िल्मों में बतौर सेकेंड लीड पॉज़िटिव रोल में दिखाई दिए. इस दौरान ‘फ़कीरा’, ‘चोर मचाए शोर’, ‘देवता’, ‘कालीचरण’, ‘बुलंदी और ‘अधिकार’ जैसी फ़िल्मों में उन्होंने सकारात्मक किरदार भी निभाये हैं.
गब्बर सिंह का रोल हुआ था ऑफ़र
साल 1975 में रमेश सिप्पी ने डैनी को ही गब्बर सिंह का रोल ऑफ़र किया, लेकिन डेट्स नहीं होने की वजह वो ये रोल नहीं कर सके. फिर अमज़द ख़ान ने गब्बर सिंह के किरदार को हिंदी सिनेमा इतिहास में अमर कर दिया. इसके बाद उन्हें बड़े बजट बजट की फ़िल्मों ‘आशिक़ हूं बहारों का’, ‘पापी’, ‘बंदिश’, ‘द बर्निंग ट्रेन’ और ‘चुनौती’ में नेगेटिव रोल्स निभाने को मिले और डैनी ख़लनायक के तौर पर मशहूर हो गए. इस दौरान उन्होंने बतौर विलेन कई सुपरहिट फ़िल्मों में काम किया और डैनी के विलेन वाले रोल भी यादगार बन गये. फिर वो ‘कत्या’ हो, ‘बख़्तावर’ हो या फ़िर अग्निपथ का असली ‘कांचा चीना’.
‘कांचा चीना’, ‘बख़्तावर’ और ‘कात्या’ के नाम से हैं मशहूर
डैनी डेंज़ोंग्पा (Danny Denzongpa) ने 70 से लेकर 90 के दशक तक कई बॉलीवुड में बतौर एक्टर, विलेन, सेकेंड लीड रोल और कॉमेडियन के तौर पर काम किया. इस दौरान ‘धुंध’, ’36 घंटे’, ‘बंदिश’, ‘जियो और जीने दो’, ‘धर्म और क़ानून’, ‘अग्निपथ’, ‘हम’, ‘ख़ुदा गवाह’, ‘घातक’, सनम बेवफ़ा और ‘बरसात’ जैसी फ़िल्मों में नेगेटिव रोल्स ने उन्हें मशहूर बनाया. लेकिन आज भी हम उन्हें डैनी कम ‘कांचा चीना’, ‘बख़्तावर’, ‘शेर ख़ान’ और ‘कात्या’ के नाम से ज़्यादा जानते हैं. इस दौरान डैनी ने उस दौर के हर बड़े स्टार के साथ काम किया.
ये भी पढ़ें- जानिए आज किस हाल में है 90’s का शातिर विलेन ‘इंस्पेक्टर गोडबोले’ उर्फ़ सदाशिव अमरापूरकर
डैनी डेंज़ोंग्पा (Danny Denzongpa) ने बॉलीवुड ही नहीं, बल्कि हॉलीवुड फ़िल्मों में भी काम किया है. वो हॉलीवुड फ़िल्म ‘Seven Years in Tibet’ में ब्रैड पिट (Brad Pitt) के साथ नज़र आ चुके हैं. डैनी ने केवल फ़िल्मों में एक्टिंग ही नहीं की, बल्कि फ़िल्में भी निर्देशित की हैं. उनके निर्देशन में बनी फ़िल्म ‘फिर वही रात’ को हिंदी सिनेमा की टॉप 5 सर्वश्रेष्ठ हॉरर सस्पेंस फ़िल्मों में से एक माना जाता है.
डैनी सिंगर, चित्रकार, लेखक और मूर्तिकार भी हैं
भारत के चौथे सर्वोच्च सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित डैनी डेंग्जोंग्पा अभिनेता होने के साथ-साथ बेहतरीन सिंगर, चित्रकार, लेखक और मूर्तिकार भी हैं. वो बॉलीवुड फ़िल्म ‘काला सोना’ में आशा भोसले के साथ गाना गा चुके हैं जो उन्हीं पर फ़िल्माया गया था. इसके अलावा डैनी ने लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार और एस. डी. बर्मन के साथ भी कई गाने गाये हैं. बॉलीवुड में क़दम रखने से पहले वो नेपाली गाने गाया करते थे.
डैनी डेंग्जोंग्पा (Danny Denzongpa) अब तक क़रीब 200 फ़िल्मों में काम कर चुके हैं. वो आख़िरी बार साल 2019 में कंगना रनौत स्टारर फ़िल्म ‘Manikarnika: The Queen of Jhansi’ में नज़र आये थे. इससे पहले Bioscopewala (2018), Naam Shabana (2017), Baby (2015), Bang Bang (2014) और Jai Ho (2014) जैसी फ़िल्मों में भी नज़र आये थे.
डैनी डेंज़ोंग्पा सिक्किम में स्थित बीयर कंपनी Yuksom Breweries के मालिक हैं. डैनी की ये कंपनी हर साल बीयर के 30 लाख केस बेचती है. Yuksom Breweries भारत का तीसरा सबसे बड़ा ‘बीयर ब्रांड’ भी है. डैनी ने इसकी शुरुआत 1987 में कई थी. वो वर्तमान में सिक्किम में रहकर कंपनी की देखभाल कर रहे हैं. वो कुल 223 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं.
ये भी पढ़ें- Bob Christo: बॉलीवुड फ़िल्मों का वो विलेन, जो था तो विदेशी लेकिन एक्टिंग के लिए बन गया भारतीय