Bank of Bengal: जो आगे चलकर बना भारत का सबसे बड़ा बैंक SBI, दिलचस्प है इसका इतिहास

Maahi

Bank of Bengal: भारत का पहला बैंक बैंक ऑफ़ हिंदोस्तान (Bank Of Hindostan) था, जिसे सन 1770 में अलेक्जेंडर एंड कंपनी द्वारा कोलकाता में स्थापित किया गया था. ये कंपनी कोलकाता की एक ब्रिटिश एजेंसी थी, जिसने इस बैंक को क़रीब 50 सालों तक सफ़लता पूर्वक संचालित किया. लेकिन इसके बाद बैंक की वित्तीय स्थिति गड़बड़ाने लगी. सन 1832 में बैंक की मूल फ़र्म ‘मेसर्स अलेक्जेंडर एंड कंपनी‘ भारी वित्तीय संकट में फंस गई और ‘बैंक ऑफ़ हिंदोस्तान’ हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गया.

ये भी पढ़ें: Indian Currency: जानिये 1 रुपये से लेकर 2000 रुपये के नोट पर किसकी व कहां की तस्वीर छपी होती है

wikipedia

HISTORY OF BANKING IN INDIA

ये थी भारत के पहले बैंक के बनने और उसके बंद होने की अनसुनी कहानी, लेकिन अब हम बात वर्तमान में भारत के सबसे बड़े बैंक ‘स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया’ यानी SBI की करते हैं. जानिए ये बैंक कैसे अस्तित्व में आया और आज़ादी के बाद इस बैंक ने हम भारतीयों को कैसे एकजुट किया.

getbengal

दरअसल, सन 1832 में Bank Of Hindostan के बंद होने से कई साल पहले एक और बैंक अस्तित्व में आ चुका था. 2 जून 1806 को कोलकाता में ‘बैंक ऑफ़ कलकत्ता’ की स्थापना की गई. 3 साल बाद बैंक को चार्टर प्राप्त होते ही 2 जनवरी, 1809 में इसे बैंक ऑफ़ बंगाल (Bank of Bengal) नाम दे दिया गया. यही बैंक आज देश का सबसे बड़ा बैंक है जिसे हम स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) के नाम से जानते हैं.

fintors9

Bank of Bengal से State Bank Of India

बैंक ऑफ़ बंगाल (Bank of Bengal) बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित ब्रिटिश भारत का पहला ‘संयुक्त स्टॉक बैंक’ था. 15 अप्रैल, 1840 को मुंबई में बैंक ऑफ़ बॉम्बे (Bank of Bombay) की स्थापना हुई. 1 जुलाई, 1843 को बैंक ऑफ़ मद्रास (Bank of Madras) भी अस्तित्व में आया. लेकिन 27 जनवरी, 1921 को ‘बैंक ऑफ़ बॉम्बे’ और ‘बैंक ऑफ़ मद्रास’ का ‘बैंक ऑफ़ बंगाल’ में विलय कर दिया गया. इन तीन बैंकों के विलय से इम्पीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया (Imperial Bank of India) अस्तित्व में आया. पहले इनमें निजी शेयर होल्डिंग के तहत यूरोपियन की हिस्सेदारी ज़्यादा थी, लेकिन सन 1823 में तीनों बैंकों पर सरकार का नियंत्रण हो गया.

cnbctv18

ये भी पढ़ें: 1 रुपये का सिक्का बनाने में 1.2 रुपये खर्च होते हैं, जानिए घाटे के बावजूद इसे क्यों बनाया जाता है

भारत की आज़ादी के बाद तक बैंक ऑफ़ इंडिया (Imperial Bank of India) अस्तित्व में रहा, लेकिन सन 1955 में रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने ‘इंपीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया’ को पार्लियामेंटरी एक्ट के तहत अधिग्रहित कर लिया. इसके लिए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, एक्ट 1955 लाया गया था. आख़िरकार 30 अप्रैल, 1955 को ‘इंपीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया’ का नाम बदलकर ‘स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया’ कर दिया गया. इसके बाद 1 जुलाई, 1955 को ‘स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया’ की स्थापना हुई.

edtimes

सन 1955 में सब्सिडियरी एक्ट आने के बाद अक्टूबर में ‘स्टेट बैंक ऑफ़ हैदराबाद’ अस्तित्व में आया. इसके बाद ‘स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर’, ‘स्टेट बैंक ऑफ़ इंदौर’, ‘स्टेट बैंक ऑफ़ जयपुर’, ‘स्टेट बैंक ऑफ़ सौराष्ट्र’, ‘स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर’, ‘स्टेट बैंक ऑफ़ पटियाला’, ‘स्टेट बैंक ऑफ़ त्रावणकोर’ और ‘भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) जैसे सहयोगी बैंक बने. लेकिन 1 अप्रैल 2017 को इन सभी सहयोगी बैंकों का स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (State Bank Of India) में विलय कर दिया गया. इसके बाद SBI देश का सबसे बड़ा बैंक बन गया.

आज़ादी के बाद शुरू हुए इस बैंक ने आज भारत के बैंकिंग सेक्टर की तस्वीर बदलकर रख दी है. इसी लिए ये आज देश का सबसे बड़ा बैंक है.

ये भी पढ़ें- RBI हमसे पुराने कटे-फटे नोट लेकर उनका क्या करता है, जानिये पूरी जानकारी

आपको ये भी पसंद आएगा