Raisina Hill History: रायसीना हिल्स भारत का वो हिस्सा है जहां भारत की सरकार बैठती है. यहीं पर राष्ट्रपति भवन है, संसद भवन है, दूसरे महत्वपूर्ण मंत्रालय और इंडिया गेट है. इसे भारत सरकार का गढ़ कहना ग़लत न होगा.
रायसीना हिल्स के बारे में आपने टीवी और अख़बारों में बहुत पढ़ा होगा. लेकिन इसका इतिहास क्या है और कैसे इसका नाम रायसिना हिल्स पड़ा ये बहुत कम लोगों को पता है. चलिए आज मिलकर रायसीना हिल्स की हिस्ट्री के बारे में भी जान लेते हैं…
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रायसीना हिल्स का इतिहास (Raisina Hill History)
1931 रायसीना हिल्स का उद्घाटन हुआ था. इस इलाके को ब्रिटिश राज के दौरान फ़ेमस आर्किटेक्चर एडविन लुटियन (Edwin Lutyens) और हर्बर्ट बेकर (Herbert Baker) ने बनाया था. दरअसल, जब अंग़्रेजी सरकार कोलकाता की जगह दिल्ली को अपनी राजधानी बनाना चाहती थी, तब ये काम लुटियन और बेकर को सौंपा गया.
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300 परिवारों को किया गया बेघर
इसके लिए उन्होंने दिल्ली के उस इलाके को चुना जो यमुना नदी के पास था. ये बहुत सारी महत्वपूर्ण बिल्डिंग्स के पास था और यहां से पूरी दिल्ली का नज़ारा दिखाई देता था. ये पूरा इलाका क़रीब 1700 एकड़ का था. यहां पर तब 150 गांव बसे थे और इनमें क़रीब 300 परिवार रहते थे. इसे राजधानी बनाने के लिए उन सभी से ज़मीने लेकर उन्हें वहां से उजाड़ दिया. कुछ को ज़बरदस्ती और कुछ को डरा धमकाकर उनकी ज़मीन हथियाई थी अंग़्रेज़ों ने.
कभी वायसराय हाउस के नाम से था फ़ेमस
यहां पर अधिकतर किसान परिवार ही रहते थे, उन्हें मजबूरन यहां से दूसरी जगहों पर विस्थापित होना पड़ा. ब्रिटिश सरकार ने जो गांव उजाड़े थे उनमें मोतीबाग, रायसीना, कुशक, मालचा, तालकटोरा जैसे विलेज शामिल थे. जब ये राजधानी बनकर तैयार हो गई तो, लुटियन ने इसका नाम रायसीना हिल्स रख दिया. मतलब रायसीना गांव से आया है रायसीना हिल्स का नाम. 1950 तक इसे वायसराय हाउस के नाम से जाना जाता था.
अब ये इलाका कई टॉप सरकारी कार्यालयों का एतिहासिक स्थल बन गया है. यहां इंडिया गेट भी है जो द्वितीय विश्वयुद्ध में मारे गए हिंदुस्तानी सैनिकों की याद में बनाया गया है. उसे भी देखने देश-विदेश से सैलानी आते हैं, लेकिन रायसीना हिल्स के इस इतिहास को विरले ही जानते हैं.