भारत की तरह ही पाकिस्तान में भी है लाल क़िला, जानिए इससे जुड़ी कुछ ख़ास बातें

Kratika Nigam

Pakistan Red Fort: पुरानी दिल्ली में स्थित लाल क़िला (Red Fort) देश और दिल्ली की ऐतिहासिक विरासतों में से एक है. इसे 12 मई 1638 में 5वें मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली करते समय बनवाया था. शाहजहां सहित कई मुग़ल शासकों ने क़िले पर क़रीब 200 साल तक राज किया. इसे ताजमहल के आर्किटेक्ट और डिज़ाइनर उस्ताद अहमद लाहोरी ने डिज़ाइन किया था. साल 2007 में इस एतिहासिक विरासत को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) के तौर पर चुना गया था.

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हम सब दिल्ली के लाल क़िले के बारे में तो ख़ूब जानते हैं, लेकिन क्या आपको ये पता है कि दिल्ली की ही तरह पाकिस्तान में भी एक लाल क़िला (Pakistan Red Fort) है, जिसे बनने में 87 साल लगे थे. इसे मुज़फ़्फ़राबाद फ़ोर्ट, रुट्टा क़िला और क़िले के नाम से भी जाना जाता है.

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चलिए, पाकिस्तान के लाल क़िले के बारे में विस्तार से जानते हैं.

17वीं शताब्दी में बना पाकिस्तान का लाल क़िला इस्लामाबाद से 3 घंटे की दूरी पर मुज़फ़्फ़राबाद में स्थित है. इसे कश्मीर के चक शासकों ने 1559 में बनवाना शुरू किया था क्योंकि उनका मानना था कि, शहर को मुग़लों से ख़तरा था. बाद में वही हुआ 1587 में मुग़ल साम्राज्य ने कश्मीर पर कब्ज़ा कर लिया, जिससे क़िले ने अपनी महत्ता और पहचान दोनों खो दी और निर्माण कार्य भी धीमी गति से होने लगा.

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क़िले का निर्माण कार्य 1646 में तब फिर हुआ, जब बोम्बा रियासत के सुल्तान मुज़फ़्फ़र ख़ान का शासनकाल आया उसके ही शासन काल में क़िले का निर्माण पूरा हुआ. सुल्तान मज़फ़्फ़र ख़ान ने ही मुज़फ़्फ़राबाद को बसाया था. इसलिए इन्हें मुज़फ़्फ़राबाद का संस्थापक कहा जाता है.

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इसके बाद, तीसरी बार डोगरा वंश के महाराजा गुलाब सिंह के शासन काल में साल 1846 में क़िले को फिर से बनाया गया. इनकी सेना ने साल 1926 तक क़िले पर राज किया, फिर इसे छोड़कर चले गए तब से ये क़िला वीरान हो गया. ये क़िला नीलम नदी से घिरा है.

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आपको बता दें, इस क़िले पर शासकों का राज समाप्त होने के बाद ये क़िला वीरान हो गया था, लेकिन पाकिस्तान की सरकार की अनदेखी के चलते ये खंडहर के रूप में तब्दील हो गया है.

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