बिहार में स्थित वो रहस्यमयी गुफ़ा जिसमें अंदर जाना तो मुमकिन है मगर बाहर निकलना नामुमकिन

Kratika Nigam

Mysterious Cave Of Mir Qasim: दुनिया में बहुत सी ऐसी जगहें हैं जो हज़ारों सालों से रहस्य बनी हुई हैं, जिनकी गुत्थी कोई नहीं सुलझा पाया है. ये रहस्यमयी जगहें लोगों में चर्चा का विषय भी बनी रहती हैं साथ ही इस वजह से लोग ज़्यादा जाना भी पसंद करते हैं तो टूरिज़्म के हिसाब से भी अच्छी कमाई करती हैं. इन जगहों में जंगल, पहाड़, नदी, सुरंग, महल शामिल हैं इन्हीं में से एक ऐसी गुफ़ा की बात करेंगे, जो कई साल से रहस्य बनी हुई है.

चलिए जानते हैं कौन सी है वो गुफ़ा, कहां है और क्या है उसका रहस्य?

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ये गुफ़ा बिहार के मुंगेर ज़िले के श्री कृष्ण वाटिका में स्थित है, जो 1760 से 1763 तक बंगाल के नवाब मीर क़ासिम की गुफ़ा (Mysterious Cave Of Mir Qasim) है. इसे मीर क़ासिम ने 250 साल पहले बनवाया था क्योंकि वो राज्य के मामलों में सुधार करना चाहता था, जिसके लिए उसने गुफ़ा का निर्माण कराया और अपनी राजधानी को मुर्शिदाबाद से मुंगेर (बिहार) स्थानान्तरित किया.

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उस समय मीर क़ासिम के राज्य पर ब्रिटिश सैनिकों का हमला होता था, जिससे बचाव के लिए भी इस गुफ़ा को बनाया गया. गुफ़ा का निर्माण कार्य 1760 में पूरा हो गया था. इस गुफ़ा के बारे में कहते हैं कि, इसमें अंदर जाने का तो रास्ता है लेकिन बाहर आने का रास्ते का कुछ पता नहीं है. ऐसी अटकलें हैं कि, अन्य प्रवेश द्वार मुफ़स्सिल थाना ज़िले में स्थित पीर पहाड़ी के पास स्थित है.

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मीर क़ासिम की इस रहस्यमयी गुफ़ा के बनने से अंग्रेज़ नाराज़ हो गए थे और उन्होंने मीर क़ासिम पर हमला कर दिया था. इस हमले से बचने के लिए अवध के नवाब शुजा-उद-दौला ने पूरी तरह से मीर क़ासिम का समर्थन किया, लेकिन वो ब्रिटिश सैनिकों से हार गए और 8 मई, 1777 को उनकी मृत्यु हो गई.

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आपको बता दें, राजकुमार बहार और मीर क़ासिम की संतान राजकुमारी गुल की कब्रें भी इसी गुफ़ा में स्थित हैं, जो इसी रास्ते से भागने के चलते ब्रिटिश सैनिकों द्वारा मारे गए थे. गुफ़ा में एक पार्क भी है, लेकिन इसका दूसरा छोर आज भी रहस्य बना हुआ है.

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