Karo Tribe Ethiopia Photos: इथोपिया की इस कारो जनजाति को ‘कारा’ जनजाति भी कहा जाता है. ये एक नीलोटिक एथनिक ग्रुप है जो आपने पॉपुलर बॉडी पेंट के लिए जाने जाते हैं. वहीं ये उन कुछ जनजातियों में से है जो अपनी पुरानी परंपराओं का पालन करते हैं. ये जनजाति साउथ इथोपिया की सबसे छोटी जनजाति है, जो ओमो नदी के पास रहती है. चलिए इसी क्रम में इस आर्टिकल के माध्यम से कारो जनजाति की कुछ दिलचस्प फैक्ट्स और तस्वीरें दिखाएंगे.
ये भी पढें- इतिहास के झरोखे से देखिए इंडोनेशिया की 150 साल पुरानी ज़िंदगी, बेहद ख़ास हैं ये 14 तस्वीरें
Karo Tribe की ख़ूबसूरत तस्वीरें देखिए (Karo Tribe Ethiopia Photos)-
1- कारो जनजाति अपने कल्चर का पिछले 500 सालों से पालन करती आ रही है. जैसे बॉडी पेंट करना और ट्रेडिशनल डांस करना.
2- कारो जनजाति शरीर पर लगाने वाला पेंट को राख़ और पानी से बनाती है. साथ ही ये जनजाति ख़ुद को पेंट करने के लिए- सफ़ेद चौक, पीला मिनरल पत्थर, चारकोल, लोहे का चूरा और आस-पास के मिलने वाले हर प्राकृतिक रिसोर्स का इस्तेमाल करके रोज़ाना ख़ुद को रंगते हैं.
3- कारो पुरुष हेयरस्टाइल बनाने के लिए क्ले का इस्तेमाल करते हैं. ये उनकी सुंदरता और बहादुरी दर्शाने का तरीक़ा है.
4- कारो जनजाति की छाती पर निशान होते हैं. साथ ही ये महिला और पुरुष दोनों में अलग-अलग प्रकार के होते हैं. शरीर पर निशान बनवाना कोई दुर्लभ बात नहीं है. अगर पुरुष की छाती पर निशान हैं, तो इसका मतलब उसने दूसरी जनजाति के दुश्मनों को मारा है. साथ ही इस जनजाति के लिए ये बहुत गर्व की बात है.
5- कारो महिलाओं को विशेष रूप से आकर्षक माना जाता है. अगर उनके शरीर पर कोई निशान लगाया जाता है, तो उस पर राख को रगड़ा जाता है, जो समय के साथ ठीक हो जाता है और इस तरह ये उनकी यौन सौंदर्य को बढ़ाता है.
6- शरीर पर ये डिज़ाइन पुरुष और महिला एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए करते हैं. साथ ही इस जनजाति की छोटे बच्चे भी अपने शरीर के ऊपर पेंटिंग करते हैं.
7- कारो जनजाति की परंपरा में महिलाओं का सुंदर दिखना बहुत ज़रूरी होता है.
8- इनके बनाये हर एक डिज़ाइन का गहरा मतलब होता है.
9- ये जनजाति ज्वार, मक्का और सेम उगाते हैं. लेकिन इतिहास में ये जनजाति अपनी ब्रीडिंग की कला के लिए जानी जाती थी.
10- इस जनजाति की कुल जनसंख्या 1000 से 2000 है.
11- कारो जनजाति वास्तव में काफ़ी यूनिक है. इसके महत्व को UNESCO ने मान्यता दी थी और 1980 में World Heritage Site का नाम दिया था.