First Encounter Of India: उत्तर प्रदेश इन दिनों एनकाउंटर (Encounter In Uttar Pradesh) को लेकर काफ़ी चर्चा में है. यूपी पुलिस (UP Police) की गोलियां राज्य से माफ़िया राज समेटने में लगी हैं. इस बीच एनकाउंंटर के विरोध में भी कई आवाज़े उठ रही हैं. बड़ी पार्टियों के नेता भी इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं. हालांकि, जब भी किसी अपराधी का एनकाउंंटर होता है तो मन में ये सवाल ज़रूर उठता है कि आख़िर देश में पहली बार एनकाउंटर कब और किस अपराधी का हुआ होगा? आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देंगे. (Manya Surve Encounter)
First Encounter Of India: 40 साल पहले हुआ था पहला एनकाउंटर
1980 का दशक था. मुंबई में अंडरवर्ल्ड (Mumbai Underworld) का राज़ था. मुंबई पुलिस (Mumbai Police) के सामने अरुण गवली, डी कंपनी और नाइक गैंग के गुर्गे चुनौती बने थे. इन सबसे निपटने के लिए ‘मुंबई पुलिस डिटेक्शन यूनिट’ का गठन हुआ, जिसे ‘एनकाउंटर स्क्वैड’ नाम से जाना जाता था.
मुंबई पुलिस की इसी यूनिट ने 11 जनवरी 1982 को वडाला कॉलेज में एनकाउंटर किया था. इसे ही देश का पहला एनकाउंंट कहा जाता है. बता दें, जिस अपराधी का एनकाउंटर हुआ था, वो कोई और नहीं, बल्क़ि गैंगस्टर मान्या सुर्वे था. वही मान्या जिस पर ‘शूटआउट एट वडाला’ फ़िल्म भी बन चुकी है.
कौन था मान्या सुर्वे
मान्या बॉम्बे का एक पढ़ा-लिखा गैंगस्टर था. यूंं तो उसका नाम मनोहर अर्जुन सुर्वे था, मगर दोस्त मान्या सुर्वे ही पुकारते थे. यही नाम पुलिस डायरी में भी दर्ज हुआ.
कहते हैं कि मान्या शुरू से अपराधी नहीं था. बल्कि़ ग्रेजुएट था. मान्या को अपराध की दुनिया में उसका सौतेला भाई भार्गव दादा लेकर आया था. दोनों ने 1969 में किसी का मर्डर किया था. इस केस में उन्हें उम्रकैद की सजा हुई, मान्या को बॉम्बे के बजाय पुणे के यरवदा जेल भेज दिया गया. मगर जेल को उसे अपने आतंक का अड्डा बना दिया. मजबूरन उसे रत्नागिरी जेल शिफ़्ट किया गया. वहां उसने बीमार होने का बहाना किया और अस्पताल में भर्ती हुआ. इसी अस्पताल से मान्या पुलिस को चकमा देकर फ़रार हो गया.
गैंग बना कर मुंबई में फैलाया आतंक
उस वक़्त के बॉम्बे में काफ़ी गैंग सक्रिय थे. मान्या ने भी जेल से भाग कर एक गैंग बना लिया. हालांकि, किसी ने नहीं सोचा था कि उसका गैंग बाकी गैंग्स्टर पर भारी पड़ जाएगा. माना जाता है कि दाऊद के एक भाई के मर्डर में भी इसी का हाथ था. मान्या के बढते आतंक की वजह से पुलिस को काफ़ी आलोचना झेलनी पड़ी. उसके बाद बॉम्बे पुलिस ने तय कर लिया था कि मान्या के आतंक को ख़त्म करना ही पड़ेगा.
एनकाउंटर स्क्वाड तैयार थी. कमान मुंबई पुलिस के दो अधिकारियों राजा तांबट और इशाक बागवान को सौंपी गयी. पुलिस और मान्या के बीच छुपा-छुपी का खेल कुछ वक़्त तक चला. मगर फिर 11 जनवरी 1982 को पुलिस को दाऊद इब्राहिम गिरोह से एक सूचना मिली कि मान्या वडाला में अंबेडकर कॉलेज जंक्शन के पास स्थित एक ब्यूटी सैलून जाएगा.
पुलिस पूरी प्लानिंग के साथ वडाला पहुंंची और मुठभेड़ के दौरान मान्या को गोलियों से भून डाला. एंंबुलेंस से मान्या अस्पताल पहुंंच पाता, इसके पहले ही उसने दम तोड़ दिया. इस तरह से पुलिस की डायरी और देश के इतिहास में ये पहला एनकाउंटर दर्ज हुआ.
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