धन सिंह गुर्जर: आज़ादी का वो हीरो जो ब्रिटिश हुकूमत के छक्के छुड़ाकर जेल से छुड़ा लाया था 800 क़ैदी

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साल 1857 में अंग्रेज़ों के खिलाफ़ (British Revolt) भारत में क्रांति की पहली चिंगारी उठी थी.आज़ादी की इस पहली लड़ाई में कई ऐसे क्रांतिकारी सामने आये, जिन्होंने भारत में अंग्रेज़ों की नींव हिला कर रख दी. इन क्रांतिकारियों में रानी लक्ष्मी बाई, नाना साहब पेशवा, बेगम हज़रत महल, मंगल पांडे जैसे नायकों की वीरता की कहानियां इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं और हमने पढ़ी व सुनी भी हैं. आज़ादी की इस जंग में एक शख्स ऐसा भी था जो ब्रिटिश शासन की हुकूमत के खिलाफ़ हीरो साबित हुआ था. वो नाम मेरठ के कोतवाल रहे धन सिंह गुर्जर (Kotwal Dhan Singh Gurjar) का है. वो इकलौते ऐसे शख्स थे, जिन्होंने अंग्रेज़ों से लोहा लेते हुए जेल से क़रीब 800 से अधिक बंदियों को छुड़ाया था. उनके नाम से ही अंग्रेज़ थर-थर कांपते थे.

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तो आइए आपको ब्रिटिश शासन के छक्के छुड़ाने वाले कोतवाल धन सिंह गुर्जर (Kotwal Dhan Singh Gurjar) के उस क़िस्से के बारे में बताते हैं.

कौन थे धन सिंह गुर्जर?

जब-जब ‘1857 की क्रांति’ की बात छिड़ती है, तब-तब धन सिंह गुर्जर को याद किया जाता है. अंग्रेज़ों के खिलाफ़ विद्रोह की शुरुआत उन्होंने ही सबसे पहले की थी. धन सिंह का जन्म 1820 में मेरठ के पांचाली गांव में हुआ था. 10 मई, 1857 से जब धन सिंह कोतवाली के पद पर तैनात थे, तब ही मेरठ से आज़ादी की पहली लड़ाई की शुरुआत हुई थी. 

दरअसल, 9 मई को कारतूस में ‘सुअर की चर्बी’ लगी होने की वजह से कई सिपाही विद्रोह करने लगे और इसी वजह से उन्हें जेल भेज दिया. धीरे-धीरे ये ख़बर पूरे इलाके में फ़ैल गई और सिपाहियों को जेल भेजे जाने से आग-बबूला हो उठे ग्रामीण सदर कोतवाली क्षेत्र में हज़ारों की तादाद में एकत्रित हो गए. उनकी बस एक मांग थी कि सिपाहियों को रिहा कर दिया जाए. उस दौरान इस क्षेत्र के कोतवाल धन सिंह गुर्जर थे. आज़ादी की चिंगारी उनके मन में पहले से ही धधक रही थी और सिपाहियों की गिरफ़्तारी ने इसमें घी डालने का काम किया. नतीज़ा ये हुआ कि धन सिंह ग्रामीणों के साथ मिल गए. 

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Kotwal Dhan Singh Gurjar

ग्रामीणों की मदद से अंग्रेज़ों के खिलाफ़ छेड़ी मुहिम 

धन सिंह गुर्जर ने ग्रामीणों के साथ मिलकर एक योजना बनाई और शाम 5 से 6 बजे के बीच विद्रोही सैनिकों और ग्रामीणों ने सभी स्थानों पर एक साथ अंग्रेज़ों के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया. सब के मुंह से उस दौरान एक ही आवाज़ थी- ‘मारो फ़िरंगी’. जिसने भी भीड़ को रोकने का प्रयास किया, उसका कत्लेआम कर दिया गया. इस घटना के दौरान हज़ारों की तादाद में भीड़ जमा हो गई थी. पांचली सहित घाट, नंगड़ा, डीलना, निसाड़ी समेत आसपास के गांव के लोगों की भारी भीड़ लग गई थी. (Kotwal Dhan Singh Gurjar)

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जेल में आग लगा कर छुड़ाए 839 क़ैदी 

धन सिंह गुर्जर ने मौका देखते हुए रात के क़रीब 2 बजे जेल तोड़कर 839 क़ैदियों को छुड़ा लिया और जेल में आग लगा कर उसे ख़ाक कर दिया. रात रात में ही कोर्ट, जेल, तहसील व अंग्रेज़ अफ़सरों के कार्यालय तक फूंक दिए गए. इस हरकत के बाद अंग्रेज़ों की रगों में बदले की भावना का खून तेज़ी से दौड़ रहा था. 4 जुलाई, 1857 को अंग्रेज़ों ने बदला लेने के लिए पांचाली गांव में तोपों से हमला किया, जिसमें क़रीब 400 लोग शहीद हो गए. इसके अलावा अंग्रेज़ों ने 40 लोगों को फांसी के फंदे पर भी लटका दिया. इसी के बाद से ही अंग्रेजों के खिलाफ़ आज़ादी की पहली ऐतिहासिक लड़ाई 1857 में लड़ी गई. (Kotwal Dhan Singh Gurjar)

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धन सिंह गुर्जर वो हीरो थे, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अमर हो चुका है. 

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