जानिए कैसे World War 2 से जुड़ी है नारियल तेल ब्रांड ‘पैराशूट’ के नामकरण की कहानी

Nripendra

How did Parachute Coconut Oil get its name: हमारे घर में इस्तेमाल होने वाले कुछ ऐसे भी प्रोडक्ट हैं, जिनका इस्तेमाल हम वर्षों से करते आ रहे हैं, जैसे बोरोलीन, अमृतांजन बाम, बोरोप्लस आदि. वहीं, बालों में लगाने वाले तेल की बात करें, तो ‘पैराशूट’ नाम के नारियल तेल का इस्तेमाल भी भारतीयों घरों में सालों से होता आ रहा है. इस तेल की एक बोतल अमूमन भारतीय घरों में मिल जाएगी, लेकिन क्या आप जानते हैं इस तेल का नाम ‘पैराशूट’ कैसे पड़ा. जानकर हैरानी होगी कि इसके नामकरण की कहानी द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़ी है. आइये, जानते हैं इसकी कहानी.   

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आइये, अब विस्तार से जानते हैं पैराशूट के नाम के पीछे की कहानी – How did Parachute Coconut Oil Get It’s Name in Hindi

मैरिको कंपनी 

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How did Parachute Coconut Oil get its name: जिस ‘पैराशूट’ नारियल तेल का इस्तेमाल आप वर्षों से करते आ रहे हैं, वो Marico नाम की एक भारतीय कंपनी का ब्रांड है. इस कंपनी के संस्थापक का नाम हर्ष मारीवाला है. ये कंपनी हेयर ऑयल के अलावा, स्किन केयर उत्पाद, खाद्य तेल व मेल ग्रुमिंग प्रोडक्ट भी बनाती है. वहीं, सफ़ोला, हेयर एंड केयर, निहार नेचुरल्स, लिवॉन, सेट-वेट, रिवाइव और मेडिकर इसी कंपनी के अन्य ब्रांड हैं.


कंपनी की ऑफ़िशियल वेबसाइट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान, Marico कंपनी ने क़रीब 95 बिलियन (1.3 बिलियन डॉलर) का कारोबार किया है. वहीं, इनका बिज़नेस भारत के अलावा, इजिप्ट, दक्षिण अफ़्रिका, मिडिल ईस्ट, वियतनाम, बांग्लादेश व मलेशिया जैसे देशों में फ़ैला हुआ है.    

कंपनी की स्थापना  

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Parachute Coconut Oil History: कंपनी की वेबसाइट की मानें, तो 2 अप्रैल 1990 को मैरिको कंपनी का जन्म होता है यानी इसकी स्थापना. वहीं, 1989 में कंपनी का नाम ‘मैरिको फूड्स लिमिटेड’ से बदलकर ‘मैरिको इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ कर दिया गया था. वहीं, मैरिको के लिए पहला अंतरराष्ट्रीय कार्यालय वर्ष 1992 में दुबई में स्थापित किया गया था. कंपनी के संस्थापक हर्ष मारीवाला ने 1971 में अपने फ़ैमिली बिज़नेस (Bombay Oil Industries) को ज्वाइन किया. 


वहीं, 1974 में हर्ष मारीवाला ने छोटे उपभोक्ता पैक में नारियल और रिफ़ाइंड खाद्य तेलों के लिए एक ब्रांडेड FMCG बाज़ार की कल्पना की और ‘पैराशूट’ के लिए एक नेशनल डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की स्थापित किया. वहीं, 1980s में पारंपरिक पैराशूट के टीन के पैक को प्लास्टिक के पैक में बदलकर मार्केट में उतारा गया. 

कंपनी ने प्रति वर्ष 24000 टन पैराशूट नारियल तेल के निर्माण के लिए केरल के कांजीकोड पालघाट ज़िले में एक नया संयंत्र स्थापित किया, जिसका वाणिज्यिक संचालन वर्ष 1993 के मई में शुरू हुआ.   
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पैराशूट के नाम के पीछे की कहानी

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How did Parachute Coconut Oil Get Its Name: जानकर हैरानी होगी कि पैराशूट के नाम के पीछे की कहानी द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़ी है, जिसके बारे में ख़ुद कंपनी के संस्थापक हर्ष मारीवाला ने बताया था. The Print से हुई बातचीत में मारीवाला ने समझाया कि, “द्वितीय विश्व युद्ध के कारण ब्रांड का नाम रखा गया था. द्वितीय विश्व युद्ध के कारण ये ब्रांड अस्तित्व में आया. उस दौरान पैराशूट कुछ नया था, लोग विश्व युद्ध के दिनों में पैराशूट को उड़ते हुए देखते थे.”


मारिवाला आगे कहते हैं कि, “मेरे सभी अंकल और मेरे बहुत सारे दोस्तों ने कहा था कि ब्रांड का नाम बदल दो, लेकिन पता नहीं क्यों, मैंने ब्रांड नाम जारी रखने का फैसला किया और मुझे लगता है कि निर्णय सही था.”

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