जानिए कौन हैं श्रीकांत बोला जिनकी बायोपिक करने जा रहे हैं राजकुमार राव

J P Gupta

बॉलीवुड स्टार राजकुमार राव(Rajkummar Rao) अपनी दमदार एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने शाहिद, न्यूटन, ओमेर्टा जैसी कई फ़िल्मों में अपनी परफ़ॉर्मेंस से लोगों को स्तब्ध कर दिया था, उनके हाथ एक जबरदस्त बायोपिक लगी है.

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नेशनल अवॉर्ड विनर राजकुमार राव ने हाल ही में एक नई फ़िल्म साइन की है. ये एक बायोपिक होगी जिसमें राजकुमार मशहूर नेत्रहीन उद्योगपति श्रीकांत बोला के जीवन को पर्दे पर निभाते दिखाई देंगे. इस फ़िल्म को तुषार हीरानंदानी डायरेक्ट करेंगे. इसे टी-सीरीज़ प्रोड्यूस कर रही है. इस फ़िल्म की शूटिंग इसी साल शुरू होगी.

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ख़ैर, ये तो रही फ़िल्म की बात. चलिए अब आपको बताते हैं कि आख़िर श्रीकांत बोला कौन हैं और उन्होंने जीवन में ऐसा क्या किया है जो उन पर बायोपिक बन रही है.

कौन है श्रीकांत बोला

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Srikanth Bolla आंध्र प्रदेश के मछलीपटनम के एक छोटे से गांव सीतारामपुरम के रहने वाले हैं. वो जन्म से ही नेत्रहीन हैं. उन्होंने दृष्टिहीन होने के बावजूद तमाम मुश्किलों का सामना किया और देश के पहले सफ़ल नेत्रहीन उद्योगपति बने. इनकी कंपनी का नाम Bollant Industries जिसका सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपये है.

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श्रीकांत बोला को यहां तक पहुंचने के लिए कदम-कदम पर संघर्ष करना पड़ा था. बचपन में जब वो जन्में तो उनके मां-बाप को लोगों ने उन्हें किसी अनाथालय में छोड़ आने की सलाह दी थी. इससे वो बहुत निराश हुए थे. किसान परिवार में जन्मे श्रीकांत को उनके माता-पिता बहुत प्यार करते थे. उन्होंने ग़रीबी के बावजूद बेटे को पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित किया. हालांकि, स्कूल वाले उन्हें हमेशा पीछे के ही बेंच पर बैठाते, उन्हें लगता था ये क्या सीख लेंगे.

साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई करने के लिए लड़ी क़ानूनी लड़ाई   

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श्रीकांत पढ़ने में पहले से ही तेज़ थे. उनके मां-बाप हमेशा उन्हें कुछ अलग करने को प्रेरित करते थे. दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद श्रीकांत को साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई करने के लिए क़ानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. 6 महीने के संघर्ष के बाद उन्हें विज्ञान से पढ़ने का मौक़ा दे दिया गया. 12वीं में उन्होंने 98 फ़ीसदी अंक प्राप्त कर ऐसे सभी लोगों को चुप करवा दिया जो कहते थे एक नेत्रहीन के लिए विज्ञान की पढ़ाई सही नहीं.

बने MIT से पास होने वाले पहले अंतर्राष्ट्रीय नेत्रहीन स्टूडेंट

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मगर अभी भी मुश्किलें ख़त्म नहीं हुई थीं. आईआईटी की पढ़ाई करने के श्रीकांत के सपने को भी बड़ा धक्का तब लगा जब उन्हें किसी कोचिंग सेंटर में आईआईटी की पढ़ाई करने के लिए एडमिशन नहीं दिया. श्रीकांत कहां रुकने वाले थे, उन्होंने अमेरिका की मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी(MIT) में एडमिशन के लिए आवेदन दिया. फिर वो न सिर्फ़ MIT से पास होने वाले भारत के पहले नेत्रहीन छात्र बने बल्कि MIT से पास हुए पहले अंतर्राष्ट्रीय नेत्रहीन स्टूडेंट भी बने. 

रतन टाटा ने भी इनकी कंपनी में इनवेस्ट किया है

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2012 में देश के लिए कुछ करने के इरादे से भारत लौट आए. यहां आकर इन्होंने Bollant Industries की नींव रखी. इनकी कंपनी इको-फ़्रेंडली पैकेजिंग आइटम्स बनाती है. इनकी कंपनी में बिज़नेस टायकून रतन टाटा ने भी इन्वेस्ट किया है. 2017 में फ़ोर्ब्स की 30 अंडर 30 एशिया की सूची में श्रीकांत को शामिल किया था. इसके अलावा भी उन्होंने कई अवॉर्ड जीते हैं. 2006 में इनकी मुलाकात पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से हुई थी, तब इन्होंने उनसे कहा था कि इनका सपना अपने देश का पहला नेत्रहीन राष्ट्रपति बनना है. 

सच में देश के लाखों नेत्रहीन ही नहीं नौजवानों के लिए भी श्रीकांत बोला प्रेरणा हैं.  

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