कभी साइकिल से रॉकेट और बैलगाड़ी से सैटेलाइट ढोता था ISRO, बेमिसाल और ऐतिहासिक हैं ये 15 तस्वीरें

Abhay Sinha

Iconic ISRO Photos You Must See: भारत चांद पर पहुंचने वाला चौथा और साउथ पोल पर सॉफ़्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बन गया है. Chandrayaan-3 मिशन ने पूरी दुनिया को ISRO का लोहा मनवा दिया. (ISRO History Before Chandrayaan 3)

हालांकि, एक दौर ऐसा भी था, जब इसरो को साइकिल और बैलगाड़ी से रॉकेट और सैटेलाइट को ढोना पड़ा था. दरअसल, डॉ. विक्रम साराभाई ने 1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) बनाई थी. यही INCOSPAR 15 अगस्त 1969 को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइज़ेशन (ISRO) बन गया. पहला रॉकेट 21 नवंबर 1963 को जब लॉन्च किया गया था, तब रॉकेट पार्ट्स को साइकिल के माध्यम से लॉन्च पैड तक ले जाया गया था.

आज हम आपको इन तस्वीरों के ज़रिए ISRO के इस ख़ूबसूरत सफर को दिखाने जा रहे हैं- (Old Photos Of ISRO)

1. रॉकेट पार्ट्स को साइकिल के माध्यम से लॉन्च पैड तक ले जाया गया.

2. रॉकेट पार्ट्स को कैरियर में बांध कर साइकिल चलाता इसरो कर्मचारी.

3. साउंडिंग रॉकेट Nike-Apache.

4. अरावमुदन (बनियान में) और एपीजे अब्दुल कलाम केरल में चर्च भवन के अंदर पेलोड तैयार करते हुए.

5. साराभाई को RH-75 दिखाते वाईजे राव. RH का मतलब रोहिणी है.

6. पहले रॉकेट की उड़ान देखते लोग.

7. धवन, कलाम और श्रीनिवासन SLV-3 पर चर्चा करते हुए.

8. बैलगाड़ी से APPLE सैटेलाइट लाते हुए.

9. एपीजे अब्दुल कलाम SHAR में अंतरिक्ष आयोग के सदस्यों को ब्रीफ़ करते हुए.

10. डॉ. होमी भाभा इसरो में अब्दुल कलाम से जानकारी लेते हुए.

11. भारत का पहला उपग्रह – आर्यभट्ट

12. इंदिरा गांधी के साथ प्रोफ़ेसर सतीश धवन और एपीजे कलाम.

13. रॉकेट सेटअप करते इसरो साइंटिस्ट्स.

14. राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा ​​के साथ यूआर राव

15. ISRO वैज्ञानिकों के साथ इंदिरा गांधी.

वाक़ई, इसरो आज जिस मुकाम पर पहुंचा है, उसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है.

ये भी पढ़ें: P Veeramuthuvel: जानिए कैसे रेलवे कर्मचारी का बेटा बना Chandrayaan-3 मिशन का प्रोजेक्ट डायरेक्टर

आपको ये भी पसंद आएगा
सरकारी स्कूल से पढ़े…माता-पिता हैं मजदूर, ऐसे किया बौद्धमणि ने गांव से ISRO तक का सफ़र पूरा
Chandrayaan-3 समेत ISRO के 21वीं सदी के सभी मिशन की ख़ूबसूरत फ़ोटोज़, जो सीधा अंतरिक्ष से ली गई हैं 
79 साल के दादाजी ISRO के लिए बनाते हैं रॉकेट मॉडल, करोड़ों में है कमाई, पढ़िए पूरी सक्सेस स्टोरी
चंद्रयान-3 के उपकरण बनाने वाले इंजीनियर्स को 2 सालों से नहीं मिली सैलरी, कर रहे दिहाड़ी मज़दूरी
नही रहीं चंद्रयान की आवाज़ एन. वलारमथी, आख़िरी बार Chandrayaan-3 को काउंटडाउन कर किया था विदा
चांद पर Chandrayaan-3 ने 615 करोड़ रुपए में की लैंडिंग, जानिए सूरज तक पहुंचने में आएगा कितना खर्च