देश की पहली ट्रेन बॉम्बे और ठाणे के बीच नहीं, बल्कि उत्तराखंड की इन दो जगहों के बीच चली थी

Nripendra

First train in India in Hindi: रेल के आविष्कार को दुनिया के सबसे बड़े इनवेंशन में गिना जाता है. जहां हवाईजहाज ने देशों व मुख्य शहरों को जोड़ने का काम किया, तो वहीं रेल तंत्र ने राज्य के साथ छोटे-छोटे शहरों को भी आपस में कनेक्ट करने का काम किया. 

वहीं, अगर आपसे पूछा जाए कि भारत में सबसे पहली ट्रेन कब और कहां चली थी, तो अमूमन जवाब यही आएगा कि भारत में पहली ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को बॉम्बे और ठाणे के बीच चली थी, लेकिन दोस्तों जानकर हैरानी होगी कि देश में पहली ट्रेन (Train History in India) यहां नहीं बल्कि देश के किसी और कोने में चली थी, वो भी इससे दो साल पहले. आइये, जानते हैं क्या है ये पूरी कहानी.

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आइये, अब विस्तार से पढ़ते (First train in India in Hindi) हैं पूरा आर्टिकल. 

भारत में सबसे पहली ट्रेन कहां चली? 

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First train in India in Hindi: भारत में ट्रेन को लाने का श्रेय अंग्रेज़ों को जाता है. भले अंग्रेज़ों ने अपने हित के लिए भारत में रेल की शुरुआत की, लेकिन इसका सबसे बड़ा लाभ भारतीयों को मिला. वहीं, हमें अब तक यही पढ़ाया गया है कि भारत में सबसे पहले ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को बॉम्बे और ठाणे के बीच चली थी, लेकिन जानकर हैरान होगी कि देश में इससे दो साल पहले ही ट्रेन की शुरुआत हो चुकी थी. ये ट्रेन 1853 से दो साल पहले यानी 22 दिसंबर 1851 को आज के उत्तराखंडे के रूडकी और पिरान कलियर के बीच चली थी. 

मालगाड़ी थी ये ट्रेन

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First Train In India From Where To Where: जिस ट्रेन की हम बात कर रहे हैं वो एक मालगाड़ी थी. दरअसल, किसानों की सिंचाई की समस्या के समाधान के लिए अंग्रेज़ों द्वारा एक नहर निर्माण की योजना बनाई गयी थी. ये नहर गंगा नदी से निकलती थी और इसके लिए बहुत-सी मिट्टी की ज़रूरत थी. 

इस योजना के मुख्य इंजीनियर थोमसन थे, जिन्होंने रूड़की से 10 किमी दूर पिरान कलियर से मिट्टी लाने के लिए एक रेल इंजन मंगवाया था.

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जोड़ी गईं थी दो बोगियां 

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First train in India in Hindi: ट्रेन के इंजन के साथ दो बोगियां जोड़ी गईं थी, जो 200 टन का वजन झेल सकती थीं. वहीं, रुड़की से पिरान कलियर का 10 किमी का सफ़र ये ट्रेन चार मील प्रति घंटे की रफ़्तार के साथ 38 मिनट में पूरा किया करती थी.  

इस ट्रेन ने क़रीब 9 महीनों तक काम किया था, वहीं 1852 में एक दुर्घटना में इस ट्रेन के इंजन में आग लग गई थी. हालांकि, तब तक नहर का काम पूरा हो चुका था. वहीं, इसके बाद ही 1853 में पहली पैसेंजर ट्रेन चली थी.

इस बात का ज़िक्र ‘रिपोर्ट ऑन गंगा कैनाल’ में एक किताब में मिलता है, जो एक ब्रिटिश लेखक PT Cautley ने लिखी थी. ये किताब IIT Roorkee की लाइब्रेरी में आज भी मौजूद है. 

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