नैनो से ताज होटल पहुंचे रतन टाटा की सादगी ने जीता दिल, जानिये वो नैनो ही क्यों इस्तेमाल करते हैं

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Ratan Tata Nano Car: भारत के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) अपनी अमीरियत के साथ-साथ अपनी सादगी के लिए भी जाने जाते हैं. अरबों की संपत्ति होने के बावजूद वो अक्सर अपनी सादगी से लोगों का दिल जीत लेते हैं. रतन टाटा सिर्फ़ अपनी सादगी के लिए ही नहीं, बल्कि जब जब देश मुसीबत में आया है उन्होंने बढ़ चढ़कर दान दिया है. यही कारण है कि रतन टाटा को देश में अन्य उद्योगपतियों के मुक़ाबले काफ़ी सम्मान की नज़रों से देखा जाता है. पिछले 5 दशैकं से वो अपने परोपकारी कार्यों की वजह से देशवासियों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुके हैं.

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रतन टाटा (Ratan Tata) चाहें तो दुनिया की हर वो चीज़ ख़रीद सकते हैं और उसका लुत्फ़ उठा सकते हैं, जो किसी अरबपति की लग्ज़री लाइफ़ का हिस्सा होती हैं. लेकिन वो आज भी आपको अपनी छोटी सी नैनो कार में घूमते नज़र आ जायेंगे. रतन टाटा के लिए ‘लग्ज़री’ का मतलब है ‘सादगी’. वो सादगी से ही जीवन जीना पसंद करते हैं. इन दिनों उनकी सादगी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो रहा है.

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Ratan Tata Nano Car 

दरअसल, बीते मंगलवार को रतन टाटा अपने असिस्टेंट शांतनु नायडू के साथ अपनी छोटी सी नैनो कार से मुंबई के मशहूर ताज होटल (Taj Hotel) पहुंचे थे. इस दौरान हैरानी की बात ये थी कि देश के बड़े बिज़नेसमैन होने के बावजूद वो बिना किसी सिक्योरिटी ताम-झाम के ताज होटल (टाटा ग्रुप) पहुंचे थे. इस वीडियो में वो अपनी सफेद रंग की Tata Nano के अंदर दिखाई दे रहे हैं. इस दौरान रतन टाटा मीडिया के कैमरों में क़ैद हो गये और उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

आख़िर Ratan Tata Nano Car ही क्यों इस्तेमाल करते? 

आप लोगों ने अक्सर रतन टाटा को नैनो कार से ही सफ़र करते हुये देखा होगा. उनके गैरेज में एक से बढ़कर एक कर हैं, लेकिन उन्हें ‘Tata Nano’ सबसे ज़्यादा पसंद है. अरबों की संपत्ति वाले रतन टाटा को आपने कई मौकों पर नैनो कार का इस्तेमाल करते हुये देखा भी होगा. रतन टाटा को ये कार इसलिए भी पसंद है, क्योंकि ये उनका ड्रीम प्रोजेक्ट रही है. कुछ दिन पहले उन्होंने ‘Tata Nano’ से जुड़ा एक ख़ूबसूरत पोस्ट शेयर किया था. इस दौरान उन्होंने नैनो कार के बनाने के पीछे की दिलचस्प कहानी भी शेयर की थी.

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रतन टाटा ने अपने पोस्ट में लिखा था-

मैं अक्सर भारतीय परिवारों को स्कूटर पर सफर करते हुए देखता था. इस दौरान माता-पिता के बीच बच्चा सैंडविच की तरह बैठा होता था. कई बार फिसलन भरी सड़कों पर उन्हें इस तरह जाता देख मुझे डर भी लगता था. यही वो मुख्य कारण था जिसने मेरे अंदर इस तरह की गाड़ी (Nano) बनाने की इच्छा पैदा की और मुझे मोटिवेट किया. इस कार के डिज़ाइन के लिए मुझे School of Architecture में पढ़ने का फ़ायदा मिला. इस दौरान मैं नई तरह की डिजाइनों पर भी काम करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन शुरुआत में आइडिया था कि 2-व्हीलर को सुरक्षित बनाया जाए. इसके लिए एक डिज़ाइन तैयार किया जो एक 4-व्हीलर ही था, लेकिन उसमें ना तो कोई दरवाज़ा था ना ही कोई खिड़की. लेकिन अंत में मैंने तय किया कि ये एक कार होगी.

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Ratan Tata Nano Car

दरअसल, रतन टाटा ने ‘नैनो’ कार कम आय वर्ग वाले लोगों के लिए बनाई थी. ये ‘लखटकिया कार’ या ‘आम लोगों की कार’ नाम से भी काफ़ी मशहूर हुई. लेकिन सफ़ल कार नहीं बन पायी. टाटा कंपनी ने आम लोगों की कार ‘टाटा नैनो’ को 10 जनवरी 2008 को लॉन्च की थी. इस दौरान कंपनी ने इसे 3 वैरिएंट में लॉन्च किया था. तब कंपनी ने इसकी शुरुआती क़ीमत 1 लाख रुपये रखी थी.

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