History Of Mirror: जानिए कैसे और कब हमारी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा बना शीशा

Kratika Nigam

History Of Mirror: आज शीशा ज़रूरत बन चुका है, बिना शीशे के न बाल बंध पाते हैं, ना साड़ी और न ही मेकअप हो पाता है. कुछ लोग तो शौक़िया शीशा देखा करते हैं क्योंकि उन्हें शीशा देखना पसंद जो होता है. जिस तरह खाना-पीना हमारी लाइफ़स्टाइल का अहम हिस्सा है उसी तरह शीशा भी अहम हिस्सा बन चुके हैं. ज़िंदगी में इतना अहम हो चुका शीशा हमारी ज़िंदगी में कैसे आया, इसका आविष्कार किसने किया (History Of Mirror) और पहली बार शीशे में अपना चेहरा किसने देखा?

walmartimages

ये भी पढ़ें: ज़िंदगी आसान बनाने वाले वो 20 आविष्कार, जिसके बारे में तुमने सिर्फ़ ख़्वाबों में सोचा होगा

चलिए, शीशे के आविष्कार से जुड़े कई तथ्य (History Of Mirror) सामने आते हैं, जिन्हें विस्तार से जाने लेते हैं:

History Of Mirror

1835 में जब शीशे का आविष्कार जर्मन रसायन विज्ञानी जस्टस वॉन लिबिग (Justus von Liebig) ने किया तब शीशा सिर्फ़ अच्छे घराने के लोगों के पास होता था, ग़रीबों के पास शीशा नहीं होता था, वो पानी में अपना चेहरा देखकर काम चलाते थे. इन्होंने कांच की पतली सी सतह पर मैटेलिक सिल्वर की पतली परत लगाकर शीशा बनाया था, जो पॉलिश किए गए ओब्सीडियन (Obsidian) से बने थे. इन शीशों में चेहरा साफ़ दिखता है, लेकिन इससे हज़ारों साल पहले जो शीशे बने थे, वो बहुत ही अजीब थे.

wikimedia

जानकारी के अनुसार, इस तरह से बने शीशे का इस्तेमाल क़रीब 8,000 साल पहले एनाटोलिया (Anatolia) में किया जाता था, जो अब तुर्की बन चुका है. तुर्की के साथ-साथ प्राचीन मेक्सिको के लोग भी इस शीशे का इस्तेमाल करते थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि, तब लोग शीशे को जादुई चीज़ मानते थे, उन्हें लगता कि शीशे के ज़रिए वो देवताओं और पूर्वजों से मिल सकते हैं उन्हें देख सकते हैं.

pinimg

इसके अलावा, 4000 से 3000 ईसा पूर्व तांबे को पॉलिश करके बनाए गए शीशे मिस्र और मेसोपोटामिया में बनाए गए थे, जिसे अब इराक़ कहा जाता है. तो वहीं, दक्षिण अमेरिका में इसके क़रीब 1,000 साल बाद, पॉलिश किए गए पत्थर से शीशे बनाए गए थे. रोमन लेखक प्लिनी द एल्डर (Pliny the Elder) ने पहली शताब्दी ईस्वी में कांच के शीशे के बारे में बताया, लेकिन उनमें न तो चेहरा साफ़ दिखता था और वो आकार में भी छोटे थे.

umbraco

ये भी पढ़ें: कहीं खो चुके ये 16 आविष्कार इस दौर में हमारी लाइफ़ में आ जाएं तो बात बन जाए

साफ़ चेहरा देखने के लिए लोगों को 1835 का इंतज़ार करना पड़ा, लेकिन इसका भी रिज़ल्ट आज जैसे शीशों की तरह नहीं था. फिर भी लोग काम चला लेते थे. अब जानते हैं वो कौन था, जिसने पहली बार शीशा देखा था. तेबिली (Tebele) वो पहला शख़्स था, जिसने आईने को पहली बार देखा, तेबिली के बाद उसके कबीले के सरदार पुया (Puya) ने शीशा देखा तो वो ख़ुशी से झूमने लगा और वो ख़ुद को अलग-अलग तरह से देख रहा था.

wallswithstories

पुया ख़ुश तो हुआ ता, लेकिन उसने शीशे को अपने कबीले के लिए ख़तरनाक माना और उसे वापस करने का आदेश दिया. पुया का ये बर्ताव जैक हाइड्स (Jack Hides) को अपमानजनक लगा और उसका कहना था कि, पुया एक जादू है और वो इस शीशे से नहीं, बल्कि अपनी शक्तियों से कबीले के सदस्यों को वश में कर रहा था.

शीशा देखना जितना आसान है, उसके आविष्कार में उतना ही समय लगा है.

आपको ये भी पसंद आएगा
कोलकाता में मौजूद British Era के Pice Hotels, जहां आज भी मिलता है 3 रुपये में भरपेट भोजन
जब नहीं थीं बर्फ़ की मशीनें, उस ज़माने में ड्रिंक्स में कैसे Ice Cubes मिलाते थे राजा-महाराजा?
कहानी युवा क्रांतिकारी खुदीराम बोस की, जो बेख़ौफ़ हाथ में गीता लिए चढ़ गया फांसी की वेदी पर
बाबा रामदेव से पहले इस योग गुरु का था भारत की सत्ता में बोलबाला, इंदिरा गांधी भी थी इनकी अनुयायी
क्या है रायसीना हिल्स का इतिहास, जानिए कैसे लोगों को बेघर कर बनाया गया था वायसराय हाउस
मिलिए दुनिया के सबसे अमीर भारतीय बिज़नेसमैन से, जो मुगलों और अंग्रेज़ों को देता था लोन