दिलचस्प है Mahindra & Mahindra कंपनी की कहानी, कभी जानी जाती थी महिंद्रा & मोहम्मद के नाम से

Nripendra

सफलता वो नहीं जो आपको तोहफ़े में मिल जाए, बल्कि सफलता तो वो है जिसके लिए दिन रात मेहनत करनी पड़े. विश्व भर में सफलता के ऐसे कई उदाहरण आपको मिल जाएंगे, जब भीषण तूफ़ानों जैसी मुसीबतों का सामना कर इंसानों ने हैरान कर देने वाला कारनामे करके दिखाए. इनमें कई बड़ी व्यावसायिक कंपनियां भी शामिल हैं. इसी क्रम में हम आपको बताते हैं Mahindra & Mahindra कंपनी की कहानी. जानकर हैरानी होगी कि ये कंपनी महिंद्रा & मोहम्मद के नाम से जानी जाती थी. आइये, जानते हैं इस कंपनी की शुरुआती कहानी.

शुरुआती कहानी 

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जगदिश चंद्र महिंद्रा का जन्म 1892 को हुआ था और इसके दो साल बाद उनके भाई कैलाश चंद्र महिंद्रा का जन्म हुआ था. जानकारी के अनुसार, जेसी और केसी 9 भाई-बहन थे. कहते हैं कि बहुत कम उम्र में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया. जगदिश चंद्र महिंद्रा को पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी उठानी पड़ी. 

कहते हैं कि जेसी महिंद्रा कम उम्र में ही समझ गए थे कि अगर ऊपर उठना है, तो बुलंद हौसलों के साथ शिक्षा भी ज़रूरी है. इसलिए, उन्होंने अपने भाई-बहनों को उच्च शिक्षा दी और भाई केसी को पढ़ने के लिए कैम्ब्रिज भेज दिया था.  

एम एंड एम ग्रुप की शुरुआत 

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केसी महिंद्रा यानी कैलाश चंद्र महिंद्रा ने पढ़ाई पूरी की और कुछ समय तक अमेरिका में नौकरी भी की. वहीं, उन्हें 1942 में Indian Purchasing Mission (US) का प्रमुख भी बनाया गया था. वहीं, वो 1945 में भारत लौट आए. कहते हैं देश लौटने के बाद उन्हें नौकरी के कई बड़े ऑफ़र आए, लेकिन उन्होंने अपना कुछ शुरु करने का सोचा. फिर क्या था उन्होंने भाई जगदिश और मित्र मलिक ग़ुलाम मोहम्मद के साथ 1945 में एक कंपनी की नींव रखी, जिसका नाम रखा गया Mahindra & Mohammad Company.   

बंटवारे ने कंपनी और दोस्तों को अलग कर दिया 

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महिंद्रा & मुहम्‍मद कंपनी की शुरुआत एक स्टील कंपनी के रूप में हुई थी. महिंद्रा भाइयों ने सोचा था कि वो एक बड़ी स्टील की कंपनी बनाएंगे, लेकिन देश के बंटवारे के सामने उनके सपने कमज़ार पढ़ गए. 15 अगस्त 1947 में हुए देश के बंटवारे की वजह से दो हिंदू-मुसलमान दोस्त अलग हो गए. मलिक ग़ुलाम मोहम्मद पाकिस्तान चले गए और वहां जाकर पहले वित्त मंत्री और बाद में देश के तीसरे गवर्नर जनरल बनें.

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Mahindra & Mahindra की शुरुआत 

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कंपनी में मलिक ग़ुलाम मोहम्मद की हिस्सेदारी ज़्यादी थी. इस वजह से दोनों भाइयों को लगा कि शायद कंपनी आगे चल न पाए. लेकिन, दोनों भाइयों ने हिम्मत नहीं हारी और कंपनी को किसी भी हालत में आगे ले जाने का फ़ैसला किया. कंपनी का नाम एमएंडएम पहले से ही रजिस्टर्ड था. वहीं, उन्होंने कंपनी का नाम न बदलवाकर मोहम्मद की जगह महिंद्रा कर दिया. अब कंपनी का नाम महिंद्रा एंड महिंद्रा हो गया था.   

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जीप का प्रोडक्शन  

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महिंद्रा ब्रदर्स कंपनी के साथ कुछ नया करना चाहते थे. ऐसे में केसी महिंद्रा का अनुभव काम आया. उन्होंने यूएस में जीप देखी थी, तो उन्होंने भारत में जीप का प्रोडक्शन करने की ठान ली. जीप का प्रोडक्शन कर महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी एक ऑटोमोबाइल कंपनी बन गई. जल्द ही उन्होंने ट्रैक्टर के साथ अन्य गाड़ियों का निर्माण भी शुरु कर दिया और जल्द ही ये कंपनी भारत की लोकप्रिय ऑटोमोबाइल कंपनी बन गई. इस तरह कंपनी आगे बढ़ती गई और आज भी इसका अस्तित्व बरकरार है. 1991 में आनंद महिंद्रा एमएंडएम ग्रुप के नए डिप्टी डायरेक्टर बनें.  

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