मुग़ल क़ाल में शासकों के ख़ज़ाने से निकलता था धुआं, जानिए इसके पीछे की रोचक वजह

Kratika Nigam

History Of Mughal Treasure: भारत का इतिहास बहुत समृद्ध है. इसके इतिहास में बहुत से राज और तथ्य जुड़े हुए हैं. सबसे ज़्यादा इतिहास में जिस काल की बात की गई है वो है मुग़ल काल. मुग़ल काल में एक से बढ़कर शहंशाह और महाराजा हुए जिन्होंने भारतीय इतिहास को अपनी वीरता और शौयर्ता से सजाया. इतिहास के साथ-साथ अगर भारत की आर्थिक स्थिति की बात करें तो सुना होगा कि भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था.

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इसी सोने की चिड़िया से कई मुग़ल शासकों ने अपने ख़ज़ाने भरे हैं, तो चलिए मुग़लों के ख़ज़ाने का इतिहास (History Of Mughal Treasure) जानते हैं और साथ में ये भी जानते हैं कि आख़िर इनके ख़ज़ानों से धुआं क्यों निकलता था?

बाहर के देशों से भारत आने वाले लोग मुग़ल सल्तनत की शान-ओ-शौक़त देखकर हक्के-बक्के रह जाते थे. इनको समृद्ध बनाया इनके शौक़ ने तो किसी को कर ने. जैसे शाहजहां को मुग़ल विरासत की कहानी कहने वाले मकबरे पसंद थे तो जहांगीर को हीरे. अकबर को बड़े पैमाने पर कर मिलता था. यही वजह थी कि मुग़ल काल के शासक काफ़ी समद्ध थे.

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मुग़लों के ख़ज़ाने का ज़िक्र अकबर के नवरत्न अबुल फ़ज़ल ने आइन-ए-अकबरी में किया है. इन्होंने अकबर के ख़ज़ाने को ख़ज़ाना नहीं बल्कि कारखाना बताया है जिसकी वजह ये है कि उनके पास इतना ख़ज़ाना था कि उसकी देखभाल करने के लिए कई लोगों को रखा गया था. सबको अलग-अलग ज़िम्मेदारी और ड्यूटी दी गई थी. ख़ज़ाने को कई विभागों में बांटा गया था, जिसे संभालने के लिए कई लोगों की टीम एक-साथ काम करती थी.

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इन सभी विभागों की सभी टीम का अध्यक्ष अकबर का ख़ास ख़्वाजासरा एतमाद ख़ां उर्फ़ फूल मलिक था, जिसकी ज़िम्मेदारी थी कोषाध्यक्ष के पास दो लाख दाम (आज के पांच हज़ार रुपये) इकट्ठा होने पर उसे फ़ौरन राज दरबार के मुख्य कोषाध्यक्ष के पास सौंप देना. जिस तरह ख़ज़ाने की देखभाल फूल मलिक करता था वैसे ही राजा को मिलने वाले तोहफ़े की ज़िम्मेदारी किसी और के पास थी.

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अबुल फ़ज़ल के मुगलों के ख़ज़ाने को कारखाना बताने की एक वजह ये भी कि यहां पर चौबिसों घंटे कारखानों की तरह काम चलता था. सैकड़ों सर्राफ़ काम करते थे, जो सोने, चांदी और तांबे की सिल्ली लेकर मुहरें बनवाते थे. मोहरें बनाने के लिए धातुओं को पिघलाया जाता था, जिससे चिमनियों से धुआं निकलता था. यही वजह थी मुग़लों के ख़ज़ाने से धुआं निकलने की. कहते थे कि यहां की मिट्टी भी लोगों को अमीर बना देती थी.

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आइन-ए-अकबरी के मुताबिक, ख़ज़ाने में कई तरह के काम होते ते, जैसे सोने-चांदी को पिघलाकर सलाखें बनाना, चांदी सहित धातुओं को परखना की असली है या नकली. अकबर के राज में क़ीमती धातुओं को कोई बिना इजाज़त बाहर ले जाता ता उसे सज़ा दी जाती थी.

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आपको बता दें, अकबर के अलावा, मुग़ल सल्तनत के कई शासकों ने भारत के साथ-साथ यहां के ख़ज़ाने पर भी राज किया. इनमें से एक था बाबर जो तब भारत आया जब उसकी माली हालत ठीक नहीं थी. तंगहाली से गुज़रते बाबर ने भारत में मुग़ल सल्तनत की स्थापना की. हालांकि, बाबर ने कम ही वक़्त के लिए शासन किया लेकिन उसने लूटपाट करके ख़ज़ाने भरने शुरू किये. बाबर की अगली पीढ़ी ने भी बाबर के नक़्शे कदम पर चलते हुए ख़ज़ानों को इस कद्र भरा कि इसका ज़िक्र हिंदुस्तान आने वाले यात्रियों ने तक किया है.

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