Aurangzeb and Hirabai Love Story in Hindi: मुगल बादशाह अपनी क्रूरता, लड़ाइयों व साम्राज्य विस्तार नीतियों से अलग अपनी प्रेम कहानियों के लिए भी चर्चा का विषय रहे हैं. वहीं, जोधा-अकबर, सलीम-अनारकली और शाहजहां-मुमताज के बारे में तो अमूमन सभी को जानकारी होगी. लेकिन, क्या आपको औरंगज़ेब की लव स्टोरी के बारे में पता है? अक्सर औरंगज़ेब से जुड़ी कही गई बातों में मोहब्बत वाला विषय गायब ही रहता है, लेकिन जानकर हैरानी होगी कि इश्क का रोग मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब को भी लगा था.
आइये, विस्तार से आपको बताते हैं औरंगज़ेब की अनकही लव स्टोरी के बारे में जब एक दासी को पहली नज़र में वो अपना दिल दे बैठे थे.
जब औरंगज़ेब का अपनी मौसी के घर हुआ आगमन
Aurangzeb and Hirabai Love Story in Hindi: ये अनकही मोहब्बत की कहानी तब की है जब मुग़ल साम्राज्य की कमान बादशाह शाहजहां के हाथों में थी और शहज़ादे औरंगज़ेब 35 वर्ष के थे. वहीं, जब औरंगज़ेब को दूसरी बार दक्कन के गर्वनर का पद मिला, तो वो औरंगाबाद जाते हुए मध्य प्रदेश के बुरहानपुर से होकर गुज़रे, जहां उनकी मौसी सुहेला बानो रहती थीं, जिनका निकाह मीर ख़लील ख़ान-ए-ज़मान से हुआ था. औरंगज़ेब उन्हीं से मिलने पहुंचे थे, लेकिन यहां पहुंचकर उनकी दुनिया ही बदल गई.
मोहब्बत की शुरुआत
औरंगज़ेब अपनी मौसी के पास पहुंच गए और दिन वो ज़ैनाबाद के बाग़ ‘आहू ख़ाना’ में घूम रहे थे. उनकी मौसी भी अपनी दासियों के साथ उसी बाग़ में टहल रही थीं. उनमें से एक दासी थी ज़ैनाबादी जिसका असली नाम था हीराबाई. हीराबाई की गायकी, अदाओं और ख़ूबसूरती का कोई जवाब नहीं था. इस बीच एक घटना हो गई. दरअसल, टहलते हुए जब दासियों संग औरंगज़ेब की मौसी एक आम के पेड़ के नीचे से गुज़री, तो हीराबाई ने नज़दिक लगे एक आम उछलकर तोड़ लिया. वहां से औरंगज़ेब भी गुज़र रहे थे, जिनका दासी ने अदब नहीं किया और न ही मौसी की मौजूदगी का लिहाज़ किया. ये बात शहज़ादे की मौसी को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने हीराबाई को डांट लगा दी.
इस बीच हीराबाई की नज़र औरंगज़ेब पर पड़ी और वो उनसे निगाह मिलाकर वहां से चली गईं.
जब हीराबाई को देख बेहोश गए थे औरंगज़ेब
Aurangzeb and Hirabai Love Story in Hindi: हमीदुद्दीन ख़ान, जिन्होंने औरंगज़ेब की जीवनी लिखी है, उन्होंने इस घटना को कुछ अलग तरीक़े से पेश किया है. वो घर औरंगज़ेब की मौसी का था और इसलिए हरम की महिलाओं को उनसे दूर रखने के लिए ज़्यादा सोचा नहीं गया था. औरंगज़ेब बिना रोक-टोक वहां जा सकते थे.
एक दिन वो अचानक से हरम में पहुंच गए, जहां हीराबाई एक पेड़ के नीचे खड़ी होकर गा रही थीं. उनकी ख़ूबसूरती और गायकी ने औरंगज़ेब के होश उड़ा दिए. उन्होंने पहली नज़र में हीराबाई को अपना दिल दे दिया. जानकर हैरानी होगी कि वो उन्हें देखकर बेहोश हो गए थे.
घबरा गई थी मौसी
Aurangzeb and Hirabai Love Story in Hindi: औरंगज़ेब को बेहोश देख उनकी मौसी घबरा गई थीं. वहीं, जब शहज़ादे को होश आया, तो उन्होंने पूछा कि क्या कोई बीमारी है? क्या ऐसा पहले भी हुआ था? उस वक़्त औरंगज़ेब ने इसका जवाब नहीं दिया. वहीं, आधी रात में औरंगज़ेब ने अपनी मौसी से कहा कि अगर मैं अपनी बीमारी आपको बताता हूं, तो क्या आप उसका इलाज करेंगी?
इस पर मौसी ने भावुक होकर कहा कि इलाज की क्या बात है, मैं तुम्हारे लिए अपनी जान तक दे दूं. औरंगज़ेब (Aurangzeb Love Story in Hindi) ने पूरी बात बताई. शहज़ादे की बात सुनकर मौसी थोड़ी देर चुप रहीं और फिर कहा कि तुम्हारे लिये ख़ुद को कुर्बान कर दूं, लेकिन तुम अपने मौसा को नहीं जानते. ये बात सुनकर वो पहले हीराबाई और फिर मुझे मार देगा. उन्होंने आगे कहा कि तुम्हारे मौसा को बताने का कोई फायदा नहीं. क्यों बिना अपराध के उस मासूम की जान ली जाए? शहज़ादे मौसी की बातों से सहमत थे. उन्होंने मौसी से कहा कि मैं कोई और तरीक़ा अपनाता हूं.
ख़ान-ए-ज़मान से बातचीत
Aurangzeb and Hirabai Love Story in Hindi: औरंगज़ेब अपने घर आ गए और सारी बात अपने ख़ास मुर्शिद कुली ख़ान को बताई. मुर्शिद कुली ख़ान ने औरंगज़ेब के मौसा ख़ान-ए-ज़मान से बातचीत की. ख़ान-ए-ज़मान ने कहा कि वो शहज़ादे को संदेशा भिजवाएं कि इसके लिए उन्हें अपने हरम की चित्राबाई उन्हें सौंपनी होगी. हालांकि, कुछ इतिहासकार इस कथन से असहमत हैं.
वहीं, इतिहासकार जदुनाथ सरकार की मानें, तो हीराबाई, औरंगज़ेब (Untold Love Story of Aurangzeb) का एकमात्र प्यार थी. हीराबाई के कश्मीरी हिन्दू थी, जिसे उसके माता-पिता ने बाज़ार में बेच दिया था. फिर वो ख़ान-ए-ज़मान के यहां पहुंची, जहां वो नृत्य और गाती थी. हीराबाई को ‘ज़ैनाबादी महल’ का नाम दिया गया था.
वहीं, मासर-अल-उमरा में लिखा है कि हीराबाई को बहुत मिन्नतों के बाद औरंगज़ेब ने अपनी मौसी से हासिल किया था. वो हीराबाई के प्यार में पागल से हो गए थे.
वहीं, कहते हैं कि एक बार हीराबाई (Untold Love Story of Aurangzeb) ने शराब से भरा प्याला औरंगज़ेब को दिया और कहा इसे होंठों से लगा लीजिए. इस पर औरंगज़ेब ने कहा था कि मेरे प्यार को इस जाम के पीने से तय न करो. जब बेबस होकर औरंगज़ेब ने शराब पीनी चाही, तो हीराबाई ने प्याला हटा दिया और कहा कि मेरा मक़सद शराब पिलाना नहीं, बल्कि प्यार का इम्तिहान लेना था.
हीराबाई की मौत पर गहरा धक्का
Aurangzeb and Hirabai Love Story in Hindi: औरंगज़ेब, हीराबाई के प्यार में पागल से हो गए थे. ये देख उनके भाई दारा शिकोह ने पिता शाहजहां से उनकी शिकायत की कि कैसे औरंगज़ेब एक दासी के प्यार में बर्बाद हो रहा है.
हीराबाई 1653 को एक महीने के लिए औरंगज़ेब के साथ दौलताबाद गईं थी. वहीं, 1654 को उनका निधन गया था, जिसका औरंगज़ेब को गहरा धक्का लगा था. इसके बाद उन्होंने शिकार पर जाने का फैसला किया. उनके क़रीबी हैरान थे कि शोक की स्थिति में ये कैसे शिकार पर जा सकते हैं.
वहीं, जब औरंगज़ेब शिकार के लिए अपने महल से निकले, तो उनके सेनापति मीर-ए-असकर ने कहा कि दुख में शिकार पर जाना, हम नहीं देख सकते. इस पर औरंगज़ेब ने एक शेर कहा कि “घर में रोने पीटने से दिल को तसल्ली नहीं मिली ,जंगल में जी भर कर रोया जा सकता है.”