Story of Sumeet Mixer : मसाला पीसने के लिए अमूमन हर भारतीय घर में इलेक्ट्रिक मिक्सी का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, इसमें मिक्सी की कई विदेसी ब्रांड होंगी, तो कई स्वदेशी. लेकिन, क्या आप जानते हैं देश को पहली स्वदेशी मिक्सी कब और कैसे मिली थी? अगर नहीं, तो इस लेख हम आपको विस्तार से बताएंगे कि कब और कैसे भारत को मिली थी उसकी पहली स्वदेशी मिक्सी. इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है, जिसे जानकर आपको काफ़ी अच्छा लगेगा.
आइये, अब विस्तार से जानते हैं कि देश को कैसे मिली पहली स्वदेशी मिक्सी (Story of Sumeet Mixer).
जब विदेशी मिक्सी पर निर्भर था देश
ये आपको पता ही होगा कि अंग्रेज़ों के अधीन भारत की क्या दशा थी. स्वदेशी की जगह विदेशी चीज़ों के इस्तेमाल पर अंग्रेज़ ज़ोर दिया करते थे. साथ ही उन्होंने कुटीर उद्योग व छोटे व्यापार की कमर तोड़कर रख दी थी. वहीं, भारत जब आज़ाद हुआ, तो देश को एक बिखरी हुई और कमज़ोर अर्थव्यवस्था मिली. फिर धीरे-धीरे भारतीय व्यापार को मजबूत करने के प्रयास किए गए. 1960 के दशक तक भी बहुत-सी चीज़ों के लिए भारतीय विदेशी सामान पर ही निर्भर थे. इसमें मिक्सी भी शामिल थी.
भारतीय रसोई के लिए कारगर नहीं थी विदेशी मिक्सी
उस दौरान कई भारतीय घरों में विदेशी मिक्सी इस्तेमाल हो रही थी, लेकिन वो भारत की रसोई के लिए उतनी कारगर नहीं थी. दरअसल, भारतीय रसोई में कई सख़्त और मोटे मसालों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसने पीसने में विदेशी मिक्सियां उतनी कारगर नहीं थीं. उस दौरान सत्यप्रकाश माथुर नाम के एक भारतीय इंजीनियर के घर में भी विदेशी मिक्सी इस्तेमाल हो रही थी. उनकी पत्नी माधुरी माथुर Braun नाम की एक जर्मन कंपनी की मिक्सी इस्तेमाल किया करती थीं.
इस तरह बनकर तैयार हुई स्वदेशी मिक्सी
सत्यप्रकाश माथुर जी ने पत्नी की चुनौती स्वीकार की और लग गए काम पर. उन्होंने उस विदेशी मिक्सी को ठीक करने बजाय एक नई मिक्सी बनाने की सोची. कई दिनों तक वो नई मिक्सी बनाने के काम पर लगे रहे और वो इसमें सफल भी हुए. उन्होंने पत्नी की चुनौती स्वीकार कर बनाई भारतीय रसोई के अनुकूल एक शानदार स्वदेशी मिक्सी.
हर भारतीयों तक पहुंचाने का प्लान
मिस्टर माथुर के एक छोटे से प्रयोग ने देश की पहली स्वदेशी मिक्सी देने का काम किया. उन्होंने एक दमदार मिक्सी बनाकर तैयार की. बताया जाता है कि उस मिक्सी में 500-600 वॉट की मोटर लगी थी और साथ ही 20,000 RPM का टॉर्क उत्पन्न करती थी. मिस्टर माथुर की पत्नी को वो मिक्सी बहुत पसंद आई और पड़ोसियों ने भी इसकी ख़ूब तारीफ़ की. इसके बाद मिस्टर माथुर ने इसे हर भारतीय तक पहुंचाने के बारे में सोचा.
1963 में नई कंपनी की शुरुआत
मिस्टर माथुर ने ‘Power Control and Appliances Company’ नाम से 1963 में एक नई कंपनी की शुरुआत की. इस कंपनी में Siemens कंपनी के चार कर्मचारी जुड़े. मिक्सी का नाम ‘सुमीत’ (Story of Sumeet Mixer) रखा गया, जिसका मतलब है कि ये भारतीय ग्रहणियों की अच्छी दोस्त बनकर काम करेगी.
बनी नंबर वन ब्रांड
कहते हैं कि 80 के दशक तक हर महीने 50 हज़ार मिक्सी बिक जाया करती थीं. वहीं, 1990 तक ये भारत में मिक्सी की नंबर 1 ब्रांड बनी रही. उम्मीद करते हैं कि भारत की पहली स्वदेशी मिक्सी (Story of Sumeet Mixer) की कहानी आपको ज़रूर अच्छी लगी होगी.