क्या था चर्चित ‘नीरज ग्रोवर मर्डर केस’ और कैसे फ़ॉरेंसिक साइंस ने सुलझाई थी ये मर्डर मिस्ट्री?

Nripendra

Neeraj Grover Murder Mystery : ज़ुर्म की दुनिया इतनी बड़ी और गहरी हो चुकी है कि कई बार क़ानून के लंबे हाथ भी अपराधी को पकड़ने में नाकाम साबित हो जाते हैं. इसके पीछे की वजह ये है कि कई बार शातिर अपराधी ज़ुर्म को इतनी सफ़ाई से अंजाम देता है कि पुलिस के हाथों आसानी से कोई सुराग़ नहीं लगता. इसलिए, पुलिस को फ़ॉरेंसिक एक्सपर्ट की मदद लेनी पड़ती है, जो वैज्ञानिक तरीक़ों से अपराधी तक पहुंचने का मार्ग तैयार करते हैं. ऐसे बहुत से क्राइम के मामले हैं जिन्हें सुलझाने में फ़ॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने सराहनीय काम किया है. इसमें एक चर्चित ‘नीरज ग्रोवर मर्डर केस’ भी शामिल है, जिसके बारे में हम आपको इस लेख में बताएंगे कि ये केस क्या था और कैसे फ़ॉरेंसिक साइंस ने इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में मदद की थी.   

आइये, अब विस्तार से जानते हैं Neeraj Grover Murder Mystery के बारे में. 

नीरज ग्रोवर मर्डर केस  

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नीरज ग्रोवर मर्डर केस (Neeraj Grover Murder Mystery) इतिहास का एक हाई प्रोफ़ाइल्ड मर्डर केस माना जाता है. बर्बरता से की गई हत्या की वजह से इस केस ने काफ़ी मीडिया अटेंशन पाया था. ये मामला मई 2008 का है, जिसमें नीरज ग्रोवर नाम के एक व्यक्ति की हत्या की गई थी. नीरज ग्रोवर मुंबई में एक टीवी प्रोडक्शन हाउस में काम करते थे. हत्या के बाद उनके शरीर के कई टुकड़े कर जंगल में फेंक दिया गया था. इस केस पर लगातार तीन सालों तक ट्रायल चला और 2011 में मामले पर फ़ैसला सुनाया गया था.

क्या थी ये पूरी मर्डर मिस्ट्री?  

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अब हम आपको विस्तार से बताते हैं Neeraj Grover Murder Mystery के बारे में. दरअसल, ये एक लव ट्रायंगल था, जिसका शिकार हुआ नीरज ग्रोवर. Karnataka State Law University के राकेश यादव की केस स्टडी ‘Case Comment: Analysis of Neeraj Grover Murder Case’ के अनुसार, इस केस के तीन मुख्य लोग थे, पहला नीरज ग्रोवर, दूसरा मारिया सुसाइराज (कन्नड एक्ट्रेस) तीसरा मारिया सुसाइराज का बॉयफ़्रेंड एमिल जेरोम मैथ्यू (नेवी का एक लेफ्टिनेंट). तो होता यूं है कि मारिया सुसाइराज नाम की एक कन्नड एक्ट्रेस अपना करियर बनाने के लिए अप्रैल 2008 में मुंबई शिफ़्ट होती है. यहां उसकी मुलाक़ात नीरज ग्रोवर से होती है, जो कि एक टीवी प्रोडक्शन हाउस में एग्ज़ीक्यूटिव के रूप में काम कर रहा था. 

नीरज उस कन्नड एक्ट्रेस की मदद करता है करियर बनान में. इस बीच दोनों ने काफ़ी नज़दीकियां भी आ गई थीं. मारिया सुसाइराज मलाड में फ़्लैट किराए पर लेती है. 6 मई 2008 को नीरज शिफ़्टिंग में मदद करने के लिए मारिया सुसाइराज के घर जाता है और वहीं रुकता है. इसी बीच मारिया के बॉयफ़्रेंड एमिल जेरोम मैथ्यू का कॉल आता है. कॉल के दौरान वो कमरे में मर्द की आवाज़ सुनता है. मारिया बताती है कि वो उसकी घर शिफ़्टिंग में मदद करने के लिए आया है. मारिया का बॉयफ़्रेंड उसे रात भर ठहराने के लिए मना करता है, लेकिन मारिया इस बात को नज़रअंदाज़ कर जाती है.
मारिया का बॉयफ़्रेंड मैथ्यू उस दौरान कोच्चि में था. उसे लगता है कि मारिया और नीरज के बीच कुछ चल रहा है. वो फ़्लाइट पकड़ता है और अगली सुबह कोच्चि से मुंबई आ जाता है. वो मारिया के घर आता है और नीरज को वहां देख आग-बबूला हो जाता है. फिर वो नीरज से बहस करता है और फिर हाथापाई पर उतर आता है. इसके बाद मैथ्यू किचन से चाकू लाकर नीरज की हत्या कर डालता है. 
इसके बाद शुरू होता है बॉडी को ठिकाने और सबूतों को मिटाने का काम. बॉडी को ठिकाने लगाने के लिए शरीर के क़रीब 300 टुकड़े किए जाते हैं और गार्बेज बैग्स में डाले जाते हैं. मारिया अपने दोस्त की गाड़ी लेकर आती है और नीरज के शरीर के टुकड़ों से भरे बैग्स को गाड़ी में भर पास के जंगल लेकर जाती है. वहां, उन बैग्स को जला दिया जाता है. फिर दोनों घर के फ़र्नीचर व चादर को बदल देते हैं और दीवार पर भी नया पेंट कर देते हैं.

मामले का एक अलग पक्ष  

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बेंगलुरु की जैन यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर Dr. Raghu G Anand के ‘Importance of Forensic Science in Law Domain’ पर रिसर्च पेपर के अनुसार, जब नीरज, टीवी इंडस्ट्री में मारिया को रोल न दिलाया पाया, तो मारिया के अंदर उसके प्रति द्वेष विकसित हुआ और उसने अपने बॉयफ़्रेंड की मदद से नीरज की हत्या का प्लान बनाया. मारिया का बॉयफ़्रेंड कोच्चि से मुंबई आया और फिर दोनों ने फ़्लैट में ही नीरज की हत्या कर डाली. इसके बाद बॉडी के टुकड़े किए गए और फिर शहर की सीमा से सटे सुनसान इलाक़े में जाकर बॉडी के टुकड़ों पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई. इसके बाद बाकी सबूत भी मिटा दिए गए थे.  

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जब मामला कोर्ट में पहुंचा  

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जब नीरज के घरवालों को उसकी गुमशुदगी का पता चला, तो नीरज की मिसिंग की एफ़आईआर मुंबई के थाने में दर्ज कराई गई. लेकिन, नीरज तक पहुंचने के कोई ट्रेसस नहीं मिल पाए. वहीं, कुछ दिनों बाद मारिया पुलिस को फ़ोन करती है और विक्टिम का फ़ोन पुलिस को सौंपती है. इसके बाद मारिया और मृत के क़रीबियों का कई दिनों तक इंटेरोगेशन चलता है. मामला (Neeraj Grover Murder Mystery) कोर्ट में पहुंचता है. कोर्ट में कई तरह की दलीलें पेश की जाती हैं और बयान लिए जाते हैं. मारिया से अपने बचने के लिए कई तरह की कहानियां गढ़ीं. उसने पुलिस से ये तक कहा था कि नीरज रात 1:30 बजे चला गया था. वहीं, जब पूछताछ लगातार चलती रही, तो उसने से कुबूल किया कि नीरज रात भर रुका था. 

वहीं, उसने कोर्ट में ये भी कहा था कि वो नीरज से सिर्फ़ 4 मई (क़त्ल से दो दिन पहले) को ही मिली थी. वहीं, उसने ये भी कहा कि उस दिन नीरज और मैथ्यू के बीच झड़प हो गई थी. वहीं, मारिया के रेसिडेंस के चौकिदार ने बताया कि उसने मारिया और उसके बॉयफ़्रेंड को एक कार में बड़े-बड़े बैग्स डालते देखा था. वहीं, मैथ्यू के फ़ोन कॉल और मुंबई के लिए टिकट बुकिंग के बारे में भी पता चला. ये सुबूत साफ़ तौर से प्लांड मर्डर की ओर इशारा कर रहे थे.  

मामले पर जजमेंट  

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11 जुलाई 2011 को मुंबई सेशन कोर्ट ने मारिया के बॉयफ़्रेंड Jerome Mathew को नीरज की हत्या के आरोप (Neeraj Grover Murder Mystery) में आईपीसी 1860 के Section 304 (गैर इरादतन मानव हत्या) के तहत 10 साल की सज़ा सुनाई. वहीं, सेक्शन 201 के तहत सुबूत मिटाने के आरोप में और 3 तीन साल की सज़ा सुनाई गई थी. साथ ही 1 लाख का ज़ुर्माना लगाया गया. वहीं, मारिया को तीन साल की सज़ा सुनाई गई और 50 हज़ार का जुर्माना लगाया गया था. हालांकि, मारिया ने ट्रायल के दौरान सज़ा के तीन साल बिता लिए थे, इसलिए उसे फ़्री कर दिया गया था. 

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मामले को सुलझाने में फ़ॉरेंसिक साइंस ने कैसे की मदद?

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Neeraj Grover Murder Mystery को सुलझाना बिना फ़ॉरेंसिक एक्सपर्ट्स के मुश्किल ही था, क्योंकि इस केस में कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं था. बेंगलुरु की जैन यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर Dr. Raghu G Anand के अनुसार, यहां फ़ॉरेंसिक के डेटा बहुत मायने रखते थे. साथ ही फ़ॉरेंसिक पर कोर्ट की निर्भरता भी साफ़ पता चल रही थी. इस मामले में फ़ॉरेंसिक के डीएनए एक्सपर्ट को अदालत में बुलाने की मांग की गई थी. जैसा कि हमने बताया कि मारिया और उसके बॉयफ़्रेंड ने नीरज की बॉडी के टुकड़े जलाने के बाद बाकी सबूतों को मिटा दिया था. इस स्थिति में अपराधी के खिलाफ़ सबूत इकट्ठा करना फ़ॉरेंसिक के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी. लेकिन, फिर भी फ़ॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने बड़ी कुशलता से डीएनए नमूने एकत्र किए.  

वहीं, पुलिस द्वारा प्राप्त किए गए शरीर के अवशेष जैसे जली हुई हड्डियां व दांत आदि से मृत की शिनाख्त करना नामुमकिन-सा ही था, लेकिन फ़ॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने इस चुनौती का भी सामना किया और प्राप्त अवशेषों के डीएनए को मृत के माता-पिता के डीएनए से मैच कराकर मृत की शिनाख्त की. नीरज ग्रोवर हत्याकांड (Neeraj Grover Murder Mystery) में गवाही देते हुए एक फोरेंसिक विशेषज्ञ S.H Lade ने कहा था कि कि ठाणे में मनोर के जंगलों में मिली जांध की हड्डी नीरज ग्रोवर की ही थी. ग्रोवर को मारिया और उसके बॉयफ़्रेंड ने ही मारा था. 
फोरेंसिक विशेषज्ञ S.H Lade ने ये भी कहा था कि जिस कार का इस्तेमाल मृत के बॉडी के टुकड़ों को जंगल ले जाने के लिए किया गया था उसकी सीट कवर, दरवाज़े के हैंडल पर मौजूद ख़ून के धब्बे और चाकू से प्राप्त किए गए डीएनए सैंपल नीरज ग्रोवर के माता-पिता के डिएनए से मैच खाते थे. 
 तो देखा दोस्तों आपने, क्राइम के रहस्य को सुलझाने में किस तरह फ़ॉरेंसिक साइंस मददगार है. ये आर्टिकल आपको कैसे लगा हमें कमेंट में ज़रूर बताएं.  

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