जानिए मुग़ल काल में वेतन की परंपरा किसने चलाई और किसको मिलता था कितना वेतन

Kratika Nigam

Interesting Facts Of Mughal: मुग़ल काल में कई, राजा, रानी, राजकुमारी और राजकुमार हुए जिन्होंने अपने पराक्रम और बुद्धिमत्ता से इतिहास के पन्नों पर अपना नाम दर्ज कराया. अक्सर राजा-महाराजाओं की जीवनशैली जानने के लिए लोग उत्सुक रहते हैं. इसलिए जब किसी भी पुराने क़िले में जाते हैं तो ऐतिहासिक चीज़ों को देखकर उत्सुकता बढ़ जाती है कि राजा यहां पर रहते थे वो इस बर्तन में खाते थे, इस जगह बैठकर सभा लगाते थे. जैसा कि हम जानते हैं कि भारत में मुग़ल सल्तनत की स्थापना बाबर (Interesting Facts Of Mughal) ने की थी.

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Interesting Facts Of Mughal

स्थापना करने के बाद बाबर ने मुग़ल सल्तनत में एक नया काम शुरू किया, जो शायद ही किसी को पता हो. जिस तरह आप और हम जब नौकरी करते हैं तो हमें सैलेरी मिलती है. उसी तरह बाबर ने भी रानियों, शहज़ादियों और हरम में रहने वाली स्त्रियों के लिए सैलेरी देने का नियम बनाया. अगर देखा जाए तो, आजकल पढ़े-लिखे मॉर्डन ज़माने में कोई ऐसा नहीं सोचता कि हाउसवाइफ़ या घर पर काम करने वाली महिलाओं को सैलेरी दी जाए क्योंकि उन्हें लगता है कि ये उनकी ज़िम्मेदारी है. वो घऱ के कामों को चॉइस की तरह नहीं ले सकती. ऐसे में हज़ारों साल पहले मुग़लों ने महिलाओं को घर के कामों के लिए सैलेरी देनी की शुरुआत की, जो बहुत क़ाबिल-ए-तारीफ़ है.

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अब फटाफट जान लेते हैं किस रानी या शहज़ादी को कितना वेतन मिलता था और किसे सबसे ज़्यादा वेतन मिलता था? इसके अलावा, ये भी जानते हैं कि सबसे लपहले सैलेरी किसे दी गई थी? सबका वेतन उनके काम के आधार पर दिया जाता था, जिसमें औरंगज़ेब की बहन जहांआरा बेग़म को सालाना सबसे ज़्यादा वेतन मिलता था और वो अपनी बहन से इतना प्यार करता था कि उसके वेतन को बढ़ाता रहता था.

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इतिहास के पन्ने पलटने पर उससे जुड़े कई तथ्य (Interesting Facts Of Mughal) पता चलते हैं. इस तथ्य की जानकारी, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की शोध पत्रिका ‘इतिहास’ के अंक में सभी के वेतन की पूरी जानकारी दी गई है. बाबर ने सबसे पहला वेतन इब्राहिम लोदी की मां को दिया था, जिसमें जागीर के तौर पर एक परगना आवंटित की गई थी.

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इसके बाद से वेतन की परंपरा चल गई. आमतौर पर शाही महिलाओं को नक़द वेतन दिया जाता था, लेकिन जिनका वेतन 7 लाख से ज़्यादा होता था उन्हें आधी राशि नक़द और बाकी जागीर या चुंगी के अधिकार के तौर पर भुगतान होता था. अब बात करते हैं जहांआरा बेग़म की जो बहुत ही खर्चीली और शान से जीती थीं. जहांआरा, शाहजहां और मुमताज़ की बेटी और औरंगज़ेब की बहन थी, जिन्हें मां के इंतिक़ाल (मृत्यु) के बाद आधी संपत्ति मिल गई थी, जिसकी क़ीमत 50 लाख रुपये थी. 

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शाहजहां और औरंगज़ेब की सबसे प्यारी और विश्वासपात्र होने के चलते जहांआरा को सालाना वेतन 7 लाख रुपये मिलते थे, जिसे लगातार बढ़ाया जाता था और इस वजह से इनका सालाना वेतन 17 लाख रुपये तक पहुंच गया था. वहीं औरंगज़ेब की बेटी जैबुन्निसा बेग़म का सालाना वेतन 4 लाख रुपये था, जिसे औरंगज़ेब ने नाराज़गी के चलते कुछ समय के बाद बंद कर दिया. 

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आपको बता दें, महिलाएं किसी भी दौर की हों क़ामयाब होती है. ऐसे ही मुग़लकाल की बेग़में व्यापार में ख़ूब दिलचस्पी रखती थीं, जो विदेशों से होने वाले व्यापार में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती थी. इसमें सबसे ऊपर नाम था, नूरजहां का. नूरजहां विदेशों के साथ कपड़ों और नील के व्यापार में पैसा लगाती थीं और लंबा-चौड़ा मुनाफ़ा कमाती थीं.

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